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शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल

शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल
सकारात्मक प्रभाव का दूसरा क्षेत्र रहा है राजकोषीय प्रबंधन। यहां उन्होंने सरकारी घाटों की स्वत: फाइनैंसिंग का तरीका अपनाया और राजकोषीय घाटे की सांविधिक सीमा तय की। केंद्र और राज्य के राजकोषीय रिश्तों में सतत सुधार किया गया और आयकर ढांचे का सामान्यीकरण किया गया। जीएसटी के रूप में कर प्रशासन को जल्दी ही अधिक सूचना आधारित बनाया जा सकता है। यहां भी सब्सिडी और कर रियायतों को तार्किक बनाने के लिए एक सुधार एजेंडा निरंतर गतिशील है। इन तमाम सकारात्मक प्रभावों के बीच अधूरे कारोबारों का क्या? कृषि जिंसों के बाजार की बात करें तो चावल और गेहूं को छोड़कर यह पूरा क्षेत्र बंटा हुआ है। यहां सरकारी खरीद राष्ट्रीय बाजार को जोड़ती है। दूध की बात करें तो इस क्षेत्र में एक राष्ट्रव्यापी सहकारी समिति यही काम करती है। घोषित बदलावों की राह पर आगे बढ़ते हुए किसानों के लिए और अधिक कारोबारी विकल्प पैदा करना और लॉजिस्टिक्स में सुधार करना अनिवार्य है।

शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे चढ़ा

मुंबई। विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की कमजोरी और घरेलू शेयर बाजार में तेजी के चलते भारतीय रुपया बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे बढ़कर 73.77 पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 73.85 पर खुला, और फिर अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले …

मुंबई। विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की कमजोरी और घरेलू शेयर बाजार में तेजी के चलते भारतीय रुपया बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे बढ़कर 73.77 पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 73.85 पर खुला, और फिर अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 10 पैसे की बढ़त दर्ज करते हुए 73.77 पर पहुंच गया।

रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 73.87 पर बंद हुआ था। इसबीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.10 प्रतिशत गिरकर 93.36 पर आ गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.26 प्रतिशत बढ़कर 76.39 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल

भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती है सरकारी संस्थानों और नियामकीय संस्थाओं का पुनर्गठन करना। इस संबंध में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं नितिन देसाई

भारतीय अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार की प्रक्रिया शुरू हुए 25 वर्ष का अरसा हो गया है। चौथाई सदी पहले लगभग यही वक्त था जब बजट और संबंधित घोषणाओं में व्यापार और औद्योगिक नीति को लेकर ऐसे बदलाव किए गए थे ताकि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से विदेशी मुद्रा के संकट से निपटा जा सके। वह संकट अगस्त 1990 के तेल संकट से उपजा था। तब के वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण में कहा था कि उन विचारों को लागू करने का वक्त आ चुका था।

वर्ष 1991 के सुधारों शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल में सबसे मूल विचार था बाजारों का विनियमन करना ताकि कारोबार योग्य विनिर्मित वस्तुएं अधिक मुक्त ढंग से परिचालित हो सकें। लेकिन विदेश व्यापार और औद्योगिक लाइसेंस से नियंत्रण खत्म करने और अवमूल्यन, तथा सुधारवादी उपायों के एक लंबे सिलसिले ने पूंजी बाजार को बदलकर रख दिया। इसका वर्ष 1991 में शुरू हुए उदारीकरण पर शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल सकारात्मक असर हुआ। व्यापार और विनिवेश विनियमन और पूंजी बाजार सुधारों ने प्राथमिक तौर पर निजी कारोबारी जगत शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल को फायदा पहुंचाया। कार्पोरेट पूंजीगत खर्च में व्यापक विस्तार इसका उदाहरण है। कॉर्पोरेट बचत में वित्त वर्ष 1990-91 से वित्त वर्ष 2014-15 के बीच 90 गुना से अधिक का इजाफा हुआ। जीडीपी के प्रतिशत के रूप् में यह 2.6 फीसदी से बढ़कर 11.3 फीसदी हो गया। यानी निवेश में जबरदस्त उछाल देखने को मिली।

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(संशोधित) भारतीय मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट, रुपया 83.08 के स्तर तक फिसला

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय मुद्रा में गिरावट का दौर गुरुवार को भी नजर आ रहा है। रुपया आज एक बार फिर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय मुद्रा ने बुधवार को पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार करके 83.01 रुपये का रिकॉर्ड निचला स्तर टच किया था। हालांकि बाद में दो पैसे की रिकवरी के साथ भारतीय मुद्रा ने 82.99 रुपये के स्तर पर बुधवार के कारोबार का अंत किया, लेकिन आज शुरुआती कारोबार में ही भारतीय मुद्रा 9 पैसे की कमजोरी के साथ 83.08 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है।

मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि डॉलर इंडेक्स में आई 0.3 प्रतिशत की मजबूती के कारण दुनिया भर की मुद्राओं पर दबाव पहले की तुलना में और बढ़ गया है। इसकी वजह से दूसरी मुद्राओं की तरह ही रुपये की कीमत में भी डॉलर की तुलना में गिरावट आई है। अगर डॉलर इंडेक्स में आने वाले दिनों में गिरावट का रुख नहीं बना तो भारतीय मुद्रा की कीमत गिरकर 83.80 रुपये प्रति डॉलर तक भी जा सकती है। मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का कहना है कि रुपये में सुधार की संभावना तभी बन सकती है, जब रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा बाजार में अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर का प्रवाह बढ़ा दे।

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(संशोधित) भारतीय मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट, रुपया 83.08 के स्तर तक फिसला

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय मुद्रा में गिरावट का दौर गुरुवार को भी नजर आ रहा है। रुपया आज एक बार फिर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय मुद्रा ने बुधवार को पहली बार डॉलर के मुकाबले 83 रुपये के स्तर को पार करके 83.01 रुपये का रिकॉर्ड निचला स्तर टच किया था। हालांकि बाद में दो पैसे की रिकवरी के साथ भारतीय मुद्रा ने 82.99 रुपये के स्तर पर बुधवार के कारोबार का अंत किया, लेकिन आज शुरुआती कारोबार में ही भारतीय मुद्रा 9 पैसे की कमजोरी के साथ 83.08 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है।

मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि डॉलर इंडेक्स में आई 0.3 प्रतिशत की मजबूती के कारण दुनिया भर की मुद्राओं पर दबाव शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल पहले की तुलना में और बढ़ गया है। इसकी वजह से दूसरी मुद्राओं की तरह ही रुपये की कीमत में भी डॉलर की तुलना में गिरावट आई है। अगर डॉलर इंडेक्स में आने वाले दिनों में शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल गिरावट का रुख नहीं बना तो भारतीय मुद्रा की कीमत गिरकर 83.80 रुपये प्रति डॉलर तक भी जा सकती है। मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का कहना है कि रुपये में सुधार की संभावना तभी बन सकती है, जब रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा बाजार में अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर का प्रवाह बढ़ा दे।

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बिल का सारांश

राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण और विकास बैंक बिल, 2021

  • राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण (फाइनांसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर) और विकास बैंक बिल, 2021 को लोकसभा में 22 मार्च, 2021 को पेश किया गया। बिल इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के लिए मुख्य विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआईज़) के तौर पर राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण और विकास बैंक (एनबीएफआईडी) की स्थापना करने का प्रयास करता है। डीएफआईज़ की स्थापना अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों को दीर्घकालीन वित्त पोषण प्रदान करने के लिए की जाती है जहां जोखिम वाणिज्यिक बैंकों और दूसरे सामान्य वित्तीय संस्थानों की स्वीकार्य सीमा से परे होता है। बैंकों से अलग डीएफआईज़ लोगों से डिपॉजिट नहीं लेते। वे बाजार, सरकार, बहुपक्षीय संस्थानों से धनराशि जुटाते हैं और सरकारी गारंटियों के जरिए समर्थित होते हैं।
  • एनबीएफआईडी: एनबीएफआईडी को कॉरपोरेट बॉडी के तौर पर गठित किया जाएगा जिसकी अधिकृत शेयर पूंजी एक लाख करोड़ रुपए होगी। निम्नलिखित एनबीएफआईडी के शेयर धारक होंगे: (i) केंद्र सरकार, (ii) बहुपक्षीय संस्थाएं, (iii) सोवरिन शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल वेल्थ फंड्स, (iv) पेंशन फंड्स, (v) बीमाकर्ता, (vi) वित्तीय संस्थान, (vii) बैंक और (viii) केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अन्य संस्थान। शुरुआत में संस्थान के 100% शेयर्स पर केंद्र सरकार का स्वामित्व होगा जिसे बाद में कम करके अधिकतम 26% कर दिया जाएगा।
  • एनबीएफआईडी के कार्य: एनबीएफआईडी के वित्तीय और विकासपरक उद्देश्य होंगे। वित्तीय उद्देश्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उधार देना, निवेश करना या भारत में पूरी तरह या आंशिक रूप से स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में निवेश को आकर्षित करना शामिल है। केंद्र सरकार निर्दिष्ट करेगी कि इंफ्रास्ट्रक्चर डोमेन में कौन से क्षेत्र आएंगे। विकासपरक उद्देश्य में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के लिए बॉन्ड्स, ऋण और डेरेवेटिव्स के बाजार के विकास में मदद करना शामिल है। एनबीएफआईडी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को लोन और एडवांस देना, (ii) ऐसे मौजूदा लोन्स को ले लेना और उसका फिर से वित्त पोषण करना, (शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल iii) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में निवेश के लिए निजी क्षेत्र के निवेशकों और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करना, (iv) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में विदेशी भागीदारी को सरल बनाना, (v) इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के क्षेत्र में विवाद निवारण के लिए विभिन्न सरकारी अथॉरिटीज़ से बातचीत को सुविधाजनक बनाना, और (vi) इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग में परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
  • धनराशि का स्रोत: एनबीएफआईडी लोन्स के रूप में भारतीय रुपयों और विदेशी मुद्रा, दोनों में धन जुटा सकता है या बॉन्ड्स और डिबेंचर्स सहित विभिन्न वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स को जारी करके और बेचकर धन प्राप्त कर सकता है। एनबीएफआईडी निम्नलिखित से धन उधार ले सकता है: (i) केंद्र सरकार, (ii) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), (iii) अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक, (iv) विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे बहुपक्षीय संस्थान।
  • एनबीएफआईडी का प्रबंधन: बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एनबीएफआईडी का प्रबंधन संभालेंगे। बोर्ड के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) आरबीआई की सलाह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त चेयरपर्सन, (ii) मैनेजिंग डायरेक्टर, (iii) अधिकतम तीन डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर्स, (iv) केंद्र सरकार द्वारा नामित शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल दो डायरेक्टर्स, (v) शेयरहोल्डर्स द्वारा निर्वाचित अधिकतम तीन डायरेक्टर्स, और (vi) कुछ स्वतंत्र डायरेक्टर्स (जैसा निर्दिष्ट हो)। केंद्र सरकार द्वारा गठित एक निकाय मैनेजिंग डायरेक्टर और डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर्स के पद के लिए उम्मीदवारों के नामों का सुझाव देगा। बोर्ड आंतरिक समिति के सुझावों के आधार पर स्वतंत्र डायरेक्टर्स की नियुक्ति करेगा।
  • केंद्र सरकार से सहयोग: केंद्र सरकार पहले वित्तीय वर्ष के अंत में एनबीएफआईडी को 5,000 करोड़ रुपए का अनुदान देगी। सरकार बहुपक्षीय संस्थानों, सोवरिन वेल्थ फंड्स और दूसरे विदेशी फंड्स से उधारियों के लिए अधिकतम 0.1% की रियायती दर पर गारंटी भी प्रदान करेगी। विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा में उधारियां लेने पर) में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाली हानि से संबंधित लागत की भरपाई सरकार द्वारा पूरी तरह या आंशिक शुरुआती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार मूल रूप से की जा सकती है। एनबीएफआईडी द्वारा अनुरोध करने पर सरकार उसके द्वारा जारी बॉन्ड्स, डिबेंचर्स और लोन्स की गारंटी ले सकती है।
  • जांच और अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी: निम्नलिखित की मंजूरी के बिना एनबीएफआईडी के कर्मचारियों की जांच शुरू नहीं की जा सकती: (i) चेयरपर्सन और दूसरे डायरेक्टर्स के मामले में केंद्र सरकार, और (ii) अन्य कर्मचारियों के मामले में मैनेजिंग डायरेक्टर। एनबीएफआईडी के कर्मचारियों से संबंधित मामलों में अपराधों को संज्ञान में लेने के लिए अदालतों को भी पूर्व मंजूरी लेनी होगी।
  • अन्य डीएफआईज़: बिल में यह प्रावधान भी है कि आरबीआई को आवेदन करके कोई भी व्यक्ति डीएफआई बना सकता है। आरबीआई केंद्र सरकार की सलाह से डीएफआई को लाइसेंस दे सकता है। आरबीआई इन डीएफआईज़ के लिए रेगुलेशंस निर्दिष्ट करेगा।
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