निवेशक सुरक्षा कोष

निवेशक सुरक्षा कोष
4 [निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि की स्थापना.
205 सी. ( 1) केन्द्रीय सरकार निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि "फंड" के रूप में संदर्भित इस खंड में (इसके बाद) कहलाने के लिए एक कोष की स्थापना करेगा.
(2) अर्थात् निम्न मात्रा में कोष आकलित किया जाएगा: -
(एक) कंपनियों के अवैतनिक लाभांश खातों में मात्रा;
(ख) आवेदन धनराशि किसी भी प्रतिभूतियों के आवंटन और वापसी के लिए कारण के लिए कंपनियों द्वारा प्राप्त;
(ग) कंपनियों के साथ जमा परिपक्व;
(घ) कंपनियों के साथ डिबेंचर परिपक्व;
(ई) (डी) को खंड (क) में निर्दिष्ट राशि पर अर्जित ब्याज;
(च) और अनुदान कोष के उद्देश्यों के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, कंपनियों या किसी भी अन्य संस्थाओं से फंड के लिए दिया दान; और
(छ) ब्याज या अन्य आय कोष से किए गए निवेश से निवेशक सुरक्षा कोष बाहर प्राप्त:
ऐसी मात्रा वे भुगतान के लिए कारण बन तारीख से सात साल की अवधि के लिए लावारिस और अवैतनिक बनी है जब तक कि (घ) के खंड (क) में निर्दिष्ट ऐसी कोई मात्रा में फंड के फार्म का हिस्सा नहीं होगी.
स्पष्टीकरण. के लिए शंकाओं को दूर करने, यह एतद्द्वारा कोई दावा फंड या लावारिस थे जो व्यक्तिगत राशियों के संबंध में कंपनी के खिलाफ झूठ करेगा कि घोषित किया जाता है और वे पहले भुगतान के लिए कारण बन गया है कि तारीख से सात साल की अवधि के लिए अवैतनिक और कोई भुगतान किसी भी तरह के दावों के संबंध में किया जाएगा.
(3) फंड निर्धारित किया जा सकता है के रूप में इस तरह के नियमों के अनुसार निवेशकों के हितों के निवेशकों की जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाएगा 5 .
(4) केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, केन्द्र सरकार फंड प्रशासन के लिए नियुक्त कर सकते हैं इस तरह के सदस्यों के साथ एक प्राधिकारी या समिति को निर्दिष्ट, और फंड में के संबंध में अलग खातों और अन्य प्रासंगिक रिकॉर्ड रखेगा के रूप में इस तरह के फार्म भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के परामर्श से निर्धारित किया जा सकता है.
(5) यह (4) फंड स्थापित किया गया है जिसके लिए वस्तुओं को बाहर ले जाने के लिए निधि में से धन खर्च करने के लिए उप - धारा के तहत नियुक्त प्राधिकारी या समिति के लिए सक्षम हो जाएगा.]
(4) कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 1999, wref द्वारा डाला 31-10-1998.
प्र.5. निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि (जागरूकता और निवेशकों की सुरक्षा) नियम, 2001 देखें.
निवेशक सुरक्षा कोष की वार्षिक समीक्षा रपट पेश करे बीएसई: सेबी
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) निवेशक सुरक्षा कोष की उपयोगिता और प्रभाव बढ़ाने के उद्येश्य से बाजार विनियामक सेबी ने शेयर बाजार बीएसई को इस कोष की वार्षिक समीक्षा करने को कहा है। सेबी ने कहा, यह देखा जा सके कि यह कोष कितना पर्याप्त है, इसके लिये समीक्षा आवश्यक है। सेबी ने एक्सचेंज से उसकी वेब साइट पर यह बताने को भी कहा है कि कोष में कितना पैसा जमा है और निवेशकों के आवेदन पर निर्णय करने की क्या नीति अपनायी जाती है। बीएसई ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि उसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) निवेशक सुरक्षा कोष की ओर
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निवेशक सुरक्षा कोष
वायदा बाजार आयोग ने जिंस एक्सचेंजों को जल्द से जल्द निवेशक सुरक्षा कोष की स्थापना करने का निर्देश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मौजूदा वायदा अनुबंध विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) और अनुबंधों की बाबत एफएमसी के दिशानिर्देशों में निवेशक सुरक्षा कोष की स्थापना का प्रावधान है। हालांकि किसी भी एक्सचेंज ने औपचारिक रूप से अब तक इसकी स्थापना नहीं की है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ट्रस्ट के तौर पर ऐसे फंड बनाने और कर संबंधी कुछ मुद्दे हैं, जिस पर एक्सचेंजों ने जिंस बाजार नियामक से स्पष्टीकरण की मांग की है।
इसके अलावा खुद एफएमसी निवेशक सुरक्षा कोष बनाने की खातिर विस्तृत दिशानिर्देश सामने रखेगा। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि निवेशक सुरक्षा कोष का निर्माण आदर्श रूप में एक्सचेंज के वैसे कारोबारी सदस्यों के क्लाइंट के हितों की रक्षा करने के लिए होता है, जिसे नियमों, उपनियमों और एक्सचेंज के नियमों के तहत डिफॉल्टर घोषित किया गया हो या जिसे निलंबित कर दिया गया हो। उन्होंने कहा कि डिफॉल्ट करने वाले कारोबारी सदस्यों के मामले में निवेशकों को हुई हानि की भरपाई के लिए निवेशक सुरक्षा कोष का दायरा बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही इसे विवाद निपटारे की व्यवस्था भी बनाने की बात हो रही है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एक ओर जहां इसकी विस्तृत रूप रेखा तैयार की जा रही है, वहीं निवेशक सुरक्षा कोष (आईपीएफ) का निर्माण ट्रस्ट के तौर पर हो सकता है और इसका प्रबंधन एक्सचेंज द्वारा नियुक्त ट्रस्टियों के जरिए हो सकता है। इस कोष में एक्सचेंज द्वारा संग्रहित सभी तरह से शुल्क व अर्थदंड शामिल होंगे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में ऐसे निवेशक सुरक्षा कोष फंड के लेखांकन की कोई औपचारिक पद्धति नहीं है, लिहाजा मानकीकृत अंकेक्षण में समस्या पैदा होती है। उन्होंने कहा कि बाजार में कारोबार बढऩे पर ऐसी रकम में भी इजाफा होगा। इसके अलावा एक्सचेंज के हर कारोबारी सदस्य एक्सचेंज द्वारा तय रकम इस कोष में जमा करेंगे।
अधिकारियों ने कहा कि दिशानिर्देश जब भी सामने आएगा, वह छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए एफएमसी का महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां एफएमसी एफसीआरए अधिनियम में संशोधन की प्रतीक्षा कर रहा है, वहीं निवेशकों की सुरक्षा व बाजार के विकास के लिए मौजूदा सीमा के तहत एफएमसी ने वायदा बाजार की निगरानी बढ़ा दी है। आयोग ने बाजार की निगरानी व्यवस्था की स्थापना का फैसला लिया है और इसके तहत बाजार में होने वाले गलत सौदे की बाबल अलर्ट जारी करना और दूसरी बातें शामिल निवेशक सुरक्षा कोष हैं। इसने सेबी के साथ मिलकर संयुक्त रूप से निगरानी शुरू भी कर दी है।
इस साल की शुरुआत में निवेशकों की सुरक्षा के लिए एफएमसी ने एक्सचेंज के कारोबारी सदस्यों व ब्रोकरों के लिए अनिवार्य कर दिया था कि वह क्लाइंट को फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी करे। एक ओर जहां हर लेनदेन की पुष्टि के लिए फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट नोट भेजना अनिवार्य है, वहीं एफएमसी ने इसके मानदंड में भी थोड़ी छूट दी है। कारोबारी सदस्य इलेक्ट्रॉनिक कॉन्ट्रैक्ट नोट्स भेज सकते हैं, अगर सदस्य ऐसे नोट्स पढऩे में सहज महसूस करता हो।
सेबी का निर्देश, निवेशक सुरक्षा कोष की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट पेश करे BSE
निवेशक सुरक्षा कोष की उपयोगिता और प्रभाव बढ़ाने के उद्येश्य से बाजार विनियामक सेबी ने शेयर बाजार बीएसई को इस कोष की वार्षिक समीक्षा करने को कहा है। सेबी ने कहा, यह देखा निवेशक सुरक्षा कोष जा सके कि यह कोष कितना पर्याप्त है, इसके लिए समीक्षा आवश्यक है। सेबी ने एक्सचेंज से उसकी वेबसाइट पर यह बताने को भी कहा है कि कोष में कितना पैसा जमा है और निवेशकों के आवेदन पर निर्णय करने की क्या नीति अपनाई जाती है।
बीएसई ने एक बयान में कहा कि उसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से इस बारे एक पत्र 13 नवंबर को प्राप्त हुआ है। सेबी ने कहा है कि शेयर बाजारों के इस कोष को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए उसने बाजारों के साथ परामर्श के बाद इनकी मौजूदा व्यवस्थाओं की व्यापक समीक्षा की है।
15 निवेशक सुरक्षा कोष दिन में करना होगा निवेशकों की शिकायतों का समाधान
इससे पहले सेबी ने शेयर बाजारों को निवेशकों की शिकायतें मिलने के बाद उसका समाधान 15 कामकाजी दिवस के भीतर सुनिश्चित करने को कहा था। सेबी ने एक परिपत्र में कहा था कि इस कदम का मकसद निवेशक शिकायत समाधान प्रणाली को मजबूत बनाना है। नियामक ने यह भी कहा कि निवेशक शिकायत समाधान समिति (आईजीआरसी) सूचना के अभाव और मामले की जटिलता का हवाला देते हुए शिकायत को निरस्त नहीं करेगी।
सेबी ने कहा कि इसके अलावा आईजीआरसी का खर्च का वहन संबंधित शेयर बाजार करेंगे और शिकायतकर्ता से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। शेयर बाजार यह सुनिश्चित करेंगे कि निवेशकों से शिकायतें प्राप्त होने के बाद उसका समाधान 15 कामकाजी दिवस के भीतर हो। अगर शिकायतकर्ता से कोई अतिरिक्त सूचना और जानकारी की जरूरत है, वह शिकायत प्राप्त करने के सात कामकाजी दिवस के भीतर मांगी जाएगी।
निवेशक सुरक्षा कोष की उपयोगिता और प्रभाव बढ़ाने के उद्येश्य से बाजार विनियामक सेबी ने शेयर बाजार बीएसई को इस कोष की वार्षिक समीक्षा करने को कहा है। सेबी ने कहा, यह देखा जा सके कि यह कोष कितना पर्याप्त है, इसके लिए समीक्षा आवश्यक है। सेबी ने एक्सचेंज से उसकी वेबसाइट पर यह बताने को भी कहा है कि कोष में कितना पैसा जमा है और निवेशकों के आवेदन पर निर्णय करने की क्या नीति अपनाई जाती है।
बीएसई ने एक बयान में कहा कि उसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से इस बारे एक पत्र 13 नवंबर को प्राप्त हुआ है। सेबी ने कहा है कि शेयर बाजारों के इस कोष को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए उसने बाजारों के साथ परामर्श के बाद इनकी मौजूदा व्यवस्थाओं की व्यापक समीक्षा की है।
15 दिन में करना होगा निवेशकों की शिकायतों का समाधान
इससे पहले सेबी ने शेयर बाजारों को निवेशकों की शिकायतें मिलने के बाद उसका समाधान 15 कामकाजी दिवस के भीतर सुनिश्चित करने को कहा था। सेबी ने एक परिपत्र में कहा था कि इस निवेशक सुरक्षा कोष कदम का मकसद निवेशक शिकायत समाधान प्रणाली को मजबूत बनाना है। नियामक ने यह भी कहा कि निवेशक शिकायत समाधान समिति (आईजीआरसी) सूचना के अभाव और मामले की जटिलता का हवाला देते हुए शिकायत को निरस्त नहीं करेगी।
सेबी ने कहा कि इसके अलावा आईजीआरसी का खर्च का वहन संबंधित शेयर बाजार करेंगे और शिकायतकर्ता से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। शेयर बाजार यह सुनिश्चित करेंगे कि निवेशकों से शिकायतें प्राप्त होने के बाद उसका समाधान 15 कामकाजी दिवस के भीतर हो। अगर शिकायतकर्ता से कोई अतिरिक्त सूचना और जानकारी की जरूरत है, वह शिकायत प्राप्त करने के सात कामकाजी दिवस के भीतर मांगी जाएगी।