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प्रसार कम है

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लखनऊ: कोरोना संक्रमण प्रसार में कमी जारी, दैनिक व सक्रिय मामले भी हुए कम…

लखनऊ। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रसार में लगातार कमी देखने में सामने आ रही हैं। कोरोना के रोजाना मिलने वाले नये संक्रमितों की संख्या के साथ ही संक्रमित मरीजों की ज्यादा संख्या में ठीक होने से प्रदेश में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या भी लगातार कम हो रही हैं। ऐसे जिलों की संख्या में …

लखनऊ। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के प्रसार में लगातार कमी देखने में सामने आ रही हैं। कोरोना के रोजाना मिलने वाले नये संक्रमितों की संख्या के साथ ही संक्रमित मरीजों की ज्यादा संख्या में ठीक होने से प्रदेश में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या भी लगातार कम हो रही हैं। ऐसे जिलों की संख्या में भी कमी आ रही है, जहां कोरोना संक्रमण के मामलें एक हजार से ज्यादा हो गये थे।

कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों में भी आ रही कमी

इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या भी कम हो रही हैं। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में अब तक 98.14 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की पहली डोज तथा 65.97 प्रतिशत को दूसरी डोज प्रसार कम है दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश में शत-प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की पहली डोज देने का लक्ष्य पूरा हो जायेगा।

महोबा जिले में मंगलवार को एक केस भी नहीं मिला

बीते 24 घंटों में प्रदेश में कोरोना के 11 हजार 583 नये संक्रमित मिले और 15 लोगों की मृत्यु हुई है। इस दौरान 18 हजार 875 लोग कोरोना संक्रमण से ठीक भी हुये हैं। प्रदेश में मौजूदा समय में 86 हजार 563 कोविड के सक्रिय मरीज हैं, जिसमे से 84 हजार 141 लोग होम आइसोलेशन में हैं। इस अवधि में राजधानी लखनऊ में सर्वाधिक 1854 नये कोरोना संक्रमित मिले और महोबा जिले में एक भी नया कोरोना संक्रमित मामला सामने नहीं आया हैं। जबकि कोरोना संक्रमण के एक हजार से ज्यादा सक्रिय मरीजों वाले जिलों की संख्या 21 हो गई है।

लगातार चल रहा वैक्सीनेशन का काम: अमित मोहन प्रसाद

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने मंगलवार को बताया कि कोविड वैक्सीनेशन लगातार चल रहा है। प्रदेश में कल तक 14 करोड़ 46 लाख 77 हजार 806 वयस्कों को वैक्सीन की पहली डोज तथा नौ करोड़ 72 लाख 56 हजार 030 लोगों को दूसरी डोज दी जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 82 लाख 28 हजार 310 किशोरों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। जबकि अब तक आठ लाख 56 हजार 234 प्रीकॉशन डोज दी जा चुकी है।

जल का असामान्य प्रसार क्या होता है ?

प्रायः सभी द्रव गर्म किए जाने पर आयतन में बढ़ते हैं परन्तु जल 0°C से 4°C तक गर्म करने पर आयतन में घटता है तथा 4°C के पश्चात् बढ़ना प्रारम्भ करता है। इसका अर्थ यह है. कि 4° पर जल का घनत्व सबसे अधिक होता है।

दैनिक जीवन में इसके कई प्रभाव दिखाई देते हैं. कुछ निम्नलिखित हैं:

ठण्डे देशों में तालाबों के जम जाने पर भी उनमें मछलियां जीवित रहती हैं: ठण्डे देशों में जाड़े के दिनों में वायु का ताप 0° से भी कम हो जाता है। अतः वहां के तालाबों में जल जमने लगता है।

वायु का ताप गिरने पर पहले तालाबों की सतह का जल ठण्डा होता है। अत: यह भारी होकर नीचे बैठता रहता है तथा नीचे का हल्का जल ऊपर आता रहता है। यह प्रक्रिया तब तक चली रहती है जब तक कि पूरे तालाब का जल 4°C तक नहीं गिरा जाता।

जब सतह के जल का ताप 4°C से नीचे गिरने लगता है. तो इसका घनत्व कम होने लगता है। अतः अब यह नीचे नहीं जाता तथा 0°C तक ठण्डा होकर बर्फ के रूप में सतह पर ही जमने लगता है। अत: जल के जमने की क्रिया ऊपर से नीचे की ओर होती है (नीचे से ऊपर की ओर नहीं) बर्फ की इस पर्त के नीचे अब भी 4°C का जल रहता है।

चूंकि बर्फ ऊष्मा का कुचालक होता है, अत: नीचे के 4°C वाले जल की ऊष्मा को बाहर नहीं जाने देता। अत: नीचे वाला जल 4°C पर ही बना रहता है और इस प्रकार वह जमने से बच जाता है। इस जल में मछलिया तथा अन्य जीव जीवित रहते हैं।

अत्यधिक ठण्ड में जल के पाइप कभी-कभी फट जाते हैं: ठण्डे स्थानों पर जाड़े के दिनों में पाइपों में बहने वाले जल का ताप 4°C से नीचे गिर जाने पर जल के आयतन में वृद्धि होती है परन्तु धातु का पाइप सिकुड़ता है। इन विपरीत दशाओं के कारण पाइपों की दीवारों पर इतना अधिक दाब पड़ता है, कि वे फट जाते हैं।

लोगों से नियमों का पालन कर संक्रमण के बढ़ते प्रसार को कम करने में सहयोग की अपील

लोगों से नियमों का पालन कर संक्रमण के बढ़ते प्रसार को कम करने में सहयोग की अपील
• जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद
• कोविड 19 नियत्रण व अनुश्रवन के लिए जिला स्तर पर कोषांग का गठन
• सबसे ज्यादा संक्रमित व्यक्ति नगर परिषद, किशनगंज क्षेत्र में हैं

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज , (बिहार):

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जिले में कोविड-19 संक्रमण की वृद्धि हर दिन हो रही है। गुरुवार को 98 नए मरीजों के साथ ही संक्रमित मरीजों की संख्या 550 हो चुकी है। हालांकि, अब तक 24 लोग कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। बढ़ते संक्रमण पर रोकथाम के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में है और संक्रमण पर रोकथाम एवं इसे जड़ से मिटाने के लिए आवश्यक उपाय भी किये जा रहे हैं। इसके अलावा हर हाल में बढ़ते संक्रमण पर विराम लगे, इसके मद्देनजर कोविड 19 नियत्रण व अनुश्रवन के लिए जिला स्तर कोषांग का गठन एवं आवश्यक गाइडलाइन भी जारी किये जा चुके हैं। इस वैश्विक महामारी को एकबार फिर से मात देने के लिए सभी लोगों को प्रशासनिक गाइडलाइन का पालन कर खुद के साथ-साथ राष्ट्रहित प्रसार कम है में अपनी जिम्मेदारी पूरी कर जिम्मेदार नागरिक बनना चाहिए।

सामाजिक सहयोग भी बेहद जरूरी:
जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने बताया, प्रसार कम है जिले में बढ़ते संक्रमण पर रोकथाम के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग हर आवश्यक कदम उठा रहा है। इसको लेकर प्रतिदिन आवश्यकतानुसार जरूरी निर्णय भी लिए जा रहे हैं। किन्तु, इस वैश्विक महामारी के बढ़ते प्रभाव पर विराम लगाने के लिए सामाजिक सहयोग भी बेहद जरूरी है। मैं जिले वासियों से अपील करता हूं सभी लोग जारी गाइडलाइन का पालन करें और इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लडाई में सकारात्मक सहयोग करें। तभी हम इसपर काबू पा सकते हैं और इसे मात देने में सफल हो सकते हैं।

कोविड 19 नियत्रण व अनुश्रवन के लिए जिला स्तर कोषांग का गठन:
जिले में संक्रमण की अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश के निर्देशानुसार कोविड 19 नियत्रण व अनुश्रवन के लिए जिला स्तर कोषांग का पुनर्गठन किया गया है जिसमें अपर समाहर्ता किशनगंज ब्रिजेश कुमार को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। जो दैनिक रूप से संक्रमित, संक्रमित व्यक्तियों की दैनिक स्वास्थ्य, सुविधा, सफाई व्यवस्था एवं स्थिति की जानकारी पर नजर रखेंगे। साथ ही अन्य कोषांग द्वारा अस्पतालों व विभिन्न सत्र स्थलों पर किये जा रहे कोविड 19 टीकाकरण, कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता, मास्क चेकिंग लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू अन्य संक्रमण के अन्य कार्यो की निगरानी हेतु पदाधिकारी नियुक्त किये गये हैं।

मास्क के लिए जिले में अभियान तेज:
जिले में संक्रमण पर रोकथाम के लिए मास्क चेकिंग अभियान को और तेज गति देने के लिए रोको-टोको अभियान का शुरू किया गया है। जिसके तहत जिले में मुख्य बाजार समेत विभिन्न चौक-चौराहे पर अभियान चलाकर मास्क का उपयोग नहीं करने वाले लोगों को इस वैश्विक महामारी से बचाव के लिए मास्क का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया और बचाव से संबंधित अन्य आवश्यक उपाय को अपनाने की जानकारी दी गई। ताकि हर हाल में बढ़ते संक्रमण पर विराम संभव हो सके और लोगों को स्थाई निजात मिल सके।

सबसे ज्यादा संक्रमित व्यक्ति नगर परिषद, किशनगंज क्षेत्र में हैं:
जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने कहा सबसे ज्यादा संक्रमण प्रभावित मरीज नगर परिषद, किशनगंज क्षेत्र का है। नगर परिषद क्षेत्र, किशनगंज में 376 पॉजिटिव मरीज एक्टिव हैं। किशनगंज ग्रामीण क्षेत्र में 10, दिघलबैंक में 12, ठाकुरगंज में 21, बहादुरगंज में 17, पोठिया में 07, कोचाधामन में 09 तथा प्रवासी 85 व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति हैं। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। यदि हम उम्रवार विश्लेषण करते हैं तो 40 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति सबसे ज्यादा संक्रमित हुए हैं। जिले में कुल 54 कन्टेनमेंट जोन बनाये गये हैं। जिसमें से किशनगंज शहरी छेत्र में 43, बहादुरगंज में 02, किशनगंज ग्रामीण 01, कोचाधामन 03, ठाकुरगंज 05 माइक्रो कंटेनमेंट जोन सक्रिय हैं। जिले के कुल 68851 व्यक्तियों का प्रथम डोज़ एवं 15507 व्यक्तियों को दूसरा डोज़ टीकाकरण किया गया है। अब तक कुल 3.88 लाख लोगों की कोरोना जांच हो सकी है। इसमें 5174 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है तो 4594 लोग संक्रमण से जुड़ी चुनौती को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ प्रसार कम है हो चुके हैं। जिले में संक्रमण की दर 1.3 है तो वही रिकवरी दर 89.0 के करीब है। संक्रमण के प्रसार की संभावना बनी हुई है। लिहाजा जिला स्वास्थ्य विभाग ने सभी संबंधित स्वास्थ्य संस्थानों को अलर्ट किया है।

इन मानकों का करें पालन :
• मास्क का उपयोग व शारीरिक दूरी का पालन जारी रखें।
• बारी आने पर निश्चित रूप से वैक्सीनेशन कराएं व दूसरों को भी प्रेरित करें।
• साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
• लक्षण महसूस होने पर कोविड-19 जांच कराएं।
• भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।
• अनावश्यक यात्रा से परहेज करें व यात्रा के दौरान सैनिटाइजर का उपयोग करें।

पालमपुर गाँव की कहानी

पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम क्यों है?

पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम है। यह डाला की स्थिति से स्पष्ट हो जाता है। सरकार ने खेतिहर श्रमिकों के लिए एक दिन की मजदूरी 60 रु. निर्धारित की है। लेकिन डाला को सिर्फ 35-40 रु. ही मिलते हैं। इसके कारण इस प्रकार है:
(i) खेतिहर मजदूर गरीब और असहाय परिवारों से आते है। वे दैनिक मजदूरी पर काम करते हैं उन्हें नियमित रुप से काम ढूंढना पड़ता है। पालमपुर में खतिहर श्रमिक बहुत ज्यादा है और उनकी मांग काम है इस कारण उनके बीच पर्तिस्पर्धा ज्यादा है। जिससे पालमपुर में खेतिहर श्रमिक न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी पर भी काम करने को तैयार हो जाते है।
(ii) अधिकांश खेतिहर श्रमिक निचली जाति और दलित वर्गों से होते हैं और उनमें भूमि मालिकों से ऊँची मजदूरी मांगने की हिम्मत नहीं होती है।
(iii) खेतिहर श्रमिक समान्यतः अशिक्षित होते हैं। अतः वे ऊँची मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए भूमि मालिकों से मोल-भाव नहीं कर पाते।

अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिएl खेतों में काम करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मजदूरो में से किसी को चुनेl उन्हें कितनी मजदूरी मिलती है? क्या उन्हें नगद पैसा मिलता है या वस्तु रूप में? क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज से में ?

मेने अपने क्षेत्र के दो खेतिहर श्रमिक रामू और राधा से बात की। उन्होंने मुझे निम्लिखित जानकारी दी
मैंने रामू और राधा से कहा, 'आप कितनी मज़दूरी प्राप्त करते हैं?'
उन्होंने कहा, 'हमें केवल ₹ 35-40 ही मिलते हैं।
मैंने उनसे पुन: पूछा, 'आपका मजदूरी नकद में मिलती है या वस्तु में?'
उन्होंने कहा, 'हमें मजदूरी कभी नकद में और कभी वस्तु, जैसे-अनाज के रूप में मिलती हैं।'
मैंने कहा, 'क्या आप लोगों को नियमित रूप से काम मिलता है?
उन्होंने जवाब दिया, 'नहीं, पिछले वर्ष हमने वर्ष-भर में लगभग 200 दिन ही काम किया।'
अंत में मैंने पूछा, 'क्या आप ऋणग्रस्त हैं?'
रामू ने कहा, 'जब खेतों में कोई काम नहीं था तो मैंने स्थानीय साहूकार से 3000 रु का ऋण लिया। ईश्वर ही जनता है कि मैं उसे अब कैसे चूका पाउँगा।' राधा ने कहा, 'मैंने पिछले वर्ष गाँव के साहूकार से 2000 रु का ऋण लिया था। इसलिए उसने मुझे आगे ऋण देने से मना कर दिया है।'

इस प्रकार, मैंने अपने क्षेत्र मैं देखा कि:
(i) उन्हें 35-40 रु. प्रति दिन की मजदूरी मिलती हैl
(ii) उन्हें भुगतान नकद के रूप में किया जाता है।
(iii) वे नियमित रूप से काम नहीं करते हैंl उन्हें आधे साल के बेरोजगार रहना पड़ता हैl
(iv) हां, वे कर्ज में हैंl

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