डे ट्रेडिंग स्टॉक

एंजल ब्रोकिंग में इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें
आप ना केवल मूल्य में वृद्धि होने पर अभी तो मूल्य में गिरावट आने पर भी कमा सकते हैं। यदि शेयर का प्राइस गिर रहा है और आपको लगता है कि यह और गिरेगा तो इस स्थिति में आप शेयर बेचकर करके पैसे कमा सकते हैं।
निम्नलिखित कदमों का उपयोग करके आप इंट्राडे में स्टॉक्स बेचकर कमाई कर सकते हैं:
- अपने एंजल ब्रोकिंग ऐप से सर्च आइकन को क्लिक कीजिए तथा उस स्टॉक को ढूंढिए जिसमें आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं। सबसे पहले रिजल्ट पर क्लिक कीजिए। आप यदि यह सोचते हैं की मूल्य डे ट्रेडिंग स्टॉक पहले से ही बहुत अधिक है और निश्चित ही इनमें गिरावट आएगी तो Sell बटन को दबाइए।
- Quatity फील्ड में जितने शेयर आप बेचना चाहते हैं उनकी संख्या लिखिए और उसके बाद यह निश्चित कीजिए की क्या आप मार्केट ऑर्डर प्लेस करना चाहेंगे या लिमिट ऑर्डर (मैं ऊपर समझा चुका हूं)।
- Intraday को Product Type के रूप में चुने।
- बाकी बचे दो फील्ड्स को ना छुएं और सेल ऑर्डर को प्लेस करने के लिए Sell बटन को दबाएं।
- अपने सेल आर्डर के विवरण को कंफर्म करने के लिए Confirm को क्लिक करें।
- आपका ऑर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा और आप तभी कमा पाएंगे यदि मूल्य में गिरावट आती है तथा आपको हानि होगी यदि मूल्य में वृद्धि होती है।
- होने वाली हानि को सीमित करने के लिए स्टॉप लॉस ऑर्डर को प्लेस करना ना भूलें।
- तय किए गए लक्ष्यों की प्राप्ति के बाद एग्जिट करें और अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर को कैंसिल करें।
इस प्रकार, एंजल ब्रोकिंग में इंट्राडे में बेचकर आप कमाई कर डे ट्रेडिंग स्टॉक सकते हैं।
अस्वीकरण: इस पोस्ट में उपलब्ध सूचना केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। कृपया किसी भी सुझाव को निवेश की सलाह के रूप में ना लें। ट्रेडिंग जोखिम से संबंधित होती है इसीलिए इसे ध्यानपूर्वक करें।
1 रुपए में इंट्रा डे और इन्वेस्टमेंट प्लान: सैमको ने लॉन्च किया भारत का पहला रियल-टाइम स्टॉक ट्रेडिंग ऐप, रिस्क रेशियो पर रख सकते हैं नजर
अगर आप शेयर बाजार के निवेशक हैं तो अब आप एक रुपए के चार्ज पर इंट्रा डे और इन्वेस्टमेंट प्लान का आइडिया पा सकते हैं। इंट्रा डे मतलब एक ही दिन में शेयर खरीदने और बेचने से होता है। सैमको ने इसी डे ट्रेडिंग स्टॉक तरह का एक ऐप लांच किया है जो रियल टाइम स्टॉक ट्रेडिंग एएप है। निवेशक इसके जरिए रिस्क रेशियो पर भी नजर रख सकते हैं।
लाखों नए निवेशक बाजार से जुड़े
कोविड-19 महामारी में लाखों नए निवेशक इक्विटी मार्केट को आय के एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में देख रहे हैं। लेकिन ऐसे लोगों को डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के बाद यह नहीं मालूम होता है कि आगे क्या करना है। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए सैमको सिक्योरिटीज ‘KyaTrade’ नाम से ऐप लांच किया है। यह इस इंडस्ट्री में अपनी तरह का पहला ऐप है। यह एक ऐसा ऐप है, जिस पर निवेशकों को ट्रेडिंग के आइडिया से लेकर रेकमेंडशन तक मिलते हैं।
इस ऐप पर निवेशक को नए और काफी अधिक कंविक्शन वाले इक्विटी ट्रेडिंग के साथ-साथ इंवेस्टमेंट आइडिया मिलते हैं।
पहले महीने के लिए एक रुपए का स्टार्टर पैक
KyaTrade मार्केट के इंवेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए बिल्कुल अलग-अलग सोल्यूशन पेश करता है, क्योंकि दोनों के पोर्टफोलियो, रिस्क प्रोफाइल और ऑब्जेक्टिव बिल्कुल अलग-अलग तरह के होते हैं। ग्राहक पहले महीने में मात्र एक रुपए का चार्ज देकर इंट्राडे और इंवेस्टमेंट प्लान दोनों के बेनिफिट्स ले सकते हैं।
बाजार में प्रवेश करना आसान नहीं
सैमको ग्रुप के फाउंडर एवं सीईओ जिमित मोदी ने कहा कि सैमको इक्विटी ब्रोकिंग मार्केट में निवेशकों और ट्रेडर्स की वास्तविक चुनौतियों को सुलझाने में हमेशा से आगे रहा है। हमारा मानना है कि मार्केट में प्रवेश करना आसान है क्योंकि कोई भी ब्रोकिंग और डिमैट अकाउंट खुलवाकर साइनअप कर सकता है लेकिन मार्केट को ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट के जरिए जोखिम को समायोजित कर आय का स्रोत बनाना चुनौतीपूर्ण बना रहता है।
इन्वेस्टर और ट्रेडर हमेशा एक्सपर्ट्स के रेकमेंडेशन चाहते हैं। एक बार जब वे मार्केट में कोई पोजिशन ले लेते हैं तो वह शायद ही यह जान पाते हैं कि उन्हें आगे अपने ट्रेड या इंवेस्टमेंट का क्या करना है।
शेयर बाजार से फायदा कमाना आसान नहीं
सैमको सिक्योरिटीज में प्रमुख (इक्विटी रिसर्च) निराली शाह ने कहा कि शेयर बाजार से लाभ अर्जित करना कोई आसान काम नहीं है। आप ऐसे ट्रेडर्स से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जो बहुत बड़े पैमाने पर और तमाम तरीके के रिसर्च करके इन्वेस्ट करते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह आजीविका का साधन होता है। KyaTrade आपके एंट्री के समय के रेट, पोजिशन के आकार, टार्गेट और स्टॉप लॉस को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही हमने ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए डे ट्रेडिंग स्टॉक अलग-अलग रणनीति अपनाई है। इससे यह सबके लिए फायदेमंद विकल्प बन जाता है।
KyaTrade के दो सब्सक्रिप्शन प्लान हैं
KyaTrade के दो सब्सक्रिप्शन प्लान हैं। प्रतिदिन ट्रेडिंग करने वालों के लिए ‘इंट्राडे प्लान’ है। दूसरी ओर, निवेशकों के लिए ‘इंवेस्टमेंट प्लान’ है। इंट्राडे प्लान केवल सीरियस ट्रेडर्स के लिए है, जो सुबह 9.15 बजे से शाम 3.30 तक पूरी तरह समर्पित होकर ट्रेडिंग करते हैं। इसके लिए सबसे कम शुरुआती पूंजी- दो लाख रुपए है। यह केवल प्रोफेशनल ट्रेडर्स के लिए है। इंवेस्टमेंट प्लान में निवेश की शुरुआत करने वालों से लेकर सभी के लिए यह उपयुक्त है।
100 ट्रेड में पैसे नहीं बना तो फीस वापस
अगर निवेशक इन्वेस्टमेंट प्लान सिफारिश के तहत 100 ट्रेड से पैसे नहीं बना पाता है तो पूरी वार्षिक सब्सक्रिप्शन फीस रिफंड हो जाएगी। सभी श्रेणियों में हर ऑर्डर पर 20 रुपए का ब्रोकरेज शुल्क देना होगा। पहले साल के लिए कोई सालाना मैनेजमेंट चार्ज नहीं लगेगा।
5-20 ट्रेडिंग आइडिया हर दिन मिलती है
KyaTrade प्लान्स में बाजार के उतार-चढ़ाव के आधार पर हर दिन 5 से 20 ट्रेडिंग आइडिया की सिफारिश मिलती है। आने वाले समय में अन्य श्रेणियों में भी इक्विटी कैश में नए ट्रेडिंग आइडिया जोड़े जाएंगे। इसे मासिक और वार्षिक आधार पर सब्सक्राइब किया जा सकता है। मासिक सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमत 1,500 रुपए प्रति माह और वार्षिक सब्सक्रिप्शन प्लान 9,000 रुपए प्रति वर्ष का है।
Stock Market के ब्रोकर पर बैंकों की बड़ी चोट, अब बिना गारंटी वाले इंट्राडे फंडिंग पर लग सकती है रोक, जानिए क्या होगा असर
Stock News Hindi: भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में ही देश के चार निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों को कहा है कि ब्रोकर को बिना गारंटी के दिया जाने वाला इंट्राडे क्रेडिट बंद करने की व्यवस्था करें. आरबीआई ने कहा है कि अगर इस तरह की रकम देनी है तो उसका कम से कम 50 फ़ीसदी ब्रोकर से फिक्स डिपॉजिट या मार्केटेबल सिक्योरिटीज के रूप में रखा जाए. दो सीनियर बैंकर ने इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है.
शेयर बाजार में कामकाज कर रहे बहुत से ट्रेडर गारंटी के बिना मिलने वाले इस लोन की मदद से खासी कमाई करते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में ही देश के चार निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों को कहा है कि ब्रोकर को बिना गारंटी के दिया जाने वाला इंट्राडे क्रेडिट बंद करने की व्यवस्था करें. आरबीआई ने कहा है कि अगर इस तरह की रकम देनी है तो उसका कम से कम 50 फ़ीसदी ब्रोकर से फिक्स डिपॉजिट या मार्केटेबल सिक्योरिटीज के रूप में रखा जाए. दो सीनियर बैंकर ने इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है.
अगर कोई ब्रोकर रोजाना इंट्राडे डे ट्रेडिंग स्टॉक फंडिंग के रूप में बैंक से 500 करोड़ रुपए लेता है तो उसे ढाई सौ करोड़ रुपए का कॉलेटरल बैंक के पास रखना पड़ेगा. इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, "शेयर बाजार में कारोबार करने वाले ब्रोकर को कॉलेटरल की व्यवस्था करनी पड़ेगी. कुछ छोटे ब्रोकर को इससे काफी दिक्कत हो सकती है. आरबीआई के इस प्रावधान के बाद ब्रोकर का ट्रेडिंग कॉस्ट बढ़ जाएगा क्योंकि अब उन्हें फिक्स डिपाजिट करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी."
शेयर बाजार में ट्रेडिंग में इस समय स्ट्रांग मार्जिंस सिस्टम और अन्य चेक एंड बैलेंस हैं जो शेयर बाजार और क्लीयरिंग हाउस लगाते हैं. शेयर बाजार में कारोबार कर रहे ट्रेडर को अब तक इस तरह का दिया जाने वाला लोन कर्ज की कैटेगरी में नहीं आता था.
यह वास्तव में एक ग्रे एरिया था जिसे ना तो बैंक कैपिटल मार्केट एक्सपोजर में गिनती करते थे और ना ही रेगुलेटर का अब तक ध्यान इस तरफ गया था. भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे ब्रोकर को दिए जाने वाले इंट्राडे फंडिंग का कम से कम 50 फ़ीसदी बैंक के पास गिरवी के रूप में रखें.
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर डे ट्रेडिंग स्टॉक ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे डे ट्रेडिंग स्टॉक के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.