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एरोन ऑसिलेटर क्या है

एरोन ऑसिलेटर क्या है
तो चलिए Database Relationship के बारे में सीखते है ।

What is Database Relationship in Hindi

ध्वनि का अर्थ, परिभाषा और उसका वैज्ञानिक आधार

ध्वनि की परिभाषा और उसका वैज्ञानिक आधार

ध्वनि का सामान्य अर्थ है- आवाज, गूँज, नाद, कोलाहल। मेघ गरजते हैं, तूफान चिंघाड़ता है, पशु रम्भते हैं, पक्षी चहचहाते हैं, एरोन ऑसिलेटर क्या है प्रकृति के अन्य रूप शब्द करते हैं, भाषा विज्ञान इन्हें ध्वनि नहीं मानता। उसकी दृष्टि में ये सब कोलाहल मात्र हैं। मनुष्य भी ऐसी ध्वनि का उच्चारण करे जो किसी सार्थक शब्द का अंग न बन सके या पदों के निर्माण में सहायक न हो तो वह भी शोर ही है।

भाषा विज्ञान की दृष्टि में, मानव-मुख से उच्चरित होने वाला नाद जो शब्दों और पदों के निर्माण में अंग बने और उनकी सार्थकता में काम आए, ध्वनि है। ध्वनि विज्ञान उन ध्वनियों का विश्लेषण नही करता जो मानव-भाषा से असंबद्ध हों। भौतिकी आदि विज्ञानों में जिस ध्वनि का अध्ययन किया जाता है, उसका भाषा विज्ञान से कोई सम्बन्ध नहीं।

ध्वनि की परिभाषा

ध्वनि की परिभाषा महाभाष्य में पंतजलि का कथन है कि भाषा की लघुतम ध्वनि इकाइयाँ, वर्ण हैं। ये वर्ण स्वयं में सार्थक नहीं होते, परन्तु मिलकर अर्थवान् शब्दों का निर्माण करते हैं। उदाहरणत: क् का उच्चारण निरर्थक है, परन्तु इसके साथ औ और आ ध्वनियों के मिल जाने से ‘कौआ’ सार्थक शब्द बन जाता है। क्, औ, आ ध्वनियाँ अपने आप में पृथक-पृथक अर्थ व्यक्त नहीं करतीं।

ध्वनियाँ भाषा का स्थूल आधार हैं और इनमें मानव के चिन्तन की अभिव्यक्ति का उपाय निहित है। मनुष्य मूलत: ध्वनियों में नहीं, सार्थक पदों में सोचता है। मनुष्य के मस्तिष्क में विचार सार्थक पदों के रूप में विद्यमान रहते हैं। वहाँ शब्द और अर्थ में पार्थक्य नहीं रहता। जब विचारों और भावों की अभिव्यंजना की इच्छा होती है तो ये पद मुख से नि:सृत होते हैं। पदों का ठोस रूप नहीं होता और न ही इनका उच्चारण पूर्ण पदों के रूप में करना सम्भव है, अत: मनुष्य के स्वरयन्त्र से, पदों में अंगभूत ध्वनियों का उच्चारण, उनकी व्यवस्था क्रम में किया जाता है, उदाहरणत: ‘फल’ शब्द के उच्चारण में पूर्ण शब्द का उच्चारण, इकट्ठा नहीं होता, अपितु प्फ आदि ध्वनियाँ अपने क्रम में सुनाई पड़ती हैं। इसका कारण स्वरयन्त्र की कार्यप्रणाली की व्यवस्था है।

ध्वनि के वैज्ञानिक आधार

ध्वनि-विज्ञान का मूल-भूत अंग ध्वनि-शिक्षा है। उसमें वैज्ञानिक दृष्टि से वाणी का अध्ययन किया जाता है-वर्णों की उत्पत्ति कैसे होती है, वर्ण का एरोन ऑसिलेटर क्या है सच्चा स्वरूप क्या है, भाषण-ध्वनि, ध्वनि-मात्र, अन्य अवांतर श्रुति ऐसे ही अनेक प्रश्नों का परीक्षा द्वारा विचार किया जाता है। अत: इन रहस्यों का भेदन ही-इस सूक्ष्म ज्ञान की प्राप्ति ही-उसका सबसे बड़ा प्रयोजन होता है।

इस अलौकिक पुण्य और आनंद के अतिरिक्त ध्वनि-शिक्षा व्यवहार में भी बड़ी लाभकर होती है। किसी भाषा का शुद्ध उच्चारण सिखाने के लिए वर्णों की वैज्ञानिक व्याख्या करना आवश्यक होता है। विशेषकर किसी विदेशी एरोन ऑसिलेटर क्या है को उच्चारण सिखाने में इससे बड़ी सहायता मिलती है। प्राचीन भारत में वर्ण-शिक्षा की उन्नति के कारण ही वेदों की भाषा का रूप आज भी इतना अक्षुण्ण छोड़कर ध्वनि-शिक्षा से ही काम लेना पड़ता था।

अभी कुछ ही दिन पहले लोग दूसरी भाषाओं का उच्चारण शिक्षक का अनुकरण करके ही सीखते एरोन ऑसिलेटर क्या है थे पर अब शिक्षक वर्णों का उच्चारण करके बतलाने के अतिरिक्त यह भी सिखा सकता है। कि किन अवयवों और स्थानों से तथा किस ढंग का प्रयत्न करने से कौन वर्ण उच्चरित होना चाहिए। फोनेटिक रीडर (ध्वनि-पाठबलियाँ) ऐसे कार्यों के लिए ही बनती हैं। उनके द्वारा व्यवहार में उच्चारण भी सीखा जाता है। और उस वर्ण-शिक्षा के आधार पर भाषा की ध्वनियों का विचार भी किया जाता है।

डेटाबेस रिलेशनशिप एरोन ऑसिलेटर क्या है क्या है (What is Database relationship in Hindi) ?

डेटाबेस रिलेशनशिप सभी संबंधपरक डेटाबेस की रीढ़ हैं ।

दो डेटाबेस तालिकाओं के बीच एक संबंध स्थापित किया जाता है जब एक तालिका एक विदेशी कुंजी का उपयोग करती है एरोन ऑसिलेटर क्या है जो दूसरी तालिका की प्राथमिक कुंजी को संदर्भित करती है एरोन ऑसिलेटर क्या है । संबंधपरक डेटाबेस शब्द के पीछे यह मूल अवधारणा है ।

एक संबंध, डेटाबेस के संदर्भ में, एक ऐसी स्थिति है जो दो संबंधपरक डेटाबेस तालिकाओं के बीच मौजूद होती है जब एक तालिका में एक विदेशी कुंजी होती है जो दूसरी तालिका की प्राथमिक कुंजी को संदर्भित करती है ।

संबंध अलग अलग डेटा आइटम को लिंक करते हुए, संबंधपरक डेटाबेस को अलग अलग तालिकाओं में डेटा को विभाजित और संग्रहीत करने की अनुमति देते है ।

दो डेटाबेस टेबलों के बीच एक संबंध स्थापित किया जाता है जब एक टेबल एक Foreign Key का उपयोग करती है जो दूसरी टेबल एरोन ऑसिलेटर क्या है की Primary Key को संदर्भित करती है ।

डेटाबेस रिलेशनशिप कितने एरोन ऑसिलेटर क्या है प्रकार की होती है (Types of relationship) ?

  • One-to-one
  • One-to-many
  • Many-to-one
  • Many-to-many

One-to-one

इस प्रकार का संबंध, संबंध के प्रत्येक पक्ष पर केवल एक रिकॉर्ड की अनुमति देता है । प्राथमिक कुंजी किसी अन्य टेबल में केवल एक रिकॉर्ड या कोई नहीं से संबंधित है ।

One-to-many

यह एक से अनेक संबंध वाले डेटाबेस है, इसमें एक टेबल में एकल रिकॉर्ड को दूसरी टेबल में एकाधिक रिकॉर्ड से संबंधित होने की अनुमति देता है । मान लिजिए एक व्यवसाय के डेटाबेस है जिसमें ग्राहक और ऑर्डर टेबल हों ।

एक ग्राहक कई ऑर्डर खरीद सकता है, लेकिन एक ऑर्डर को कई ग्राहकों से लिंक नहीं किया जा सकता है ।

Many-to-one

डेटा बेस मैनेजमेंट सिस्टम में कई से एक संबंध एक इकाई के एक से अधिक उदाहरणों के साथ दूसरी इकाई के एक उदाहरण के बीच का संबंध है ।

डेटाबेस रिलेशनशिप क्यों महत्वपूर्ण है (Importance of Database Relationships) ?

यह टेबलों की एक जोड़ी के बीच एक संबंध स्थापित करता है जो लॉजिकल रूप से एक दूसरे से संबंधित एरोन ऑसिलेटर क्या है होते हैं । टेबलों की एक जोड़ी लॉजिक रूप से प्रत्येक में शामिल डेटा के माध्यम से संबंधित होती एरोन ऑसिलेटर क्या है है ।

डेटाबेस टेबलों के बीच लगातार संबंध स्थापित करने से डेटा अखंडता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है, यह डेटाबेस सामान्यीकरण में योगदान करता है ।

यह टेवल संरचनाओं को और परिष्कृत करने और अनावश्यक डेटा को कम करने में मदद करता है । जैसा कि आप टेबलों की एक जोड़ी के बीच संबंध स्थापित करते हैं । यह परिशोधन संरचनाओं को अधिक कुशल बना देते है और किसी भी अनावश्यक डेटा को कम कर देंगे जिसमें टेबल हो सकते है ।

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