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दैवीय अनुपात

दैवीय अनुपात

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कोरोना की वजह से भारी कर्ज जाल में देश, 90 फीसदी हुआ डेट-जीडीपी अनुपात

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. हालांकि आईएमएफ ने यह भी कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में अब जो सुधार हो रहा है, उसकी वजह से यह अनुपात घटकर 80 फीसदी दैवीय अनुपात तक आ सकता है.

आईएमएफ की रिपोर्ट में जानकारी

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 अप्रैल 2021,
  • (अपडेटेड 08 अप्रैल 2021, 1:46 PM IST)
  • कोरोना संकट में बिगड़ा गण‍ित
  • देश का कर्ज बोझ बढ़ता गया

कोरोना संकट की वजह से देश का कर्ज-जीडीपी अनुपात ऐतिहासिक लेवल पर पहुंच गया है. साल 2020 में देश का कर्ज-जीडीपी अनुपात 74 फीसदी से बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

इसका मतलब यह है कि साल 2020 में भारत का कुल उत्पादन अगर 100 रुपये का था, तो कर्ज का बोझ बढ़कर 90 रुपया हो गया. गौरतलब है कि साल 2020 में भारत का कुल जीडीपी करीब दैवीय अनुपात 189 लाख करोड़ रुपये और कर्ज करीब 170 लाख करोड़ रुपये था. हालांकि आईएमएफ ने यह भी कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में अब जो सुधार हो रहा है, उसकी वजह से यह अनुपात घटकर 80 फीसदी तक आ सकता है.

गौरतलब है कि किसी देश के कुल कर्ज में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लिए गए कर्ज का योग होता है. इसकाे जब देश में एक साल के भीतर हुए कुल उत्पादन यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से विभाजित करते हैं तो कर्ज-जीडीपी अनुपात हासिल होता है.

क्या कहा आईएमएफ ने

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आईएमएफ के वित्तीय मामले विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पाओलो मॉरो ने कहा, 'कोरोना महामारी से पहले साल 2019 में भारत का कर्ज अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 74 फीसदी था, लेकिन साल 2020 में यह जीडीपी के करीब 90 फीसदी तक आ गया है. यह बढ़त काफी ज्यादा है, लेकिन दूसरे उभरते बाजारों या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का भी यही हाल है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा अनुमान है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था सुधरेगी, कर्ज अनुपात में सुधार होगा. अर्थव्यवस्था में अच्छा सुधार हुआ तो मध्यम अवध‍ि में यह अनुपात करीब 80 फीसदी तक आ जाएगा.'

उन्होंने कहा कि सबसे पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि लोगों और कंपनियों का सहयोग किया जाए, खासकर सबसे जोख‍िम वाले सेक्टर को. साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि आम जनता और निवेशकों को यह फिर से भरोसा दिया जाए कि लोक वित्त नियंत्रण में रहेगा और एक विश्वसनीय दैवीय अनुपात मध्यम अवध‍ि के राजकोषीय ढांचे के द्वारा इसे किया जाएगा.

क्या होना चाहिए अनुपात

ज्यादातर उन्नत देशों में कर्ज-जीडीपी अनुपात 40 से 50 फीसदी है. साल 2014-15 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो देश का कर्ज-जीडीपी अनुपात 2014-15 करीब 67 फीसदी था. गौरतलब है कि भारत सरकार के बजट के अनुसार इस साल केंद्र सरकार के खर्च हुए हर 1 रुपये में से करीब 20 पैसा ब्याज भुगतान में ही चला जाएगा.

दैवीय अनुपात

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प्रोटीन्स के विकृतीकरण का अर्थ .

Updated On: 27-06-2022

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Aap ko kya acha nahi laga

हेलो दोस्तो आप का प्रोफेशन है प्रोटीन के विकृति करण का अर्थ है दो उदाहरण दीजिए जो चली एक्सप्रेस को हल करते हैं दोस्तों प्रोटीन का विकृति करण क्या है तो फिर कोई भी हमारा जो प्रोटीन है उसके भौतिक और जैविक गुणों में उसके रासायनिक संगठन को प्रभावित किए बिना जो भी हम परिवर्तन करते हैं परिवर्तन करने की जो प्रक्रिया है उसे ही कहते हैं व्यतिकरण कहते हैं ठीक है तो प्रोटीन के विकृति करण में क्या होता है दोस्तों आस्तिक और दैवीय गुण प्रोटीन के बदल जाएं परंतु रसायनिक गुण ना बदले रासायनिक गुणों में और रासायनिक संगठन में कोई भी कोई भी परिवर्तन ना नहीं होना चाहिए रासायनिक संगठन का मतलब है जो भी प्रोटीन में प्रोटीन की जो भी रासायनिक संरचना है उसके और वह कि जो भी व्यवस्था है उसमें कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए किसी प्रकार का रसायनिक दैवीय अनुपात बंद नहीं टूटना चाहिए ठीक है उसके रासायनिक संगठन में कोई भी ना तो नया बंद बने और ना ही नया बंद टूटे इस प्रकार

इस प्रकार दोस्तों रासायनिक संगठन प्रभावित नहीं होना चाहिए परंतु उसके भौतिक और जैविक गुण बदल जाए तो इससे ही क्या कहते हैं प्रोटीन का विकृति करण कहते हैं तो इसी को तो उसे यहां पर मैं लिख रहा हूं खुदा ने यहां पर दोस्तों इसको मैंने लिखा है किसी प्रोटीन के भौतिक दैवीय अनुपात तथा दैवीय गुणों में उसके रसायनिक संगठन को प्रभावित किए बिना परिवर्तन करने की प्रक्रिया को प्रोटीन का पति दैवीय अनुपात करण कहते हैं अब उदाहरण के लिए जो हमारा अंडा होता है तो उसको उसको अगर हम उबाल लेते हैं तो अंडे को उबालने से पहले उसमें क्या होता जो प्रोटीन होता है हल्का द्रव अवस्था में होता है अंडे का प्रोटीन परंतु जब हम उसको बाल लेते हैं तो आप देखते हैं जो प्रोटीन है वह एक हल्का ठोस ठोस कह सकते हैं उसको गोश्त गोलीय रूप में बदल जाता है अर्थात उसका भौतिक भौतिक अवस्था क्या हुई उसकी बदल गई इसी प्रकार दूध दूध में दोस्तों कैसे नाम का प्रोटीन खुला रहता है ठीक है परंतु दूध जैसे ही फटता है वह तो तो क्या होता है दूध में आप देखेंगे छोटे-छोटे कर इकट्ठे

हो जाते हैं कार्ड बन जाते हैं ठीक है तो यह दोस्तों कैसे जो प्रोटीन भुला होता है दूध में उसी के छोटे-छोटे कौन है जो कि विकृत हो जाता है ठीक है यही दो उदाहरण है रूटीन के विकृति करण के आशा करता हूं आपको समझ में आया होगा धन्यवाद

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