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ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं

ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं
Photo:INDIA TV इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में कितना जानते हैं आप?

Share Market Ke Fayde Aur Nuksan | शेयर बाजार के फायदे और नुकसान

Share Market Ke Fayde Aur Nuksan | शेयर बाजार के फायदे और नुकसान , नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक बार फिर हमारी Website Be RoBoCo में , आज एक बार हम फिर हाजिर हैं आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर जिसे हम Share Market Ke Fayde Aur Nuksan | शेयर बाजार के फायदे और नुकसान के नाम से जानते हैं।

दोस्तो क्या आपने भी शेयर बाजार में लाभ के टोटके , शेयर बाजार में नुकसान से बचने के टिप्स , Advantage Of Share Market और Disadvantage Of Share Market In Hindi आदि ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं के बारे में Search किया है और आपको निराशा हाथ लगी है ऐसे में आप बहुत सही जगह आ गए है , आइये Benefits Of Share Market, Share Market Ke Nuksan, Share Market Me Nuksan Kaise Hota Hai और Top 10 Mistakes In Share Market ​आदि के बारे में बुनियादी बाते जानते है।

दोस्तो किसी भी Business Model को अच्छी तरह से समझने के लिए आपके लिए सिक्के के दोनों पहलू को देखना अति आवश्यक है यदि इस देश के सबसे बड़े ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट की मानें तो करीब करीब 1 साल में 90% से अधिक निवेशक शेयर मार्केट में अपना पैसा गवां देते हैं , ऐसा क्यों होता है ? आखिर क्यों लोग Share Market में नुकसान उठाते है। इन सभी बातों के ऊपर चर्चा इस लेख में हम करने वाले हैं तो लेख के अंत तक बने रहें , चलिए शुरू करते हैं।

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? [निवेश करने के प्रक्रिया की जानकारी]

दोस्तों, क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं है लेकिन बाजार के प्रतिदिन उतर चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते है ? आपके लिए डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) एक बेहतर विकल्प है। यह निवेशकों में बहुत लोकप्रिय और सुरक्षित है।

डिलीवरी ट्रेडिंग

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक शेयर को अपने डीमैट खाता में जमा करता है। डीमैट खाता (Demat Account) में निवेशक बिना किसी समय अवधि तक होल्ड करके रख सकता है और फिर इच्छानुसार कभी भी अपने शेयर को बेच सकता है। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर्स को एक दिन के अंदर ही शेयर खरीदने या बेचने की प्रतिबद्धता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने या बेचने के लिए कोई परिसीमा नहीं है। निवेशक दो दिन के अंदर या दो वर्षो बाद भी अपने शेयर को बेच सकता है।

निवेशक के पास पूर्ण अधिकार होता है की वह अपने इच्छा के अनुसार अपने शेयर को होल्ड या बेच सकता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मुनाफा बनाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को शेयर खरीदने से पहले उस कीमत के बराबर पैसे तैयार रखने होते है।

उदाहरण : यदि आप XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद रहे है जिसकी कीमत ₹ 15000 है तो आपके डीमैट खाता में ₹ 15000 की कैश रखना होगा। और यदि आप XYZ कंपनी के 110 शेयर बेचना (Sell) चाहते है तो 110 शेयर आपके डीमैट खाता में होना चाहिए।

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक विभिन्न प्रकार से निवेश कर सकता है जो निम्नलिखित है

  • इक्विटी
  • फॉरेक्स
  • कमोडिटी
  • डेरीवेटिव
  • म्यूच्यूअल फंड्स

डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम

आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।

  • सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
  • भविष्य में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
  • अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
  • सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
  • बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
  • टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
  • आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?

कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।

यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।

लॉन्ग टर्म निवेश

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।

सुरक्षित

जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, आप स्टॉक खरीदने के बाद बोनस के लिए योग्य है। जब भी कंपनी कुछ बोनस शेयरों को रोल आउट करती है, तो निवेशक बोनस का दावा कर सकते हैं।

उच्च लाभ

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में निवेशकों को शेयर के रिटर्न्स के साथ बोनस भी मिलता है । इसलिए कुछ शेयर में आपके रिटर्न्स से भी ज्यादा रिटर्न्स मिलता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

पहले से भुगतान

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।

अधिक ब्रोकरेज शुल्क

डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।

दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए कुछ मुलभुत नियमों का पालन करना आवश्यक है यदि आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं ले सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से निवेश कर सकते है। निवेशक को सदैव अलग-2 कंपनियों के शेयर में निवेश करना चाहिए यह आपके जोखिम को कम करता है।

अपने निवेश करने के चयन प्रक्रिया के बारें में जानकारी प्राप्त किया और साथ ही डिलीवरी ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुकसान के बारें में विस्तृत रूप से समझे।

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What is Trading in Hindi – ट्रेडिंग क्या होता है? ट्रेडिग कितने प्रकार के होते हैं? और 2022 में ट्रेडिंग कैसे सीखें?

What is Trading in Hindi – ट्रेडिंग क्या होता है? ट्रेडिग कितने प्रकार के होते हैं? और 2022 में ट्रेडिंग कैसे सीखें : दोस्तों क्या आप भी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करके पैसा कमाना चाहते हैं? ऐसे में हम आपको बता दे कि आज कल हर व्यक्ति शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के जरिए कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है। यदि आप भी उन लोगों में शामिल है, तो हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

जिसमें हम आपको बताएंगे कि ट्रेडिंग क्या होता हैं? ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं? और वर्तमान समय में ट्रेडिंग करना कैसे सीखा जाए? जानते हैं इन सभी तथ्यों के बारे में इसके लिए हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

What is Trading in Hindi

What is Trading in Hindi - ट्रेडिंग क्या होता है

सबसे पहले जानते हैं कि

ट्रेडिंग क्या होता है? (What is Trading in Hindi)

यदि हम इसे आसान शब्दों में बताएँ तो ट्रेडिंग का मतलब व्यापार करना होता है। जैसे कि किसी वस्तु को खरीदकर उसे बेच देना ट्रेडिंग कहलाता है। यदि आप किसी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं और 1 साल बाद उसे बेच देते हैं, तो इसे स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग कहते हैं। मान लीजिए आप शेयर मार्केट में 1000 रुपए लगाते हैं और उसे 1200 रुपए में बेच देते हैं, तो इसी प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहा जाता है। आज के समय बहुत सारे व्यक्ति स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन हम आपको बता दें इसमें वित्तीय जोखिम की संभावना रहती है। इसलिए जब भी आपको शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करना हो तो अपने जिम्मेदारी पर करें।

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं?

हम आपको बता दें कि स्टॉक मार्केट में मुख्यतः चार प्रकार के ट्रेडिंग होते हैं-

  1. इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)
  2. स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading)
  3. शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग (short term trading)
  4. लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday trading)

शेयर मार्केट में 9: 15 से लेकर 3: 30 के अंदर यदि आप कोई शेयर खरीद कर बेच देते हैं, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है। यदि हम इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान के बारे में बात करें तो इसके फायदे और नुकसान निम्नलिखित किस प्रकार है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

दोस्तों इंट्राडे ट्रेडिंग उन लोगों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है जो एक अच्छे स्टॉक को खरीदते हैं। हम आपको पता है दे कि यदि आपने एक अच्छा स्टॉक खरीदते हो तो पर डे 10000 रुपए आसानी से कमा सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

यदि हम इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान के बारे में बात करें तो दोस्तों इसमें स्टॉक खरीदने के बाद आप जितना फायदा कमाने ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं की उम्मीद रखते हैं। इसमें नुकसान होने के चांस भी ठीक उतना ही है। इसलिए आप स्टॉक मार्केट को सही तरीके से एनालिसिस करके अपने पैसे इन्वेस्ट करें।

स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading)

इस ट्रेडिंग के जरिए आप शेयर मार्केट से कोई भी स्टॉक खरीद के कुछ दिनों या हफ्तों बाद बेच देते है। स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है। स्विंग ट्रेडिंग में एक ट्रेडर का लक्ष्य होता है कि वह छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लंबे समय में अच्छा इनकम हासिल करें।

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

स्विंग ट्रेडिंग के जरिए आप अपने निवेश पर 5% से लेकर 10% तक मुनाफा कमा सकते हैं। यदि हम इसे कम अवधि के नजरिए से देखे तो आपके लिए मुनाफे का सौदा है। इसके अलावा इसमें दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि ट्रेडर को पूरा दिन लैपटॉप या कंप्यूटर के सामने बैठने की आवश्यकता भी नहीं है।

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें लाभ कमाने के लिए ज्यादा टाइम स्टॉक मार्केट के तकनीकी का विश्लेषण करना पड़ता है। यदि आप इन तकनीकी या चार्ट को अच्छी तरह देखकर पैसा इन्वेस्ट नहीं करते हैं, तो भारी नुकसान होने का चांस रहता है।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग (short term trading)

दोस्तों यदि कोई भी शेयर मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करता है तो उसका लक्ष्य कम समय में लाभ अर्जित करना होता है। यदि हम शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग की बात करें तो इसमे ट्रेडर कम समय के अंदर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है। इसमें ट्रेडर कम समय से लेकर हफ्ते भर के लिए भी स्थिति के अनुसार ट्रेडिंग करता है। शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग के अपेक्षा नुकसान का ज्यादा चांस रहता है।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

शॉर्ट टर्म के जरिए बहुत सारे निवेशकों ने अच्छी तरह एनालिसिस करके अच्छा मुनाफा कमाया है। शॉट टर्म ट्रेडिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यदि आप शॉर्ट टर्म में स्टॉक पर अच्छी तरह रिसर्च करके निवेश करते हैं तो लाभ कमाने के ज्यादा चांस रहते हैं।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के नुकसान

यदि आपको शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में ज्यादा अनुभव हो तो तभी निवेश करें। वरना इसमें नुकसान होने के ज्यादा चांस रहते हैं। शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में निवेश करने से पहले स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। क्योंकि शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में जोखिम ज्यादा रहता है।

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग (Long term trading)

जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है कि लंबे समय के लिए ट्रेडिंग यदि ऐसे में आप लंबे समय के लिए कोई स्टाक खरीदते हैं, जैसे कि 1 साल या उससे ज्यादा समय के लिए तो इसे लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग कहते हैं।

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग के फायदे-

लोंग टर्म ट्रेडिंग में यदि आप 1 साल से ज्यादा समय के लिए ट्रेड करते हैं तो निवेशक टैक्स फ्री हो जाता है। लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में निवेशक को लाभ अर्जित करने का ज्यादा चांस रहता है। हम आपको बता दें कि ज्यादातर लोग लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में ही निवेश करने पर भरोसा रखते हैं।

लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान-

स्टॉक मार्केट में किसी भी प्रकार का ट्रेडिंग हो उसमें रिस्क तो होता ही हैं। लेकिन बाकी स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के तुलना में लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में नुकसान होने के चांस थोड़ा कम होता है। यदि ऐसे में आप निवेश करते समय एक अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नहीं करते हैं तो लॉन्ग टर्म में भी नुकसान होने का रिस्क बढ़ जाता है।

2022 में ट्रेडिंग करना कैसे सीखे?

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए इसके विषय में नॉलेज की आवश्यकता होती है और ऐसे में स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए आपको लंबे अभ्यास की आवश्यकता होती है। तभी आप मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप स्टॉक मार्केट में कैसे ट्रेडिंग किया जाता है, इसके बारे में सीखना चाहते हैं तो यूट्यूब पर कई सारे फ्री में कोर्स कराए जाते हैं। जहाँ आप आसानी से ट्रेडिंग करना सीख सकते हैं।

इसके अलावा यदि आपको किताबें पढ़ना ज्यादा पसंद है, तो किताबें पढ़कर भी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करना सीख सकते हैं। यह किताबे मार्केट में आसानी से 500 रुपए से लेकर 1000 रुपए में मिल जाती है। हम आपको बता दें कि इन किताबों में ट्रेडिंग के बारे में बहुत सारे एक्सपीरियंस सीखने को मिलते हैं। इसलिए किताबों के माध्यम से ट्रेडिंग सीखना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

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अंतिम शब्द

दोस्तों हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शेयर मार्केट से जुड़े ट्रेडिंग के बारे में अच्छी तरह समझाया है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल (What is Trading in Hindi – ट्रेडिंग क्या होता है? ट्रेडिग कितने प्रकार के होते हैं? और 2022 में ट्रेडिंग कैसे सीखें?) पसंद आया होगा।

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इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में कितना जानते हैं आप? Stocks चुनने से लेकर इससे होने वाले फायदे यहां जानिए

Intraday Trading: आज के समय में बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले ग्राहकों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। नए युवा इसे लेकर काफी उत्साहित नजर आते हैं। कई तो इंट्राडे ट्रेडिंग को लेकर काफी पॉजिटव नजर आते हैं।

Vikash Tiwary

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: November 08, 2022 16:55 IST

इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में कितना जानते हैं आप?- India TV Hindi

Photo:INDIA TV इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में कितना जानते हैं आप?

Intraday Trading: यह शेयर बाजार खुलने से लेकर बंद होने की बीच की गई शेयर की खरीदी बिक्री की प्रक्रिया होती है। यहां पैसा लगाने वाले निवेशकों का मुख्य उद्देश्य लंबे समय तक शेयर को होल्ड करना नहीं बल्कि उसी दिन बाजार बंद होने के पहले बेचकर मुनाफा कमाना होता है।

इन बातों का रखे ध्यान

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ध्यान रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए संबंधित ऑर्डर सही तरीके से तैयार करना होता है। यदि कोई ऐसा करने में विफल रहता है, तो उनका ब्रोकर आपकी स्थिति को चौपट कर सकता है अगर आप खुद से ट्रेडिंग कर रहे हैं तो नुकसान उठा सकते हैं।

चाहे कोई व्यक्ति अनुभवी हो या नया निवेशक, उसे इंट्राडे ट्रेडिंग में एक साथ होने वाली कई घटनाओं पर नजर रखना पड़ता है। इसलिए भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय रुझानों और संकेतकों पर नज़र रखने से बहुत मदद मिल सकती है। यहां कुछ संकेतक दिए गए हैं, जिन पर दिन के कारोबार के दौरान विचार किया जा सकता है, जो अच्छी कमाई में मदद कर सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ

  • नियमित आय अर्जित करने का मौका
  • कम कमीशन शुल्क
  • अधिक लाभ
  • लिक्विडिटी
  • बाजार में उतार-चढ़ाव के माध्यम से पूंजीगत लाभ

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें?

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें यह समझने के लिए निवेश करते समय सर्वोत्तम इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक की पहचान करना आवश्यक होता है, क्योंकि इसमें अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है। ऐसे शेयर चुनें, जिन्हें बेचना भी आसान हो। जिन शेयरों की लिक्विडिटी अधिक होती है, उन्हें व्यक्ति आसानी से जब चाहे बाजार खुले रहने तक सेल कर सकता है। अगर आपके शेयर का कोई बॉयर नहीं होगा तो आप उसे किसको बेचेंगे, ऐसे में आपको नुकसान उठाना पड़ जाएगा।

इक्विटी क्या है? इक्विटी शेयरों के फायदे नुकसान

इक्विटी क्या है?

इक्विटी क्या है?:-
इक्विटी का हिंदी में अर्थ होता है हिस्सेदारी या आपका हिस्सा, आपका शेयर या आपकी ownership अगर किसी कंपनी में आपने पैसा लगाया हुआ है और उस कंपनी के कुछ शेयर आपने खरीद रखे है तो इसका मतलब है कि उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है या ownership है यानी कि इक्विटी है। मतलब आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हैं। एक तरह से बोले तो किसी कंपनी में आपका मालिकाना हक ही Equity होती है। इसी मालिकाना हक को हम ownership बोलते हैं।

इक्विटी उस पैसे को कहते हैं जो आप किसी व्यापार को शुरू करते समय लगाते हैं। उस व्यापार में आपकी इक्विटी अलग-अलग प्रतिशत के रूप में हो सकती है। लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं|

इक्विटी और डेट में क्या अंतर होता है?:-
एक बिज़नेस को शुरू करने के लिए दो तरीके का पैसा होता एक इक्विटी और दूसरा डेब्ट, लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है.
जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेब्ट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं, और लायबिलिटी अपनी नहीं होती हैं.

Assets = Equity + Liability (Debt)

इक्विटी ट्रेडिंग क्या है :-
जब ट्रेडर्स किसी भी कंपनी के सामान्य शेयर को खरीदते या बेचते हैं तो इसे ही इक्विटी ट्रेडिंग कहते हैं. इक्विटी ट्रेडिंग निम्न प्रकार से की जा सकती है –

1 – इक्विटी डिलीवरी (Equity Delivery)
जब निवेशक इक्विटी डिलीवरी में ट्रेडिंग करते हैं तो इसका मतलब होता है कि निवेशक किसी एक ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक को खरीदते हैं और दुसरे ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक को बेच देते हैं. जैसे आज आपने किसी कंपनी के शेयर ख़रीदे और कल, परसों, 1 हफ्ते बाद, 1 महीने बाद या 1 साल बाद आप कम्पनी के शेयर बेच देते हैं तो यह डिलीवरी इक्विटी कहलाती है. दो अलग – अलग सेशन में इक्विटी ट्रेडिंग करने को इक्विटी डिलीवरी कहते हैं.

2 – इक्विटी इंट्राडे (Equity Intraday)
जब निवेशक एक ही ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक खरीदते और बेचते है तो इसे इक्विटी इंट्राडे कहा जाता है. इक्विटी इंट्राडे में निवेशक कुछ घंटों, मिनटों या सेकंड में भी शेयर को खरीदकर बेच सकता है.
अगर आप इक्विटी इंट्राडे में निवेश करते हैं तो आपको एक ही दिन में अपने सभी ट्रेड को पूरा करना होता है. एक दिन में अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए इस प्रकार की ट्रेडिंग की जाती है.

इक्विटी मार्केट क्या होता है?:-
शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट को ही हम ‘इक्विटी मार्केट‘ भी कहते हैं.जब कोई कंपनी निवेशकों के लिए अपने शेयर्स जारी करती है तो उन शेयर्स को ही हम इक्विटी बोलते हैं. वैसे इक्विटी का मतलब ज्यादा कुछ नहीं बस शेयर्स ही होता है. तो जब आप शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर को खरीदते या बेचते हैं तो यह कहा जाता है कि आपने किसी कंपनी में इक्विटी ली है। तो हम कह सकते हैं कि जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती हैं वह निवेशकों के लिए इक्विटी जारी करती हैं ताकि निवेशक या ट्रेडर्स उनकी कंपनी में हिस्सेदार बन सके। इससे कंपनी के पास इक्विटी देने के बदले ज्यादा से ज्यादा पैसा आएगा और कंपनी अपने नेट प्रॉफिट को बढ़ा पाएगी।

Equity दो चीज़ो से बनती है :-
1) Share Capital
2) Reserves and Surplus

1) Share Capital (शेयर कैपिटल) :-
Share Capital वह पैसा है, जो कंपनी के शेयर उसकी Face Value पर बेचकर जुटाए जाते है।जब भी कंपनी बनाई गई होती है, तब कंपनी के एक शेयर की कीमत जो तय होती है, उसे Face Value कहते है।इसके ऊपर की शेयर की कीमत को प्रीमियम कहा जाता है।

2) Reserves and Surplus :-
Reserve and Surplus वह पैसा है, जो कंपनी मुनाफा कमाकर इकठ्ठा करती है।जैसे अगर कंपनी ने सभी खर्च निकाल के इस साल 10 करोड़ रुपए कमाए तो इस पैसे को कंपनी के Reserves and Surplus में रखा जाता है।जिस से कंपनी खुद अपने व्यापार में निवेश करके कंपनी को आगे बढ़ा सके।कई बार इस पैसे में से कुछ पैसो का उपयोग कंपनी अपने शेयर धारक को Dividend देने में भी करती है।

इक्विटी शेयरों के फायदे :-
1.इक्विटी शेयर लाभांश की एक निश्चित दर का भुगतान करने के लिए कोई दायित्व नहीं बनाते हैं। आप अपने मर्जी के हिसाब से ज्यादा या कम शेयर खरीद सकते हैं।
2.कंपनी की संपत्ति पर कोई शुल्क बनाए बिना इक्विटी शेयर जारी किए जा सकते हैं।
3.यह पूंजी का एक स्थायी स्रोत है तथा कंपनी को परिसमापन के अलावा इसे चुकाना पड़ता है।
4.इक्विटी शेयरधारक कंपनी के असली मालिक हैं जिनके पास मतदान अधिकार है।

इक्विटी शेयरों के नुकसान :-
1.यदि एक बार कंपनी ने इक्विटी शेयर जारी कर दिया तो, कंपनी इक्विटी पर ट्रेडिंग का लाभ नहीं ले सकती है।
2.चूंकि इक्विटी कैपिटल को भुनाया नहीं जा सकता है, इसलिए कैपिटलाइजेशन का खतरा है।
3.इक्विटी शेयरहोल्डर खुद को जोड़-तोड़ तथा व्यवस्थित करके प्रबंधन के लिए बाधाएं डाल सकते हैं।
4.समृद्ध अवधि के दौरान बाजार में शेयरों के मूल्य में वृद्धि के लिए उच्च लाभांश का भुगतान करना पड़ता है तथा यह अटकलों की ओर जाता है।
5.निश्चित आय के साथ सुरक्षित प्रतिभूतियों में निवेश करने की इच्छा रखने वाले निवेशकों को ऐसे शेयरों के लिए कोई आकर्षण नहीं है।

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