क्या क्रिप्टोकरेन्सी इंडिया में लीगल है

Cryptocurrency Bill: भारत में क्रिप्टो पर लगेगा बैन, जानें क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल, कैसे इस पर काबू पाएगी सरकार?
नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वॉइन को लेकर आजकल आए दिन कईं खबरें सुनने को मिल रही हैं। आपकी तिजौरी में पड़े लाखों करोड़ों की सेविंग्स से ज्यादा इस करेंसी की चर्चा हो रही है। लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर काबू पाने के लिए अब मोदी सरकार ने कमर कस ली है। लगातार क्रिप्टो में उतार-चढ़ाव को […]
November 24, 2021
नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वॉइन को लेकर आजकल आए दिन कईं खबरें सुनने को मिल रही हैं। आपकी तिजौरी में पड़े लाखों करोड़ों की सेविंग्स से ज्यादा इस करेंसी की चर्चा हो रही है। लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर काबू पाने के लिए अब मोदी सरकार ने कमर कस ली है। लगातार क्रिप्टो में उतार-चढ़ाव को लेकर अब सरकार की ओर से क्रिप्टो शिकंजा कसने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में ‘द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करेगी। बिल आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करेगी और भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी। आपको बता दें कि यह क्रिप्टोकरेंसी बिल संसद के इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जोकि 29 नवंबर यानी अगले सोमवार से शुरू हो रहा है।
सरकार क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 के नाम बिल लेकर आ रही है। इस बिल के जरिए ये प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सारी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी। साथ ही इस बिल के माध्यम से सरकार रिजर्व बैंक इंडिया के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए आसान फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना भी बनाएगी। आपको बता दें कि इसे लेकर 16 नवंबर को पहली बार संसदीय समिति की एक बैठक हुई थी जिसमें क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन. क्रिप्टो एसेट काउंसिल, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य पक्षों को लेकर क्रिप्टोकरेंसी के नियमन और प्रोत्साहन से जुड़े पहलुओं पर विचार किया गया था।
आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है? और इसका सारा लेनदेन कैसे होता है? क्या यह पूरी तरह से सेफ है? इन सब सवालों के जवाब अब हर कोई जानना चाहता है। तो चलिए आज हम आपको इस वीडियो में बताएंगे कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है और यह कैसे काम करती है।
दरअसल क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जो डिजीटल होती है। यानि कि आप इसे न तो देख सकते हैं और ना ही आप इसे छू सकते हैं। यह सिर्फ डिजिटल रूप में होती है लेकिन देश की सरकारें इस करंसी के लिए कोई नोट या सिक्के जारी नहीं करती। यानि कि आप के पास कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है और इसका सारा लेनदेन ऑनलाइन ही किया जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आपके पास कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है तो ऐसे में ऑनलाइन लेन देन भी कैसे होगा तो आपको बता दें कि इस करेंसी का सारा लेन देन एक ब्लॉकचेन सॉफ्टवेयर के जरिए किया जाता है। यानि कि यह डिजिटल करेंसी इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती है। और इसके लेनदेन को मैनेज करने के लिए डिसेंट्रेलाइज्ड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।
जब भी आप क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से कोई लेन देन करते हैं तो वह डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है। इतना ही नहीं इसके सारे लेन देन का क्रिप्टोग्राफी की मदद से रिकॉर्ड रखा जाता है और हर जानकारी का डिजिटल रूप से डेटाबेस तैयार किया जाता है।
आसान भाषा में समझें तो क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है। यानि कि आप यूं कह लीजिए कि यह सारा काम ऐसे कंप्यूटर्स के जरिए होता है जो बेहद पावरफुल होते हैं। जिन पॉवरफुल कंप्यूटर्स द्वारा इसकी निगरानी रखी जाती है उसे क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग कहते हैं और जिनके द्वारा यह माइनिंग की जाती है उन्हें माइनर्स कहा जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो इसके कोड तक को कॉपी करना भी नामुमकिन है।
बता दें कि वर्तमान में, देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई भी रेगुलेशन नहीं है। इस वजह से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की थी और मजबूत रेगुलेटरी स्टेप्स उठाने के संकेत दिए थे।
अब आपको बताते हैं कि आखिर इसका लेन देन कैसे किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी में जब भी कोई ट्रैंजेक्शन होता है तो इसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है। यानी कि आपने किसी के साथ कोई लेन देन किया तो उसकी जानकारी ब्लॉक में रख ली जाती है। ये सुनने के बाद आपके दिमाग में पहला सवाल ये आया होगा कि अगर इसकी जानकारी ब्लॉक में रखी जाती है तो ये कितना सेफ है? तो इस पर भी आपको बता दें कि ब्लॉक की सिक्योरिटी और इंक्रिप्शन का काम माइनर्स का होता है। इसके लिए एक क्रिप्टोग्राफिक पहेली को हल कर ब्लॉक के लिए उचित हैश यानि कि कोड खोजा जाता है।
जब कोई क्या क्रिप्टोकरेन्सी इंडिया में लीगल है माइनर या कोई शख्स जो माइनिंग कर रहा है वह सही हैश खोज लेता है तो ब्लॉक को सिक्योर कर दिया जाता है और उसे ब्लॉकचेन से जोड़ दिया जाता है। इस सारे प्रोसेस को consensus कहा जाता है। यानि कि अगर consensus हो गया तो इसका अर्थ है कि ब्लॉक में सिक्योर होने की पुष्टि हो गई। और फिर इसके बाद सिक्योर करने वाले माइनर को क्रिप्टोक्वॉइन cryptocoin दे दिए जाते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी से आप सामान खरीद सकते हैं। आप इससे टरेड कर सकते हैं चाहे तो इन्वेस्ट भी कर सकते हैं लेकिन अपनी तिजोरी में नहीं रख सकते और न ही बैंक के लॉकर में रख सकते हैं क्योंकि यह डिजीट्स के रूप में ऑनलाइन रहती है।
बेशक आज के समय में क्रिप्टोकरेंसी काफी नाम कमा रही है लेकिन इसके कईं नुकसान भी हैं जैसे कि पहला क्या क्रिप्टोकरेन्सी इंडिया में लीगल है नुकसान
2. क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना आपके लिए फायदेमंद रह सकता है क्योंकि इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उछाल आता है
3. इस करेंसी की कोई अथॉरिटी या कोई बॉडी ना होने के कारण आपको नोटबंदी और करेंसी का मूल्य घटने जैसा कोई डर भी नहीं होता है
अब आपको बताते हैं उस बिटकॉइन के बारे में जो पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। बिटकॉइन दुनिया की सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। कहा जाता है कि साल 2009 में Satoshi Nakamoto छद्म नाम के शख्स ने इसे बनाया था बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी पहले इतनी चर्चित नहीं थी। सालों पहले इसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे लेकिन आज यह दुनिया की सबसे महंगी डिजीटल करेंसी है। हालांकि शुरुआत में कईं देशों की तरफ से इसे अवैध करार दिया गया था लेकिन बाद में इसकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई।
इसका बड़ा कारण यह है कि इसमें रिटर्न अनुमान से कहीं ज्यादा मिलने लगा है। रिपोर्टस की मानें तो एक समय में जिस 10 हजार बिटकॉइन से महज 2 पिज्जा खरीदे जाते थे, अब उस एक बिटकॉइन की कीमत ही 17 लाख रुपये के आस-पास है। इसलिए अच्छे रिटर्न की आस में कई लोग बिटकॉइन को खरीदने में वास्तविक मुद्रा लगा रहे हैं।
जब भी क्रिप्टोकरेंसी का नाम लिया जाता है तो लोगों को सबसे पहला ख्याल बिटकॉइन का आता है लेकिन बिटकॉइन के अलावा भी बहुत सारी करेंसी हैं जिनता इस्तेमाल आप कर सकते हैं। जैसे कि एथेरियम (ETH), लिटकोइन (LTC), डॉगकॉइन (Dogecoin) फेयरकॉइन (FAIR), डैश (DASH), पीरकॉइन (PPC), रिपल (क्या क्रिप्टोकरेन्सी इंडिया में लीगल है XRP)।
क्या क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लिए SIP है बेहतर विकल्प? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
एक व्यक्ति दैनिक या मासिक आधार पर एक निश्चित राशि में क्रिप्टो खरीदकर और इसे अपने पसंदीदा वॉलेट या हार्डवेयर वॉलेट में स्टोर करके स्वतंत्र रूप से भी SIP कर सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश में काफी जोखिम होता है.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश में काफी जोखिम होता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन कर लेना चाहिए, ताकि नुकसान होने की स्थिति में ज्यादा पछतावा ना हो. यह ना सिर्फ उतार-चढ़ाव से भरा होता है, बल्कि इससे संबंधित नियम-कानूनों में भी स्पष्टता नहीं है. भारत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी रखने को लेकर चेतावनी देता रहा है, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने इसमें निवेश करना नहीं छोड़ा है.
SIP के ज़रिए कर सकते हैं क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्ट
इसमें शामिल सभी जोखिमों पर विचार करने के बाद भी, अगर कोई व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहता है, तो इसके कई तरीके हैं. इन्हीं तरीकों में से एक है सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP). वर्तमान में भारत में कुछ एक्सचेंजों के द्वारा SIP की पेशकश की जा रही है. एक व्यक्ति दैनिक या मासिक आधार पर एक निश्चित राशि में क्रिप्टो खरीदकर और इसे अपने पसंदीदा वॉलेट या हार्डवेयर वॉलेट में स्टोर करके स्वतंत्र रूप से भी SIP कर सकता है. अब एक सवाल जो मन में आता है वह ये है कि आपको क्रिप्टोकरेंसी में SIP करना चाहिए या नहीं.
जानिए, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए SIP सबसे बेहतर तरीका हो सकता है. Alliance School of Business में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनय अस्थाना ने FE ऑनलाइन को बताया कि SIP का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें बाजार में टाइमिंग को लेकर किसी तरह की समस्या नहीं होती. इसके साथ ही बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति से बचने के लिए भी SIP एक बेहतरीन विकल्प है.
स्टॉक और म्यूचुअल फंड जैसे ट्रेडिशनल एसेट्स के लांग-टर्म इंवेस्टर्स के लिए SIP एक बढ़िया विकल्प है. लेकिन जब बात आती है क्रिप्टोकरेंसी क्या क्रिप्टोकरेन्सी इंडिया में लीगल है की, तो डॉ अस्थाना कहते हैं कि क्रिप्टो में ट्रेडिशनल एसेट क्लासेस की तुलना में कई गुना ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. यह क्रिप्टो एसेट्स में निवेश के लिए SIP के समर्थन का एक मजबूत तर्क है. हालांकि, डॉ अस्थाना ने कई ऐसे तर्क दिए, जो क्रिप्टो में SIP के समर्थन को कमजोर करते हैं.
- क्रिप्टो बाजार शेयर बाजारों की तरह एफिशिएंट नहीं हैं.
- क्रिप्टो-एसेट्स ने सभी एसेट क्लासेस में सबसे ज्यादा रिटर्न जनरेट किया है. लेकिन, क्या यह टिकाऊ है? यह एक ऐसा सवाल है जिसने पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है. कुछ मानते हैं कि यह एक क्रांति की तरह है, जिसकी तुलना इंटरनेट क्रांति से की जा सकती है. वहीं कुछ का मानना है कि यह एक बुलबुले से ज्यादा कुछ नहीं है.
- क्रिप्टो एसेट्स का वैल्यूएशन मौलिक तरीकों से ट्रेडिशनल एसेट्स से अलग होता है.
- इन सबके अलावा, इसके नियम-कानूनों में स्पष्टता नहीं है. इससे भी जोखिम बढ़ जाता है.
अस्थाना ने आगे कहा, “इन तथ्यों से लगता है कि क्रिप्टो एसेट्स में SIP एक समझदार स्ट्रेटजी है, लेकिन पूरी तरह सही नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि क्रिप्टो-एसेट्स के संबंध में कई बुनियादी मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं.”
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर RBI ने कई बार जारी की है चेतावनी
Clear के फाउंडर और CEO अर्चित गुप्ता ने कहा, ‘भारत में क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी के नियम-कानूनों में अस्पष्टता है. RBI ने समय-समय पर निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी रखने को लेकर चेतावनी दी है. इसके अलावा, यह भारी उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है. आपको अपनी जीवन भर की बचत को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।”
हालांकि गुप्ता ने आगे कहा कि अगर आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहते हैं तो SIP सबसे बढ़िया तरीका हो सकता है. कई प्लेटफ़ॉर्म आपको केवल 100-500 रुपये प्रति किश्त के साथ क्रिप्टोकरेंसी में SIP शुरू करने की अनुमति देते हैं. इसके अलावा, कई निवेशक साप्ताहिक या मासिक किश्त के विकल्प के बजाय, दैनिक SIP का विकल्प चुनते हैं क्योंकि एक महीने की अवधि के भीतर क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में भारी उतार-चढ़ाव हो सकता है.
(डिस्क्लेमर : इस स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सुझाव संबंधित कमेंटेटर द्वारा दी गई हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन उनकी सलाह के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. कृपया क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें.)
(Article: Rajeev Kumar)
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क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई? समझें Crypto Currency पर सरकार के फैसले के मायने
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अब भारत में डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल करेंसी में 100 रुपये निवेश करता है और उसे इस पर 10 रुपये का फायदा होता है, तो उन 10 रुपये में से 3 रुपये उसे टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.
मंगलवार को जब वित्त मंत्र निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया तब एक प्वॉइंट ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. वो है डिजिटल करेंसी या Crypto Currency पर सरकार द्वारा लगाया गया नया टैक्स. अब भारत में डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल करेंसी में 100 रुपये निवेश करता है और उसे इस पर 10 रुपये का फायदा होता है, तो उन 10 रुपये में से 3 रुपये उसे टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.
सरकार लेगी TDS
इसके अलावा डिजिटल करेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से एक प्रतिशत TDS सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी व्यक्ति ने किसी डिजिटल करेंसी में निवेश किया हुआ है. ये निवेश उसका Asset है. अब अगर ये व्यक्ति इस Asset को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS का मतलब होता है Tax deduction at source. यानी वो टैक्स, जो किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. यानी कुल मिलाकर सरकार क्या क्रिप्टोकरेन्सी इंडिया में लीगल है डिजिटल करेंसी को एक इनकम Source मान रही है और इसकी कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स भी लगा दिया गया है.
क्या वैध है क्रिप्टो करेंसी?
बहुत सारे लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? तो इसका जवाब हां और नहीं दोनों में है. दरअसल, सरकार केवल उसी डिजिटल करेंसी को लीगल यानी वैध मान रही है, जो करेंसी Reserve Bank of India द्वारा जारी की जाएगी. इसका मतलब ये हुआ कि अभी जो Crypto Currency है, जैसे Bitcoin, उसे डिजिटल करेंसी नहीं माना जाएगा. बल्कि उसे डिजिटल Asset माना जाएगा. अगर आपको ये सब जटिल लग रहा है तो इसे ऐसे समझिए कि आप जो सोना खरीदते हैं या जो आपका घर है, वो आपके Assets हैं. यानी आपकी सम्पत्ति है, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी, और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. इसलिए अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल मान लिया गया है तो ये तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं होगा. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
टैक्स के पीछे ये है सरकार की मंशा
अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में डिजिटल करेंसी पर इसी तरह से वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं, जिसकी वजह से इन देशों में इस करेंसी को लीगल यानी वैध माना जाता है. हालांकि कुछ देशों में इस पर अपवाद की भी स्थिति है. भारत सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने Crypto Currency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत हैं. इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपये इस समय ऐसी Digital Currency के रूप में दांव पर लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में Crypto Currency का इस्तेमाल करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपये के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए. दूसरी बात, सरकार ये जानती है कि उसके इस फैसले के बाद लोग डिजिटल करेंसी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. इसलिए उसने एक और विकल्प तैयार किया है.
RBI लॉन्च करेगा अपनी करेंसी
इसके तहत वर्ष 2023 तक Reserve Bank of India यानी RBI अलग से अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा, जो बाकी करेंसी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित और स्थिर होगी. सरल भाषा में कहें तो जैसे RBI, कागज की करेंसी छापता है, ठीक वैसे ही उसकी मुहर वाली डिजिटल करेंसी भी आ जाएगी, जिससे लोग इसमें निवेश कर पाएंगे. इस बजट में एक और बात पर ज्यादा लोगों ने ध्यान नहीं दिया और वो ये है कि, अगर कोई व्यक्ति, किसी दूसरे व्यक्ति को बतौर Gift डिजिटल करेंसी भेजता है, तब ऐसी स्थिति में जिस व्यक्ति को ये करेंसी मिलेगी, उसे 30 प्रतिशत टैक्स भरना ही होगा.