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ईजी मार्केट्स

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कोरोनावायरस के फैलने की वजह से इस वित्त वर्ष में कंपनियों की पूंजी जुटाने की गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती हैं। मामले के जानकार तीन लोगों ने बताया कि भारतीय कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र, खास तौर पर सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में आयोजित होने वाले रोडशो को रद्द कर रही हैं या उसे टाल रही हैं। इस तरह के कार्यक्रमों के जरिये विदेशी निवेशकों को प्रवर्तकों से मिलने और कंपनी की संभावनाओं के बारे में सवाल-जवाब करने का मौका मिलता है। कोष जुटाने की गतिविधि से एक महीने पहले या कुछ हफ्ते पहले कंपनियों की ओर से इस तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं।

बाइकिंग के शौकीनों के लिए आई पल्सर वीएस 400, ईजी मार्केट्स जानें क्या है कीमत और फीचर्स?

नई दिल्ली: जो लोग एडवेंचरस बाइकिंग का शौक रखते हैं, उनके लिए ख़ुशी की खबर है। युवाओं में अपनी स्टाइलिश स्पोर्ट्स बाइक से पहचान बनाने वाली कंपनी बजाज जल्द ही अपनी फेमस बाइक पल्सर का नया वेरियंट पल्सर वीएस 400 पेश करने वाली है।

पल्सर की इस नई बाइक की रेंज 400 सीसी की होगी। इंडियन मार्केट्स में 400 सीसी सेगमेंट पल्सर का ये पहला मॉडल होगा। कंपनी की मानें कोशिश की जा रही है कि यह बाइक दिसंबर 2016 में ही लाइ जा सके। वहीं इस बाइक की कीमत करीब 2 लाख रुपए तक हो सकती है।

कंपनी का कहना है कि इस बाइक को खासकर लड़कों की पसंद को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह उन लड़कों को खासी पसंद आएगी। जो लंबी बाइक राइड के शौक़ीन हैं। इतना ही नहीं कंपनी का यह भी कहना है कि आजकल युवाओं में ईजी और लो मेनटेनेंस बाइक्स का क्रेज है। ऐसे में पल्सर की यह बाइक एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकती है। पल्सर वीएस 400 देखने में काफी स्टाइलिश है और स्पोर्टी फील देती है। कंपनी ने इसे 2014 के ऑटो ईजी मार्केट्स एक्सपो में शोकेस किया था।

यह हैं इस बाइक के फीचर्स

पल्सर वीएस 400 को 375सीसी सिंगल सिलेंडर लिक्विड कूल्ड 4 वॉल्ब ट्रिपल स्पॉर्क इंजन से लैस किया गया है। यह इंजन 9000आरपीएम पर 43बीएचपी का पावर और 7000आरपीएम पर 35 एमएम का टॉर्क जनरेट करता है। इतना ही नहीं बेहतरीन राइडिंग के लिए इसमें 6 स्पीड गियरबॉक्स भी दिया गया है। तो अगर आपको भी पल्सर की बाइक्स की दीवानगी है, तो तैयार हो जाइए, इस दमदार बाइक का मजा लेने के लिए।

क्या है निफ्टी-50 और इसमें कैसे होता है शेयरों का चुनाव

निफ्टी-50 ईजी मार्केट्स नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जब हम शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट, ट्रेडिंग, बुल, बेयर, इक्विटी आदि की बात कर रहे होते हैं, तो वास्तव में हम निफ्टी या सेंसेक्स के बारे में बात कर रहे होते हैं। निफ्टी और सेंसेक्स भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों को दर्शाते हैं। साथ ही ईजी मार्केट्स ये भारतीय अर्थव्यवस्था की लॉन्ग टर्म हेल्थ का अनुमान लगाने के लिए एक बैरोमीटर का भी काम करते हैं। आज हम निफ्टी-50 की बात करने जा रहे हैं। हम जानेंगे कि इसका क्या मतलब है और इसमें कौन-सी कंपनियां शामिल होती हैं। यहां बताते चलें कि 5पैसा डॉट कॉम फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म है। यहां आप म्यूचुअल फंड में भी पैसा लगा सकते हैं। खास बात यह है कि यहां जीरो ब्रोकरेज की सुविधा मिलती है।

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निफ्टी 50 क्या है?ईजी मार्केट्स

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में, निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। किसी भी इंडेक्स की तरह यह ब्लूचिप कंपनियों में इनवेस्टमेंट होल्डिंग्स के एक पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक, मारुति सुजुकी, टीसीएस, एशियन पेंट्स और 45 दूसरी इंडस्ट्री लीडिंग कंपनियां शामिल ईजी मार्केट्स ईजी मार्केट्स है। कई सारे म्यूचुअल फंड्स निफ्टी को अपने बेंचमार्क के रूप में यूज करते हैं। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में ईजी मार्केट्स लाया गया था।

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निफ्टी 50 स्टॉक्स का चयन कैसे होता है?

निफ्टी के पास अपनी कंपनियां चुनने के लिए एक बहुत अच्छी तरह परिभाषित और पारदर्शी कार्यप्रणाली है। इस सलेक्शन प्रोसेस को हम चार पार्ट्स में देख सकते हैं। यूनिवर्स ऑफ कंपनीज, बेसिक कंस्ट्रक्ट, लिक्विडिटी रूल्स, रीबैलेंसिंग और कॉन्स्टिट्यूशन रूल्स। निफ्टी का हिस्सा बनने के लिए किसी कंपनी को पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होना पड़ता है। कंपनी एनएसई के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए भी उपलब्ध रहनी चाहिए। बेसिक कंस्ट्रक्ट की बात करें, तो चुनी हुई कंपनी फ्री-फ्लोट मार्केट कैप के मामले में टॉप 50 कंपनीज में शामिल होनी चाहिए। तीसरी चीज है लिक्विडिटी और यहां केवल उन कंपनियों को चुना जाता है, जिनकी ट्रेडिंग वॉल्यूम हमेशा उच्च होती है। आखिरी है सेमी-एनुअल रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज, जो यह तय करता है कि कौनसा स्टॉक निफ्टी में रहेगा, कौन-सा नया स्टॉक आएगा और कौन-सा मौजूदा शेयर निफ्टी से बाहर जाएगा। यह प्रोसेस हर साल जून और दिसंबर में होती है।

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समय के साथ बदलता है निफ्टी

समय के साथ निफ्टी का सेक्टोरल रूप बदल गया है। अपनी स्थापना के समय निफ्टी में कोई भी टेक्नोलॉजी कंपनी नहीं थी और केवल एक निजी बैंक था। आज निफ्टी की टॉप-10 कंपनियों में चार निजी बैंक हैं और इंफोसिस और टीसीएस के रूप में दो बड़ी आईटी कंपनीज हैं। लेकिन इसमें कोई सरप्राइस नहीं होगा कि आने वाले 5, 10 और 20 सालों में निफ्टी अभी से काफी बदल जाएगा। समय के साथ हम नई कंपनीज और नए सेक्टर्स को उभरते हुए देखेंगे। जैसे 5 साल पहले यहां कोई इंश्योरेंस कंपनी नहीं थी, लेकिन आज है। इसी तरह ई-कॉमर्स और इंटरनेट कंपनियां पहले पूरी तरह प्राइवेट थीं, लेकिन आज हमारे पास जोमैटो है। इसके बाद फ्लिपकार्ट, पेटीएम, बायजू और दूसरे नए कंज्यूमर फेसिंग बिजनस इसे फॉलो करेंगे।

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1000 अंक के बेस से हुई थी शुरुआत

निफ्टी50 ने अपनी यात्रा 1000 पॉइंट्स की बेस वेल्यू से शुरू की थी। आज यह 18,000 के स्तर को पार कर गया है। इस तरह इसने गोल्ड और रियल एस्टेट जैसे दूसरी एसेट क्लास की तुलना में काफी अधिक रिटर्न दिया है। हालांकि, इक्विटी मार्केट्स के नेचर को दर्शाते हुए निफ्टी 50 में कई उतार-चढ़ाव भी आए हैं। जैसे साल 2008 में निफ्टी 50 फीसद से अधिक गिर गया और अगले ही साल 2009 में 76 फीसद बढ़ गया।

कोरोना से आईपीओ योजना पर असर

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कोरोनावायरस के फैलने की वजह से इस वित्त वर्ष में कंपनियों की पूंजी जुटाने की गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती हैं। मामले के जानकार तीन लोगों ने बताया कि भारतीय कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र, खास तौर पर सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में आयोजित होने वाले रोडशो को रद्द कर रही हैं या उसे टाल रही हैं। इस तरह के कार्यक्रमों के जरिये विदेशी निवेशकों को प्रवर्तकों से मिलने और कंपनी की संभावनाओं के बारे में सवाल-जवाब करने का मौका मिलता है। कोष जुटाने की गतिविधि से एक महीने पहले या कुछ हफ्ते पहले कंपनियों की ओर से इस तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं।

अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा हॉन्ग कॉन्ग भारतीय कंपनियों के लिए अहम क्षेत्रों में हैं क्योंकि कई बड़े संस्थागत निवेशक इन देशों से ही अपने कारोबार का परिचालन करते हैं। एक वरिष्ठ निवेश बैंकर ने कहा, 'कंपनी के अधिकारी स्वास्थ्य जोखिमों के चलते फिलहाल इन इलाकों की यात्रा नहीं करना चाह रहे हैं। इसकी वजह से वैश्विक स्तर पर रोडशो रद्द किए जा सकते हैं, वहीं कोष जुटाने की योजना में भी कुछ देरी हो सकती है।'

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से विभिन्न कंपनियों के करीब 17,300 करोड़ रुपये के आईपीओ को मंजूरी मिल चुकी है और करीब 24,000 करोड़ रुपये के आईपीओ की मंजूरी लंबित है। सरकार भी 2019-20 के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए शेयरों की बिक्री करने की योजना बना रही है। आईपीओ लाने की कतार में शामिल कंपनियों में एसबीआई काड्र्स ऐंड पेमेंट सर्विसेस, होम फर्स्‍ट फाइनैंस, बजाज एनर्जी, ईजी ट्रिप प्लानर्स, इक्विटास स्मॉल फाइनैंस बैंक, श्रीराम प्रॉपर्टीज, मझगांव शिपबिल्डर्स, ईएसएएफ स्मॉल फाइनैंस बैंक और आईआरएफसी प्रमुख हैं। एवेन्यु सुपरमाट्र्स भी प्रवर्तक हिस्सेदारी कम करने के लिए इस महीने 7,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी ला सकती है। लेकिन कोरोनावायरस की वजह से कुछ कंपनियों करी पूंजी जुटाने की समयसीमा प्रभावित हो सकती है।

येस सिक्योरिटीज में मर्चेंट बैंकिंग की ग्लोबल हेड और समूह अध्यक्ष अमिशी कपाड़‍िया ने कहा कि पहले हॉन्ग कॉन्ग में विरोध-प्रदर्शन की वजह से पहले ही इस इलाके में रोडशो प्रभावित हुआ था और अब कोरोनावायरस के कारण कार्यक्रम रद्द करने पड़ सकते हैं। कपाड़‍िया ने कहा कि सिंगापुर में हमने अभी तक रोडशो रद्द नहीं किए हैं लेकिन स्थिति पर करीबी नजर है और अगले कुछ दिनों में इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'हम अपने निवेशकों के लिए कॉन्फ्रेंस कॉल करने का विकल्प भी तलाश रहे हैं।'

इडलवाइस इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में इक्विटी कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख जिबी जैकब ने कहा, 'हम हॉन्गकॉन्ग में रोडशो से परहेज कर रहे हैं पर सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन में निवेशकों से मिलना जारी रखेंगे। कुछ बैठकों को वीडियो कॉन्फ्रेंस में बदला गया है। इसलिए समयसीमा पर असर नहीं पड़ेगा।' विशेषज्ञों ने कहा, '1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक पूंजी जुटाने वाली कंपनियों के लिए वीडियो कॉल का विकल्प व्यवहार्य नहीं है।'

एक वरिष्ठ निवेश बैंकर ने कहा, 'निवेशक प्रवर्तक का समर्थन कर रहे हैं और कंपनी के आंकड़ों से ज्यादा प्रवर्तकों से आमने-सामने मुलाकात करने को इच्छुक हैं। वे देखना चाहते हैं कि प्रवर्तक किस तरह से खुद को प्रस्तुत करते हैं और अपने दृष्टिकोण को कैसे समझाते हैं। ये सब चीजें आप वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये नहीं कर सकते हैं।' इससे केवल कोष जुटाने की गतिविधि ही नहीं, बल्कि वैश्विक निवेशकों की बैठकें भी प्रभावित हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी वार्षिक वैश्विक निवेशक बैठक को रद्द कर दिया है जिसका आयोजन इसी महीने सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में होना था। इस तरह की बैठक वैश्विक निवेशकों से भारतीय कंपनियों को मिलने का मौका मिलता है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने ईमेल से भेजे जवाब में कहा, 'हमने कोरोनावायरस की वजह से अपनी वैश्विक निवेशक बैठक टाल दी और नई तिथि को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।' चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण शुरू हुआ था जिसका असर दुनिया भर के बाजारों पर पड़ा है। मध्य जनवरी 2020 से एशियाई शेयर बाजार में 4 से 6 फीसदी की गिरावट आई है।

शांघाई स्टॉक एक्सचेंज सोमवार को लगभग आठ फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह पिछले पांच साल की अवधि में सबसे बड़ी गिरावट है। इसकी प्रमुख वजह कोरोना वायरस को लेकर बढ़ती चिंता है। इस वायरस से अब तक 300 से अधिक मौत हो चुकी हैं। शांघाई कंपोजिट इंडेक्स 229.92 गिरकर 2,746.61 पर और शेनझेन कंपोजिट इंडेक्स 8.41 फीसदी गिरकर 1,609 पर बंद हुआ। चीन में कोरोना वायरस फैलने की वजह से दुनिया भर के बाजारों में गिरावट का रुख बना हुआ है। छुट्टियों के बाद चीन का बाजार खुलने पर इसमें भी तेज गिरावट आई। हालांकि घरेलू बाजार में गिरावट पर लगाम लगी। उतार-चढ़ाव वाले कारोबार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 136.78 अंक मजबूत होकर 39,872.31 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 46.05 अंक चढ़कर 11,707.90 पर बंद हुआ।

निवेशकों को सोच-समझकर ही शेयर बाजार में पैसे लगाने चाहिए : शक्तिकांत दास

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत ने अर्थव्यवस्था में तेज रिकवारी की उम्मीद जताई.

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शक्तिकांत दास ने कहा कि बचत करने वाले लोगों को सबसे पहले मुद्रास्फीति पर गौर करना चाहिए. इसकी वजह यह है कि अगर मुद्रास्फीति की दर बहुत ज्यादा है तो बचत पर मिलने वाला असल रिटर्न काफी घट जाता है. इसलिए मुद्रास्फीति की दर को निश्चित दायरे में रखना जरूरी है.

गिरती ब्याज दरों के बीच बचत करने वाले लोगों को क्या करना चाहिए?
बचत करने वाले लोगों को सबसे पहले मुद्रास्फीति पर गौर करना चाहिए. इसकी वजह यह है कि अगर मुद्रास्फीति की दर बहुत ज्यादा है तो बचत पर मिलने वाला असल रिटर्न काफी घट जाता है. इसलिए मुद्रास्फीति की दर को निश्चित दायरे में रखना जरूरी है. सामान्य रूप से इसे 4 फीसदी होना चाहिए. लेकिन, कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इसके लिए 5 फीसदी ईजी मार्केट्स और इससे थोड़ा ज्यादा का लक्ष्य तय किया है.

निश्चित समय के लिए मुद्रास्फीति में उछाल देखने को मिला था. लेकिन अब इसमें नरमी आ रही है. हमने पॉलिसी रेट को 6.5 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है. यह आरबीई के इतिहास में सबसे कम रेट में से एक है. इसलिए रेट घटने से बचत करने वाले लोगों पर असर पड़ा है. ऐसे में बैंकों को सही प्रोडक्ट्स देने होंगे. बचत करने वाले लोगों से मैं कहना चाहूंगा कि स्मॉल सेविग्स स्कीमों के तहत कई इंस्ट्रूमेंट हैं, जिनमें वे निवेश कर सकते हैं.

शेयर बाजार में जारी तेजी के बारे में आपका क्या ख्याल है?
निवेशकों को इस बारे में खुद फैसला लेना होगा. लेकिन, केंद्रीय बैंक के रूप में हमने पाया है और कहा है कि बुनियादी अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल मार्केट्स की चाल अलग-अलग दिख रही है. आने वाले समय में दोनों की चाल में समानता देखने को मिलेगी. इस तरह की स्थितियों में निवेशकों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे सोच-समझकर फैसला लें. उन्हें छोटी अवधि के ट्रेंड और घटनाक्रम से प्रभावित नहीं होना चाहिए. खासकर छोटे निवेशकों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. उन्हें अपने फैसले खुद लेने चाहिए.

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