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बेस करेंसी

बेस करेंसी
भारतीय रिजर्व बैंक। (फोटो सोर्स: File/ANI)

नासा ने 2024 तक चाँद पर मानवीय बेस कैंप स्थापित करने की योजना का किया ऐलान

नासा ने साल 2024 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहला मानव शिविर आर्टेमिस स्थापित करने की योजना का ऐलान किया है। नासा वर्तमान में आर्टेमिस कार्यक्रम पर काम कर रहा है जिसका उद्देश्य 2024 तक चंद्रमा पर मनुष्यों को उतारना है। इस संबंध में नासा ने 2 अप्रैल को राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद को 13 पृष्ठ की एक रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार, बेस कैंप अंतरिक्ष में अमेरिका के निरंतर प्रयासों के नेतृत्व को प्रदर्शित करेगा और अंततः उन्हें मंगल ग्रह पर मानवता के पहले मिशन को तैयार करने में मदद करेगा।

नासा की नासा प्लान फॉर सस्टेनेबल लूनर एक्सप्लोरेशन एंड डेवलपमेंट शीर्षक रिपोर्ट में इस बात की विस्तृत जानकारी दी गई है कि अंतरिक्ष एजेंसी कैसे 2024 मून लैंडिंग मिशन को पूरा करेगी। शुरुआती योजना चंद्रमा और ब्रह्मांड के बारे में अधिक जानने के लिए वहां पर एक से दो महीने तक रहने की है।

उपरोक्त बेस करेंसी समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-

  • नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के प्रशासक: जिम ब्रिडेनस्टाइन.
  • नासा का मुख्यालय: संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी.

Multi-Currency Account: 30 से अधिक करेंसीज में कर सकेंगे लेन-देन, स्टूडेंट्स और इंवेस्टर्स के लिए इस तरह बेहतर हैं ये अकाउंट्स

Multi-Currency Account: मल्टी-करेंसी अकाउंट के जरिए एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए 30 से अधिक मुद्राओं में 180 से अधिक देशों में लेन-देन संभव होगा.

Multi-Currency Account: 30 से अधिक करेंसीज में कर सकेंगे लेन-देन, स्टूडेंट्स और इंवेस्टर्स के लिए इस तरह बेहतर हैं ये अकाउंट्स

विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में खुलवाया जा सकेगा.

Multi-Currency Account: अगर आप दुनिया के कई देशों में निवेश करते हैं तो करेंसी को लेकर एक समस्या खड़ी होती है. सभी देशों की अपनी मुद्राएं होती हैं जिसके चलते अलग-अलग खाते ऑपरेट करने होते हैं जिससे झंझट होती है. ऐसे में मल्टी-करेंसी अकाउंट एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आता है. ब्रिटिश फर्म विनवेस्टा ने भारत का पहला मल्टी-करेंसी अकाउंट लांच किया है जिससे अन्य देशों में निवेश कर रहे भारतीय निवेशकों को बहुत फायदा मिलेगा. इस खाते के जरिए अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और यूरो समेत दुनिया की 30 से अधिक मुद्राओं में लेन-देन किया जा सकेगा. इस खाते को मिनटों में ऑनलाइन खुलवाया जा सकेगा और इससे भारतीय एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए दुनिया भर की 30 से अधिक मुद्राओं में पूंजी का लेन-देन कर सकेंगे और निवेश कर सकेंगे. सभी खाताधारकों के हर करेंसी के लिए यूनिक अकाउंट डिटेल्स मिलेगा जैसे कि आईबीएएन, स्विफ्ट कोड इत्यादि. कोई भी शख्स 180 से अधिक देशों को इन खातों के जरिए पैसे भेज सकता है या पा सकता है.

कई कामों में इस्तेमाल हो सकेगा मल्टी-करेंसी अकाउंट का

मल्टी-करेंसी अकाउंट का इस्तेमाल विदेशों में निवेश, विदेशों में पढ़ाई के लिए बचत, विदेशी आय प्राप्त करने या विदेश जाने से पहले कोई खाता खोलने के रूप में किया जा सकता है. स्टूडेंट्स बिना विजा, एसएसन या यूनिवर्सिटी के एडमिशन लेटर के बिना ही यह खाता खोल सकते हैं और जब वे विदेश जाते हैं तो इसका इस्तेमाल जारी रख सकते हैं.
यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारतीय नागरिक के लिए विदेशी मुद्रा में खाता खोलने के लिए क्या नियम हैं और इसके लिए विशेष अनुमति या प्रक्रिया का पालन करना होगा या नहीं? इसे लेकर विनवेस्टा के फाउंडर और सीईओ स्वास्तिक निगम का कहना है कि कोई भी भारतीय नागरिक हर साल आरबीआई के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत 2.5 लाख डॉलर (18.7 करोड़ रुपये) का निवेश कर सकता है और जब तक इस सीमा के भीतर तक निवेश रहता है, किसी अतिरिक्त मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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महज 50 डॉलर में मिनटों में खुलवा सकेंगे अकाउंट

लंबे समय तक विदेशी मुद्रा खाता खुलवाना किसी प्रिविलेज से कम नहीं था और कम से कम 50 हजार डॉलर चाहिए होते थे और कई महीनों तक खाता खुलने का इंतजार करना होता था. हालांकि अब विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में खुलवाया जा सकेगा. भारत से किसी अन्य खाते में पैसे में ट्रांसफर करने पर यह कुछ घंटे से लेकर 2 कारोबार दिवस के बीच यह क्रेडिट हो जाएगा.

विनवेस्टा के को-फाउंडर और प्रेसिडेंट प्रतीक जैन का कहना है कि अमेरिकी स्टॉक्स या ब्रिटिश प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए निवेशकों के पास विदेशी मुद्रा खाता होना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर पैसों को बार-बार एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में कंवर्जन करना होता है जिससे एक्सचेंज कॉस्ट के रूप में बड़ी राशि चुकानी होती है. खाते का पैसा यूके (यूनाइटेड किंगडम) के मनी रेगुलेशंस के जरिए सुरक्षित रहेगा और विनवेस्टा व ई-मनी इंस्टीट्यूशन इस पैसे का इस्तेमाल लेंडिंग के लिए नहीं कर सकेगी. कैश बार्सलेज जैसे बड़े बैंकों के पास सुरक्षित रहेगा.

मल्टी-करेंसी अकाउंट्स के फीचर्स

  • मल्टी-करेंसी अकाउंट खुलवाने के लिए एक बार में 399 रुपये की सेटअप फीस चुकानी होगी.
  • किसी भी पेमेंट के लिए 1 डॉलर का फ्लैट फीस चुकाना होगा और मासिक फीस 2.99 डॉलर है.
  • करेंसी कंवर्जन की फीस फिक्स्ड नही है लेकिन आने वाले पेमेंट्स पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. इस प्रकार कोई शख्स फॉरेक्स से जुड़े खर्चों में 75 फीसदी तक की बचत कर सकता है.
  • सभी चार्जेज के बारे में प्राइसिंग प्लान में बेस करेंसी देख सकते हैं.
  • ग्राहक अगर अपने किसी मित्र को इस प्लेटफॉर्म पर इनवाइट करते हैं तो उन्हें एक साल का फ्री मेंबरशिप मिलेगा.
  • बेस प्लान के तहत कंपनी ने 5 हजार डॉलर प्रति ट्रांजैक्शन का लिमिट सेट किया है लेकिन हर दिन ट्रांजैक्शन की संख्या को लेकर कोई सीमा नहीं है.
  • विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में बेस करेंसी खुलवाया जा सकेगा.
  • भारत से किसी अन्य खाते में पैसे में ट्रांसफर करने पर यह कुछ घंटे से लेकर 2 कारोबार दिवस के बीच यह क्रेडिट हो जाएगा.
  • स्टूडेंट्स बिना विजा, एसएसन या यूनिवर्सिटी के एडमिशन लेटर के बिना ही यह खाता खोल सकते हैं और जब वे विदेश जाते हैं तो इसका इस्तेमाल जारी रख सकते हैं.
  • मल्टी-करेंसी अकाउंट के जरिए एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए 30 से अधिक मुद्राओं में 180 से अधिक देशों में लेन-देन संभव होगा.

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केंद्र ने उत्तराखंड से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का डेटा बेस जल्द बनाने को कहा

ऋषिकेश, 18 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय श्रम एवं सेवायोजन सचिव सुनील बड़थ्वाल ने सोमवार को उत्तराखंड सरकार से जल्द से जल्द असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का डेटा बेस तैयार करने को कहा ताकि श्रमिकों को केंद्रीय कल्याण योजनाओं का लाभ मिल सके।

यहां उत्तराखंड श्रम विभाग के तत्वावधान में आयोजित एक शिविर में हिस्सा लेते हुए बडथ्वाल ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का डेटा बेस जितनी जल्दी तैयार होगा, उतनी ही जल्दी श्रमिकों को केंद्रीय कल्याण योजनाओं का लाभ राज्य सरकार के माध्यम से मिल सकेगा।

इस मौके पर उन्होंने प्रदेश के श्रम विभाग से श्रमिकों के लिए चलाई जा रही केंद्रीय योजनाओं के आच्छादन की जानकारी भी प्राप्त की।

बड़थ्वाल ने शिविर में आये प्रतिभागी श्रमिकों के साथ बातचीत के अलावा, केंद्र सरकार की श्रमिकों के लिए शुरू की गई योजनाओं के कार्ड भी वितरित किए।

ऋषिकेश के सहायक श्रमायुक्त के. के. गुप्ता ने बताया कि शिविर में 237 नए श्रमिकों को लाभार्थी बनाया गया।

भाषा सं दीप्ति दीप्ति देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

मुद्रा चेकआउट में बदल गई और वैध मुद्रा (प्रीमियम) पर वापस नहीं लौटी

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जब आप कार्ट में जोड़ते हैं और चेकआउट करने जाते हैं तो मुद्रा बेस करेंसी में बदल जाएगी (कार्ट में यह ठीक है)।

जब आप उत्पाद पृष्ठ या कुछ पर वापस जाते हैं, तो मुद्रा USD या EUR या कुछ और आधार मुद्रा पर वापस नहीं जाती है।

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और मैं कीमतों में गोलाई में भिन्नता देखता हूं। परिवर्तनीय कीमतें ठीक हैं, लेकिन "मुख्य" मूल्य गोल नहीं है। हर चर की कीमत समान होती है।

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अंतर क्यों है?

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और मुझे कीमतों को गोल करने में अंतर दिखाई देता है। परिवर्तनीय मूल्य ठीक हैं, लेकिन "मुख्य" मूल्य गोल नहीं है। हर वेरिएबल की कीमत समान होती है।

RBI Digital Currency: ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है RBI का प्लान, जानिए

E-Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि वह जल्द विशेष उपयोग के लिए E-Rupee को पायलट बेस पर लॉन्च करेगा

RBI Digital Currency: ई-रुपया के क्या हैं फायदें और क्या है RBI का प्लान, जानिए

भारतीय रिजर्व बैंक। (फोटो सोर्स: File/ANI)

(Story By- Hitesh Vyas)

E-Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (7 अक्टूबर) को घोषणा की कि डिजिटल ई-रुपए (E-Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च जल्द ही शुरू किया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपए पर चर्चा करने के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया है।

यह कॉन्सेप्ट नोट लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से जारी किया गया है, ताकि डिजिटल करेंसी के सही तरीके के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही आरबीआई ने भारतीय रुपए के समानांतर E-Rupee के पायलट लॉन्च की बात कही है। आरबीआई की ओर से ई-रुपए की लॉन्चिंग को लेकर तैयार किए जा रहे प्लान के बारे में बताया गया। बैंक की ओर से जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक ई-रुपए को पायलट लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है।

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चार सरकारी बैंकों में शुरु होगा पायलट प्रोजेक्ट: आरबीआई ने ई-रुपए के उपयोग के लिए दो व्यापक श्रेणियों – खुदरा (Retail) और थोक (Wholesalr) के बारे में संकेत दिया है। कॉन्सेप्ट नोट में डिजिटल करेंसी की प्रौद्योगिकी और डिजाइन विकल्प, डिजिटल रुपए के इस्तेमाल और डिजिटल मुद्रा को जारी करने की व्यवस्था जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके साथ ही इसमें सीबीडीसी की शुरूआत के चलते बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और वित्तीय बेस करेंसी स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों की जांच की गई है। इसमें गोपनीयता के मुद्दों का विश्लेषण भी किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के चार सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया है।

क्या है आरबीआई की योजना: केंद्रीय बैंक ने कहा कि सीबीडीसी का विकास पब्लिक को एक रिस्क फ्री वर्चुअल करेंसी प्रदान करना है जो उन्हें प्राइवेट वर्चुअल करेंसी में लेनदेन के जोखिम के बिना लाभ देगा। सीबीडीसी जारी करने के पीछे दो दृष्टिकोण हैं- एक डिजिटल रुपया बनाना जो एक पेपर करेंसी के जैसा हो और दूसरा एक सहज तरीके से डिजिटल रुपए को पेश करने की प्रक्रिया को मैनेज करना।

ई-रुपए के प्रकार: कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक डिजिटल रुपए के इस्तेमाल और काम के आधार पर सीबीडीसी को दो व्यापक श्रेणियों – सामान्य उद्देश्य (खुदरा) (CBDC-R) और थोक (CBDC-W) में विभाजित किया जा सकता है। खुदरा सीबीडीसी मुख्य रूप से खुदरा लेनदेन के लिए नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है। यह संभावित रूप से सभी – निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। वहीं, थोक सीबीडीसी को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच के लिए डिजाइन किया गया है।

डिजिटल करेंसी के फायदे: डिजिटल करेंसी आने के बाद कैश रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने पर ब्याज भी मिलेगा। डिजिटल करेंसी को मोबाइल वॉलेट या अकाउंट में रखा जा सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से पेपर करेंसी के उपतोग में भी कमी आएगी। CBDC को बिना इंटरनेट के भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

टोकन-आधारित और खाता-आधारित डिजाइन: केंद्रीय बैंक का कहना है कि ई-रुपए या सीबीडीसी को टोकन-आधारित या खाता-आधारित के रूप में डिजाइन किया जा सकता है। टोकन-आधारित सीबीडीसी में, टोकन प्राप्त करने वाला व्यक्ति यह सत्यापित करेगा कि टोकन का स्वामित्व वास्तविक है। वहीं, खाता-आधारित प्रणाली में सीबीडीसी के सभी धारकों के शेष और लेनदेन के रिकॉर्ड के रखरखाव की जरूरत होगी।

आरबीआई के मुताबिक, सीबीडीसी जारी करने और मैनेजमेंट के लिए दो मॉडल हैं – प्रत्यक्ष मॉडल (एकल स्तरीय मॉडल) और अप्रत्यक्ष मॉडल (दो स्तरीय मॉडल)। प्रत्यक्ष मॉडल में, केंद्रीय बैंक डिजिटल रुपया प्रणाली के सभी पहलुओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा। वहीं, अप्रत्यक्ष मॉडल वह होगा जहां केंद्रीय बैंक और अन्य मध्यस्थ प्रत्येक अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं।

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