डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?

फंड ऑफ फंड्स को दो कैटेगरी में बांट सकते हैं. एक वह जो घरेलू मार्केट पर फोकस करती है. दूसरी वे स्कीमें जिनका इंटरनेशनल मार्केट पर फोकस है. कुल मिलाकर एफओएफ तीन तरह के हो सकते हैं. एक जो इक्विटी में निवेश करते हैं. दूसरे जो डेट में पैसा लगाते हैं. तीसरे वे जिनका निवेश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है. ये तीन प्रकार तकरीबन डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? सभी एसेट क्लास को कवर कर लेते हैं.
डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?

यदि किसी ने आपसे पूछा कि किसे ज़्यादा प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट्स या विटामिन खाने चाहिए तो आपका जवाब क्या होगा?
हर कोई!
हर किसी को सभी तरह के पोषक तत्व खाने की ज़रूरत होती है, लेकिन डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? हर व्यक्ति की उम्र और शारीरिक आवश्यकताओं पर निर्भर करते हुए पोषक तत्वों का अनुपात अलग होगा। उदाहरण के लिए, वयस्कों के तुलना में बढ़ते हुए बच्चों को ज़्यादा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स की ज़रूरत होती है। उन्हें ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट्स की पर्याप्त आपूर्ति की ज़रूरत भी होती है। यही सिद्धांत आपके निवेश पोर्टफोलियो पर भी लागू होता है।
हर व्यक्ति को अपने निवेश पोर्टफोलियो में इक्विटी, निश्चित आय, सोने, रीयल-एस्टेट और अन्य एसेट्स की ज़रूरत होती है। लेकिन हर व्यक्ति के लिए हर एसेट का अनुपात अलग-अलग होगा। इसलिए, हर किसी को फिक्सड इन्कम संपत्ति (एसेट्स), जैसे डेट फंड्स, में कुछ निवेश करने की ज़रूरत होती है। 30 वर्ष या उसके आस-पास की उम्र के युवाओं के तुलना में वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो का ज़्यादा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए। युवाओं के बीच, एक परंपरागत निवेशक जो ज़्यादा जोखिम उठाने में असहज महसूस करता हो, उसे अपने उन साथियों के तुलना में डेट फंड्स में ज़्यादा निवेश करना चाहिए, जो इक्विटी में निवेश करने की जोखिमभरी प्रवृत्ति में सहज महसूस करते हैं। एक सामान्य नियम के रूप में, आपकी उम्र के बराबर आपके पोर्टफोलियो के अनुपात को फिक्सड इन्कम एसेट्स, जैसे डेट फंड्स, डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? में निवेश करने की सिफ़ारिश की जाती है। नए म्यूचुअल फंड निवेशक भी डेट फंड्स के साथ शुरुआत कर सकते हैं।
जानें क्या हैं डेट म्यूचुअल फंड में निवेश के नफा-नुकसान
आसान पेपरवर्क
म्यूचुअल फंड से जुड़ा पेपरवर्क उलझाऊ नहीं होता है. आप म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट की सॉफ्टकॉपी हासिल कर सकते हैं. अगर आप इसे खो भी दें तो कोई फर्क नहीं पड़ता है. आप रिडेम्प्शन स्लिप पर दस्तखत करें और फंड हाउस में उसे जमाकर अपना पैसा वापस ले लें. इसके मुकाबले बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट रिसीट अगर खो जाए तो आपको काफी पेपरवर्क करना पड़ सकता है.
टीडीएस नहीं
डेट म्यूचुअल फंड में टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) नहीं लगता है. अगर इनमें निवेश को तीन साल तक बनाए रखा जाए तो इंडेक्सेशन बेनिफिट मिल सकता है. अगर पैसा निकालना हो तो डेट म्यूचुअल फंड को 1 रुपये की यूनिट में तोड़ा जा सकता है और निवेशक जरूरी रकम निकाल सकता है. स्मॉल सेविंग प्रोडक्ट या एफडी के मामले में आपको पूरा डिपॉजिट तोड़ना पड़ता है.
ETF में किसे निवेश करना चाहिए?

ETFs कम लागत में शेयर बाज़ार में पैसा निवेश करने की सुविधा देते हैं।वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्ट किए जाते हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं, जिससे वे आपकी पसंद के कुछ शेयरों में निवेश के विपरीत डाइवर्सिफिकेशन पेश करते हैं।
ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। ETFs निवेश के कई दूसरे मौजूदाविकल्पों तक भी पहुँच देते हैं जैसे कमोडिटीज़, विदेशी इंडेक्स और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश करना। आप अपनी पोज़िशन को बचाने के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश पर उपलब्ध नहीं होता है।
Hybrid Mutual Funds: कम रिस्क में बेहतर रिटर्न; किसे करना चाहिए निवेश? क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Hybrid Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में एक कैटेगरी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स की है. इन स्कीम्स फंड हाउस निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में लगाती हैं. प्योर इक्विटी स्कीम के मुकाबले इसमें रिस्क कम रहता है.
Hybrid Mutual Funds: शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है. म्यूचुअल फंड में निवेश आज के समय में काफी आसान है. निवेशक को इक्विटी फंड से लेकर डेट फंड, गोल्ड फंड और इंफ्रा फंड की स्कीम्स में निवेश का ऑप्शन मिलता है. हर कैटेगरी का अपना-अपना रिस्क और रिटर्न का कैलकुलेशन है. इनमें एक कैटेगरी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स (Hybrid Mutual Funds) की है. इन स्कीम्स फंड हाउस निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में लगाती हैं. प्योर इक्विटी स्कीम के मुकाबले इसमें रिस्क कम रहता है.
हाइब्रिड फंड्स का रिटर्न फैक्टर समझिए
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स में भी अलग-अलग कैटेगरी है. इनमें एग्रेसिव हाइब्रिड, कंजर्वेटिव हाइब्रिड, बैलेंस्ड हाइब्रिड, डायनेमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज, मल्टी एसेट एलोकेशन, आर्बिट्राज और इक्विटी सेविंग स्कीम्स शामिल हैं. बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड्स की बात करें, तो बीते 5 साल में इनका रिटर्न औसतन 20 फीसदी सालाना तक रहा है.
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स का भी बीते 5 साल में औसत रिटर्न करीब 20 फीसदी तक सालाना रहा है. कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स का रिटर्न इसी अवधि में 10 फीसदी तक रही है. हाइब्रिड इक्विटी सेविंग स्कीम्स की बात करें, तो इनका 5 साल का रिटर्न करीब 11 फीसदी तक, हाइब्रिड आर्बिट्राज का करीब 6 फीसदी तक और हाइब्रिड मल्टी एसेट अलोकेशन फंड्स का रिटर्न करीब 20 फीसदी तक सालाना रहा है.
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Hybrid Funds में किसे करना चाहिए निवेश
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि हाइब्रिड फंड्स एक तरह से म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) या ETF का एक क्लासिफिकेशन है. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें इक्विटी और डेट एसेट शामिल हैं. ये स्कीम्स सोने में भी पैसा लगाती हैं. यानी एक ही प्रोडक्ट में इक्विटी, डेट और सोने में पैसा लगाने का मौका मिलता है. इस तरह से इनका निवेश काफी डायवर्सिफाइड होता है. इसका फायदा यह है कि अगर इक्विटी में रिटर्न बिगड़ता है तो डेट या सोने का रिटर्न ओवरआल रिटर्न बैलेंस कर सकता है. उसी तरह से डेट या सोने में रिटर्न कमजोर पड़े तो इक्विटी का रिटर्न इसे बैलेंस कर देता है.
निगम का कहना है कि अगर आप कन्जर्वेटिव इन्वेस्टर हैं. यानी, डायरेक्ट इक्विटी का जोखिम से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund) एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. इनमें जहां दूसरे कैटेगिरी के मुकाबले रिस्क कम है, वहीं रिटर्न भी बेहतर मिल रहा है. कुल मिलाकर बात करें, तो इसमें हाइब्रिड फंड्स में अलग-अलग कैटेगरी के रिस्क फैक्टर को देखकर निवेशक निवेश कर सकते हैं. बेहतर कम जोखिम लेने वाले निवेशक डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? से लेकर एग्रेसिव निवेशकों के लिए भी इन फंड्स में निवेश का ऑप्शन है.
'फंड ऑफ फंड्स' क्या है, इसमें किसे करना चाहिए निवेश?
पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने से जोखिम घट जाता है. निवेशक इसके लिए तरह-तरह के रास्ते खोजते हैं. फंड ऑफ फंड्स के जरिए भी यह काम किया जा सकता है. यह म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है. इस तरह की स्कीमें दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीमों में पैसा लगाती हैं. आइए, यहां इनके बारे में और जानते हैं.
फंड ऑफ फंड्स (FoF) म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीमें है डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? जो दूसरी स्कीमों में निवेश करती हैं. इस तरह किसी एसेट क्लास में सीधे निवेश करने की जगह फंड मैनेजर उस स्कीम में पैसा लगाते हैं जिसका पहले से ही इसमें निवेश है. उदाहरण के लिए अगर फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो वह सोने में निवेश करने वाली गोल्ड स्कीम में पैसा लगाएगा. इसका मतलब यह है कि FoF में कंपनी के डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? शेयर या बॉन्ड नहीं होते हैं. बजाय इसके FoF अन्य स्कीमों की यूनिटें होल्ड करते हैं. एक FoF अपने फंड हाउस या अन्य फंड हाउस की कई स्कीमों में निवेश कर सकता है. ऐसे निवेशक जो जोखिम घटाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं, वे इनमें पैसा लगा सकते हैं.