खास टिप्स

घोटाले के दलालों से बचना

घोटाले के दलालों से बचना
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुबई में दलाली की रकम आने के बाद उसे शेल कंपनियों और हवाला के मार्फत अंतिम लाभार्थियों तक पहुंचाया गया। मिशेल ने पूछताछ में ईडी के सामने घोटाले में शामिल कई बड़े लोगों का नाम लिया था, लेकिन उन तक दलाली की रकम पहुंचने का सबूत देने में वह नाकाम रहा। उसका कहना था कि यह राजीव सक्सेना को मालूम है कि किस तरह से सभी लोगों तक दलाली की रकम पहुंचाई गी थी। यदि पूछताछ में ईडी राजीव सक्सेना पूरा सच उगलवा लेता है, तो दलाली खाने वालों के खिलाफ शिकंजा कसना आसान हो जाएगा।

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पैसे के चक्कर में दलालों को सौंप दिया था प्रमाणपत्र

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर। दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में दलालों, शैक्षिक संस्थानों व लाभार्थियों की मिलीभगत मिलने पर परेशानी बढ़ेगी। एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक अब तक हुई जांच में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें लाभार्थियों ने लालच में आकर अपने प्रमाणपत्र दलालों को दिए। ऐसे उन्हें भी जांच के दायरे में लिया गया है।

2011-12 दशमोत्तर छात्रवृत्ति में घोटाला मिलने के बाद राज्य के 11 जिलों घोटाले के दलालों से बचना में एसआइटी का गठन कर जांच शुरू की गई। ऊधमसिंह नगर में भी भी छात्रवृत्ति के नाम पर बढ़ा खेल सामने आया। समाज कल्याण विभाग से मिले लाभार्थियों, बैंक, शैक्षिक संस्थानों से जुड़ी जानकारी मिलने के बाद एसआइटी ने लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन कर पूछताछ शुरू की। इस दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर एसआइटी ने 12 दलालों समेत चार घोटाले के दलालों से बचना शैक्षिक संस्थानों के खिलाफ जसपुर और बाजपुर में केस दर्ज कराया। इसके साथ ही जांच का दायरा जसपुर और बाजपुर से बढ़ाकर खटीमा व सितारगंज को भी शामिल कर लिया।

दलालों की करतूत FD घोटाला

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली

देना बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में एफडी घोटाले को दलालों और बैंक के अफसरों ने मिलकर अंजाम दिया। बैंक अधिकारियों ने असली एफडी धारकों को नकली सर्टिफिकेट दिए और असली एफडी के जरिए नकली कंपनियों घोटाले के दलालों से बचना को लोन दिया गया। इसके लिए फर्जी अकाउंट भी खोले गए। घोटाले में बैंकों को करीब 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। फरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट में ये खुलासे हुए हैं। यह रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप दी गई है। अब वित्त मंत्रालय बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी में है।

फरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट के अनुसार, बड़े लेन-देन की जानकारी बड़े अफसरों से छिपा ली जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार मंझोले स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाला संभव हुआ। असली निवेशक को नकली एफडी सर्टिफिकेट थमा दिए जाते थे, जबकि असली एफडी सर्टिफिकेट के एवज में ऊंची ब्याज दर पर लोन दिया जाता था। रिपोर्ट में हैरानी जताई गई कि ब्रांच मैनेजर और अफसरों के स्तर पर किए गए घोटाले से बैंकों का हायर मैनेजमेंट किस तरह से अनजान रहा और उसे इस बात की भनक क्यों नहीं लग गई? रिपोर्ट के अनुसार हायर मैनेजमेंट की बैंकों की शाखाओं में निगरानी व्यवस्था दुरुस्त नहीं है, जबकि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में जल्द उचित कार्रवाई की जाएगी।

हेलीकॉप्‍टर घोटाले में भारत लाए गए दो और दलाल ईडी की रिमांड पर, पूछताछ जारी

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नीलू रंजन, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को नए मुकाम तक पहुंचाते हुए मोदी सरकार दो बड़े दलालों को भारत लाने में सफल रही है। इन दोनों को दुबई से विशेष विमान से भारत लाया गया और ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इनमें एक राजीव शमशेर बहादुर सक्सेना ने अगस्तावेस्टलैंड घोटाले की रकम को इसके अंतिम लाभार्थियों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी, तो दूसरा दीपक तलवार ने संप्रग सरकार के दौरान विमानन क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये की दलाली थी। अदालत ने राजीव सक्सेना को चार दिनों और दीपक तलवार को सात दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है।

हारने को तैयार नहीं सीबीआई

जहां तक एफआईआर में दर्ज मजमून की बात है तो, उसमें सीबीआई ने वो सब लिख-पढ़ दिया है, जो अमूमन सीबीआई द्वारा दर्ज मुकदमों में देखने-सुनने या पढ़ने को नहीं मिलता है. मतलब मुकदमा दर्ज करने से पहले सीबीआई ने फाइलों-दस्तावेजों का गहन अध्ययन किया है. ताकि वो इस घोटाले की जांच के दौरान आईंदा खुद कहीं कमजोर कड़ी के रूप में खड़ी नजर न आए. क्योंकि मामले में फंसने वाले आरोपी सेना के अफसर, कर्मचारियों और दलालों की हर संभव कोशिश होगी कि, किसी भी तरह से कहीं न कहीं सीबीआई से कहीं कोई चूक हो जाए, जिसका आरोपियों को फायदा मिल सके.

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले का मास्टरमाइंड पर सेना का एक कर्नल नजर आ रहा है. जिसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था. यह कर्नल ही हाल-फिलहाल तो घोटाले का सूत्रधार मालूम पड़ रहा है. इस वीडियो में संदिग्ध कर्नल दिल्ली कैंट स्थित बेस अस्पताल में सेना के एक सूबेदार से कोई पैकेटनुमा आपत्तिजनक चीज लेता दिखाई दे रहा है. कहा जा रहा है कि, इस सूबेदार का मोबाइल फोन भी सीबीआई ने जब्त कर लिया है. जबकि वीडियो में इस सूबेदार से पैकेट लेता दिखाई दे रहा इंडियन आर्मी के कर्नल का मोबाइल, लैपटॉप भी सीज कर घोटाले के दलालों से बचना लिया गया है.

उत्तर, पूरब, पश्चिम, दक्षिण सब ओर

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, एसएसबी सलेक्शन सेंटर कपूरथला, बेस अस्पताल दिल्ली छावनी, आर्मी एअर डिफेंस कॉर्प्स विशाखापत्तनम, गुवाहाटी का माउंटेन डिवीजन, बरेली का ऑर्डिनेंस डिवीजन, भर्ती निदेशालय, ओटीए चेन्नई, सलेक्शन मेडिकल बोर्ड, दिल्ली स्थित वाहन डिपो में तैनात कई अफसर-कर्मचारी रडार पर हैं. इनकी गतिविधियों पर नजर काफी पहले से रखी जा रही थी. इनमें से कई को तो इस बात का दूर-दूर तक अंदेशा तक नहीं होगा कि, वे महीनों पहले से सीबीआई के रडार पर हैं. दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने मंगलवार को टीवी9 भारतवर्ष को पहचान उजागर न करने की शर्त पर कई और भी सनसनीखेज तथ्य बताए.

मसलन, “बंगलुरु स्थित आर्मी सर्विस कैंप के हवलदार ने तो बीते साल दिसंबर महीने में अपने बेटे को ही कथित रूप से जोड़ तोड़ करके पास करा लिया था. इसमें एनडीए और एसएसबी के कुछ अफसरों-कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध दिखाई पड़ रही घोटाले के दलालों से बचना है. अब तक हुई जांच में यह तथ्य भी सामने आए हैं कि, भर्ती घोटाले में पकड़े जाने से बेफिक्र अफसर-कर्मचारी और दलाल, बेधड़क होकर रिश्वत की रकम ऑनलाइन ही वसूल ले रहे थे.” जिस तरह से सीबीआई की जांच की दिशा आगे बढ़ रही है उससे, लग यह भी रहा है कि, इस भर्ती घोटाले में सेना के दलाल, अफसर कर्मचारी तो फंसेगे ही. साथ ही साथ इन सबके रिश्तेदार-घरों में काम करने वाले कर्मचारी भी लपेटे में आएंगे. क्योंकि इस गोरखधंधे में खुद का दामन बचाए रखने के लिए, इन सबका बेजा इस्तेमाल किया था.

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Updated on: Sep 09, 2020 | 1:57 PM

तमिलनाडु सरकार ने गरीबो को लाभ पहुंचाने वाली प्रधानमंत्री किसान योजना में 110 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया है. मामले की जांच की गई तो पाया गया कि धोखाधड़ी करके 110 करोड़ रुपए की रकम ऑनलाइन निकाली गई. जिसमें सरकारी अधिकारी से लेकर कई बड़े नेताओं का रोल बताया गया है. डिजिटल के इस दौर में सरकार अपनी सभी योजनाओं का भुगतान ऑनलाइन कर रही है. ताकि सीधे लाभार्थी के खाते में पैसा आ सके और कोई गड़ब़ड़झाला न हो सके. लेकिन इसके बाबवजूद किसान योजना में घोटाले को ऑनलाइन ही अंजाम दिया गया. आखिर कैसे चलता है ऑनलाइन फ्रॉड का यह पूरा खेल आइए जानते हैं.

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