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बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया

बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया

बिटकॉइन में निवेश करने का प्रमुख कारण

संदर्भ
गौरतलब है कि बदलते समय के साथ-साथ जहाँ एक ओर व्यापार संबंधी रणनीतियों एवं प्रकारों में परिवर्तन आया है वहीं दूसरी ओर आर्थिक जगत की प्रमुख डोर के रूप में काम करने वाली मुद्राओं के रूप में भी परिवर्तन आ रहा है| इसी परिवर्तन का नया नाम है - क्रिप्टो मुद्रा| वर्तमान समय में लोगों की क्रिप्टो मुद्राओं (जैसे-बिटकॉइन आदि) में रूचि काफी तेज़ी से बढ़ रही है| हालाँकि यह ओर बात है कि इस प्रकार कि मुद्राओं को अभी तक किसी भी प्रकार की कानूनी स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है| किसी भी प्रकार की नियमाकीय स्वीकृति, पंजीकरण अथवा प्राधिकृति के बावजूद ये काल्पनिक मुद्राएँ भारत सहित कई देशों में प्रचलित हो चुकी हैं|

बिटकॉइन क्या है

  • वस्तुतः बिटकॉइन्स, डिजिटल प्रकार कि मुद्राएँ होती हैं जिन्हें डिजिटली रूप से विकेन्द्रित प्रक्रियाओं जैसे-‘माइनिंग’(mining) के द्वारा प्राप्त किया जाता है|
  • बिटकॉइन मुद्रा के अंतर्गत लेन-देन एक साझी सार्वजनिक लेज़र तकनीक (जिसे ब्लॉकचैन कहा जाता है) के द्वारा पूर्ण होता हैं|
  • इस लेज़र तकनीक में प्रत्येक लेन-देन प्रक्रिया दर्ज़ होती है जिससे इसकी वैद्यता को प्रमाणित किया जा सकता है| इस प्रक्रिया में लेन-देन बिटकॉइन की छोटी उप-इकाइयों (जिन्हें सातोशी कहा जाता है) के द्वारा किये जा सकते हैं|
  • ध्यातव्य है कि 1 बिटकॉइन 10 लाख बिट्स से मिलकर बना होता है|
  • काल्पनिक मुद्रा के रूप में बिटकॉइन 100 बिलियन डॉलर के आधे से भी कम बाज़ार (जिसमें 150 क्रिप्टो मुद्राएँ होती हैं) का संचालन करता है|
  • वर्तमान में कुल बिटकॉइन व्यापार का 10% व्यापार भारत से होता है|
  • बिटकॉइन के संबंध में सबसे रोचक बात यह है कि इसकी आपूर्ति मात्रा सीमित (मात्र 21 मिलियन) है| स्पष्ट है कि एक सीमित संसाधन होने के कारण इसकी मांग में वृद्धि होने पर इसकी कीमत में वृद्धि होना स्वाभाविक सी बात है|

वर्तमान स्थिति
गौरतलब है कि वर्तमान में विश्वस्तर पर प्रतिदिन होने वाला बिटकॉइन का व्यापार 25,000 करोड़ रूपए का है| इसमें भी तक़रीबन 1% से कम भाग का उपयोग गैर-कानूनी गतिविधियों के लिये किया जाता है|

उपयोगकर्ताओं का हित
बिटकॉइन और डिजिटल मुद्राओं के संबंध में मई 2017 से बहुत अधिक रुझान देखने को मिल रहा है| संभव है कि 1 अप्रैल 2017 को जापानी कानून में हुए बदलावों के कारण ऐसा हुआ है| ध्यातव्य है कि इस कानून में हुए परिवर्तन के परिणामस्वरूप काल्पनिक मुद्राओं की सुरक्षा और लेखापरीक्षा के संबंध में कईं प्रकार के मानक तय किये गए हैं| स्पष्ट है कि ऐसा उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है|

अन्य जोखिम
गौरतलब है की क्रिप्टो मुद्रा के माध्यम से होने वाले लेन –देन के संबंध में निवेशकों और नियामकों द्वारा विभिन्न प्रकार के जोखिमों के विषय में प्रकाश डाला गया है| उदाहरण के लिये, कुछ समय पहले भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भी काल्पनिक मुद्राओं की वित्तीय क्षमता, कानून, ग्राहकों के हितों के संरक्षण और सुरक्षा सम्बन्धी निम्नलिखित जोखिमों के विषय में चर्चा की गई थी|

  • प्रथम, इसकी अत्यधिक कीमत चिंता का विषय है| इस मुद्रा की मांग में वृद्धि होने से इसकी कीमत में बढ़ोतरी होती है| उदाहरण के लिये, अक्टूबर 2013 (130$) और जनवरी 2014 (985$) के मध्य बिटकॉइन के मूल्य में 855 डॉलर की वृद्धि दर्ज़ की गई| परन्तु, जनवरी 2015 में इसकी कीमत में 212$ की गिरावट दर्ज़ की गई|
  • दूसरा, इस प्रकार कि मुद्रा को कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है क्योंकि अभी तक इन्हें रिज़र्व बैंक के द्वारा प्राधिकृत नहीं किया गया है|
  • तीसरा, काल्पनिक मुद्राएँ मात्र डिजिटल रूप में मौजूद होती हैं तथा इन्हें डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ही सुरक्षित करके रखा जाता है| अतः इन्हें हैकिंग, पासवर्ड के खोने और मैलवेयर हमले जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है|
  • चौथा, इसका भुगतान सहकर्मियों के जरिये किया जाता है तथा इससे बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया संबंधित विवादों और मुद्दों का समाधान करने के लिये अभी तक कोई उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है|

भारतीय परिदृश्य
ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत में बिटकॉइन अर्थव्यवस्था के लिये नियामकों (जैसे-सेबी) पर दबाव बनाने के स्थान पर अधिक उचित यह होगा कि इसके लिये एक स्व-नियामक निकाय (self-regulatory body) का गठन किया जाए| चूँकि यह व्यवसाय अभी अपने शुरुआती दौर में है, जिसके कारण इस उद्योग में दिनोंदिन अनेक परिवर्तन आ रहे है| अत: ऐसी किसी स्थिति में सरकार के लिये किसी एक नियामक अथवा रणनीति का अनुसरण करना अत्यंत कठिन होगा|

  • इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भारतीय म्यूच्यूअल फंड संघ, द इन्टरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया अथवा पेमेंट कौंसिल ऑफ़ इंडिया के अनुरूप एक स्व-नियामक संगठन के गठन को स्वीकृति प्रदान की है|
  • इसके अतिरिक्त सेबी के द्वारा भी एक स्व-नियामकीय संगठन की शुरुआत की गई है| यह संगठन स्वयं एक नियामकीय ढांचे का निर्माण करेगा, जो कुछ वर्षों बाद आधिकारिक नियामक निकाय का रूप धारण कर लेगा|
  • ध्यातव्य है कि भारत में भी बिटकॉइन को विश्व के अन्य देशों (जैसे-दक्षिण कोरिया) के समान ही मुद्रा के स्थान पर निवेश के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है|

सत्यापन प्रक्रिया
इस संबंध में सत्यापन की प्रक्रिया को अपनाया जाना अत्यंत आवश्यक है| भारत में इस संबंध में बहुत से पक्षों पर विचार विमर्श किया जा रहा है| जिनके अंतर्गत इस प्रकार की किसी भी मुद्रा का उपयोग करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को एक सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें पैन कार्ड और बैंक खाता संख्या को दर्ज़ कराना अनिवार्य होगा|

क्या बिटक्वाइन के रूप में सैलरी लेना पसंद करेंगे आप! जानें एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी बाजार (cryptocurrency market) के लीडर बिटकॉइन (Bitcoin) ने डिजिटल ट्रेडिंग सिस्टम में कई रिकॉर्ड कायम किए हैं. आभासी यानी डिजिटल सिक्के, जिनका ने कोई केंद्रीय बैंक है और न ही कोई कंट्रोलर, ने जल्दी पैसा बनाने के द्वार खोल दिए. अब, यह डिजिटल सिक्का ब्लॉकचेन उद्योग में एक अभिनव भुगतान नेटवर्क और एक नए प्रकार की मुद्रा है. इस रहस्यमय बिटकॉइन का आकर्षण ऐसा है कि कई लोग इसे वेतन के रूप में प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, क्या यह एक अच्छा ऑप्शन है, यह कई वजहों पर निर्भर करता है.

बिटकॉइन में ट्रेडिंग 2009 में शुरू हुई थी. इस डिजिटल सिक्के का आविष्कार किसने किया, यह किसी को पता नहीं है, हालांकि, कई अटकलें और नाम सामने आए हैं. सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) को बिटकॉइन के आविष्कारक के रूप में छद्म नाम वाला व्यक्ति या जापान में रहने का दावा करने वाले व्यक्ति माना जाता है. हालांकि, अभी तक इनकी पुष्टि नहीं हुई है.

2017 में शुरुआत
बिटकॉइन ने लोकप्रियता हासिल की 2017 की शुरुआत में, और यह हकीकत में इस्तेमाल में आने वाली पहली क्रिप्टोकरेंसी बन गई. बिटकॉइन डिसेंट्रलाइज्ड है और आसानी से उपलब्ध है. हालांकि, बिटकॉइन को सामान और सेवाओं को खरीदने के साधन के रूप में अपनाने का विचार अभी भी बड़े पैमाने पर स्वीकार नहीं किया गया है, लेकिन कई कंपनियां, खुदरा विक्रेताओं और प्लेटफॉर्म हैं जो बिटकॉइन को सेवाओं और भुगतानों के लेन-देन के माध्यम के रूप में उपयोग करने में विश्वास रखते हैं.

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CoinMarketCap डेटा के अनुसार, आज बिटकॉइन की कीमत 46,644.46 डॉलर है और 24 घंटे की ट्रेडिंग मात्रा 32,264,225,286 डॉलर है. पिछले 24 घंटों में बिटकॉइन में 1.49 प्रतिशत का उछाल आया है. बिटकॉइन की सप्लाई सीमा 21 मिलियन बीटीसी सिक्कों (BTC coins) की है, जबकि वर्तमान में, आपूर्ति 19 मिलियन बीटीसी सिक्कों से अधिक है. डिजिटल सिक्के ने पिछले साल अप्रैल में 1 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप को पार कर लिया है. हालांकि, विशेषज्ञ बिटकॉइन के आगे बढ़ने को लेकर आशान्वित हैं.

क्या बिटकॉइन को सैलरी के रूप में स्वीकार किया जा सकता है
बिटकॉइन एक प्रक्रिया के लिए बनाए गए हैं जिसे माइनिंग के रूप में जाना जाता है. उन्हें अन्य मुद्राओं, उत्पादों और सेवाओं के लिए आदान-प्रदान करने की अनुमति है. हालांकि, डिजिटल सिक्के की इसके अवैध लेनदेन के लिए भी आलोचना की जाती है. इतना ही नहीं, बिटकॉइन की खनन, मूल्य अस्थिरता और एक्सचेंजों पर बड़ी मात्रा में चोरी की बिजली इस्तेमाल करने के लिए भी आलोचना की गई है.

सट्टे का बुलबुला
कई विशेषज्ञों ने बिटकॉइन को एक सट्टे का बुलबुला कहा है जो आखिर में फट जाएगा. इसका सीधा सा मतलब है, कि बिटकॉइन की कीमत में उच्च अस्थिर आवृत्ति होती है, और साबुन के बुलबुले की तरह ही यह तेजी से फट सकता है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी बाजार के लिए गेम-चेंजर के रूप में देखा है और ब्लॉकचेन उद्योग के विस्तार के साथ व्यापारिक दुनिया में एक नए युग की शुरुआत कहा है. कुछ स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारों ने आधिकारिक तौर पर कुछ मामलो में बिटकॉइन का उपयोग करना शुरू कर दिया है. अल सल्वाडोर (El Salvador) नामक देश ने बीटीसी को कानूनी निविदा के रूप में अपनाया है.

भारत सरकार सख्त
2017 में रफ्तार पकड़ने के बाद, बिटकॉइन ने कई लोगों को सामान और सेवाओं के भुगतान के रूप में सिक्के का चयन करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन यह विचार जल्द ही खारिज कर दिया गया क्योंकि, दुनिया भर के नियामकों ने बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) पर लगाम कसने का फैसला किया है. पिछले महीने, भारत सरकार ने क्रिप्टो ट्रेडिंग पर कड़े कर नियम जारी किए थे. लोकसभा ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) या “क्रिप्टो टैक्स” पर कराधान नियमों को मंजूरी दी. ये नए कर नियम 01 अप्रैल, 2022 से प्रभावी हो गए हैं.

बिटकॉइन क्या है ? | Bitcoin क्या है ? | What is bitcoin ?

बिटकॉइन एक डिजिटल संपत्ति और भुगतान प्रणाली है जिसका आविष्कार सातोशी नाकामोतो ने किया था। लेन-देन को क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से नेटवर्क नोड्स द्वारा सत्यापित किया जाता है और एक सार्वजनिक बिखरे हुए लेज़र में रिकॉर्ड किया जाता है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है। बिटकॉइन इस मायने में अद्वितीय है कि उनमें से एक सीमित संख्या है: 21 मिलियन।

बिटकॉइन को खनन के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया के लिए एक इनाम के रूप में बनाया जाता है। उनका अन्य मुद्राओं, उत्पादों और सेवाओं के लिए आदान-प्रदान किया जा सकता है। फरवरी 2015 तक, 100,000 से अधिक व्यापारियों और विक्रेताओं ने बिटकॉइन को भुगतान के रूप में स्वीकार किया।

बिटकॉइन भेजते समय, उपयोगकर्ता खनिकों को वैकल्पिक लेनदेन शुल्क का भुगतान कर सकते हैं। इस शुल्क का उपयोग खनिकों को खनन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने और इस प्रकार नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।

बिटकॉइन छद्म नाम है, जिसका अर्थ है कि धन वास्तविक दुनिया की संस्थाओं से नहीं बल्कि बिटकॉइन पते से जुड़ा है। बिटकॉइन पते के मालिकों की स्पष्ट रूप से पहचान नहीं की गई है, लेकिन ब्लॉकचेन पर सभी लेनदेन सार्वजनिक हैं। इसके अलावा, लेन-देन को “उपयोग के मुहावरों” के माध्यम से व्यक्तियों और कंपनियों से जोड़ा जा सकता है (उदाहरण के लिए, कई इनपुट से सिक्के खर्च करने वाले लेनदेन से संकेत मिलता है कि इनपुट में एक सामान्य मालिक हो सकता है) और कुछ पते के मालिकों के बारे में ज्ञात जानकारी के साथ सार्वजनिक लेनदेन डेटा की पुष्टि करता है। .

इसके अतिरिक्त, बिटकॉइन एक्सचेंज, जहां पारंपरिक मुद्राओं के लिए बिटकॉइन का कारोबार होता है, व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने के लिए कानून द्वारा आवश्यक हो सकता है। वित्तीय गोपनीयता को बढ़ाने के लिए, प्रत्येक लेनदेन के लिए एक नया बिटकॉइन पता तैयार किया जा सकता है।

ब्लॉकचेन एक सार्वजनिक बहीखाता है जो बिटकॉइन लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। एक नया समाधान बिना किसी विश्वसनीय केंद्रीय प्राधिकरण के इसे पूरा करता है: ब्लॉकचैन का रखरखाव बिटकॉइन सॉफ़्टवेयर चलाने वाले संचार नोड्स के नेटवर्क द्वारा किया जाता है। प्रपत्र भुगतानकर्ता X के लेन-देन, प्राप्तकर्ता Z को Y बिटकॉइन भेजता है, इस नेटवर्क पर आसानी से उपलब्ध सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों का उपयोग करके प्रसारित किया जाता है। नेटवर्क नोड्स लेन-देन को मान्य कर सकते हैं, उन्हें लेज़र की अपनी प्रति में जोड़ सकते हैं, और फिर इन लेज़र परिवर्धन को अन्य नोड्स में प्रसारित कर सकते हैं। स्वामित्व की श्रृंखला के स्वतंत्र सत्यापन को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नेटवर्क नोड ब्लॉकचेन की अपनी प्रति संग्रहीत करता है।

बिटकॉइन के संस्थापक कौन है ? | बिटकॉइन के मालिक कौन है?

सातोशी नाकामोतो बिटकॉइन के संस्थापक और बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया बिटकॉइन प्रोटोकॉल के आविष्कारक हैं। उन्होंने 2008 में मूल बिटकॉइन श्वेत पत्र जारी किया और 2009 में बिटकॉइन कोर की स्थापना की।

नाकामोतो की असली पहचान एक रहस्य बनी हुई है, लेकिन कई लोगों ने अनुमान लगाया है कि वह एक या अधिक व्यक्तियों के लिए छद्म नाम है। 2011 में, नाकामोटो ने स्रोत कोड भंडार और डोमेन नाम का नियंत्रण गेविन एंड्रेसन को सौंप दिया, और बाद में लोगों की नज़रों से गायब हो गया।

तब से, नाकामोतो को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है “मैं अब इसमें शामिल नहीं हूं और मैं उनके लिए बात नहीं कर सकता।” अप्रैल 2014 में, न्यूज़वीक ने एक कहानी प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि डोरियन प्रेंटिस सातोशी नाकामोतो असली सतोशी नाकामोतो थे। हालांकि, नाकामोटो ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि उन्होंने बिटकॉइन के बारे में तब तक नहीं सुना था जब तक कि न्यूजवीक लेख में इसका उल्लेख नहीं किया गया था।

अपनी रहस्यमय पहचान के बावजूद, बिटकॉइन में नाकामोटो का योगदान निर्विवाद है। वह पहला ब्लॉकचेन डेटाबेस बनाने और बिटकॉइन कैसे संचालित होगा, इसके लिए बुनियादी नियम स्थापित करने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा, मूल बिटकॉइन प्रोटोकॉल पर उनका काम यह सुनिश्चित करता है कि बिटकॉइन एक सुरक्षित और विश्वसनीय डिजिटल मुद्रा बना रहे।

बिटकॉइन-क्या-है-और-कैसे-काम-करता-है

इन कारणों से, सतोशी नाकामोटो को अक्सर बिटकॉइन का जनक माना जाता है। उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद, बिटकॉइन दुनिया में सबसे लोकप्रिय और मूल्यवान क्रिप्टोकरेंसी में से एक बन गया है।

बिटकॉइन “खनन” नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से बनाए जाते हैं। खनन तब होता है जब उपयोगकर्ता एक कम्प्यूटेशनल पहेली को हल करके लंबित बिटकॉइन लेनदेन की प्रक्रिया करते हैं। पहेली को हल करने वाला पहला खनिक इस प्रक्रिया में अगले ब्लॉक को ब्लॉकचैन और माइंस बिटकॉइन पर रखता है। हर 4 साल में, प्रति ब्लॉक उत्पन्न बिटकॉइन की संख्या आधी हो जाती है, जब तक कि सभी 21 मिलियन का खनन नहीं हो जाता।

बिटकॉइन के समान मूल स्रोत पर आधारित कई अन्य क्रिप्टो मुद्राएं हैं।

खनन के लिए पुरस्कार के रूप में बनाए जाने के अलावा, बिटकॉइन का अन्य मुद्राओं, उत्पादों और सेवाओं के लिए आदान-प्रदान किया जा सकता है। फरवरी 2015 तक, 100,000 से अधिक व्यापारियों और विक्रेताओं ने बिटकॉइन को भुगतान के रूप में स्वीकार किया। बिटकॉइन शब्द का इस्तेमाल पहली बार 31 अक्टूबर 2008 को जारी एक श्वेत पत्र में किया गया था और परिभाषित किया गया था।

बिटकॉइन कैपिटलाइज़ेशन के लिए कोई समान परंपरा नहीं है। कुछ स्रोत बिटकॉइन का उपयोग करते हैं, पूंजीकृत, प्रौद्योगिकी और नेटवर्क को संदर्भित करने के लिए और बिटकॉइन, लोअरकेस, खाते की इकाई को संदर्भित करने के लिए।

बिटकॉइन सिस्टम के खाते की इकाई बिटकॉइन है। बिटकॉइन का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयोग किए जाने वाले टिकर प्रतीक बीटीसी और एक्सबीटी हैं। बिटकॉइन के निर्माता के सम्मान में नामित, एक सतोशी बिटकॉइन के भीतर सबसे छोटी राशि है जो 0.00000001 बिटकॉइन का प्रतिनिधित्व करती है, एक बिटकॉइन का सौ मिलियनवां हिस्सा।

बिटकॉइन अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और अस्थिरता के अधीन है। उदाहरण के बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया लिए, 2013 में जब यह पहली बार प्रमुखता में आया, तो कुछ ही महीनों में एक बिटकॉइन का मूल्य तेजी से US$13 से बढ़कर US$1,000 से अधिक हो गया। हालांकि, अगले दो वर्षों में, इसका मूल्य धीरे-धीरे कम हो गया और 2015 की शुरुआत में लगभग 200 अमेरिकी डॉलर पर आ गया। तब से, इसका मूल्य तेजी से बढ़ा है और फरवरी 2017 तक प्रति बिटकॉइन लगभग 1,200 अमेरिकी डॉलर था।

इस अस्थिरता के बावजूद, बिटकॉइन प्रौद्योगिकी ने बढ़ती स्वीकृति और उपयोग प्राप्त किया है। मार्च 2017 में, उदाहरण के लिए, शिकागो बोर्ड ऑप्शंस एक्सचेंज (सीबीओई) ने घोषणा की कि वह बिटकॉइन वायदा अनुबंधों की पेशकश शुरू कर देगा, जिससे निवेशकों को बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया क्रिप्टोकुरेंसी के भविष्य के मूल्य पर दांव लगाने की अनुमति मिल जाएगी। इस कदम को मुख्यधारा की स्वीकृति और बिटकॉइन के आगे वैधीकरण के संकेत के रूप में देखा गया।

बिटकॉइन किस देश की करेंसी है?

बिटकॉइन किसी भी देश की मुद्रा नहीं है।

बिटकॉइन एक क्रिप्टोक्यूरेंसी है, इंटरनेट का एक आविष्कार जिसका कोई भौतिक रूप नहीं है और केवल कंप्यूटर कोड के तार के रूप में मौजूद है। बिटकॉइन को गुमनाम व्यक्तियों द्वारा सतोशी नाकामोतो नाम से बनाया गया था और 2009 में ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था।

केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक धन/केंद्रीकृत बैंकिंग प्रणालियों के विपरीत विकेंद्रीकृत नियंत्रण का उपयोग करता है। नेटवर्क पीयर-टू-पीयर है और बिना किसी मध्यस्थ के सीधे उपयोगकर्ताओं के बीच लेनदेन होता है। इन लेन-देनों को क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से नेटवर्क नोड्स द्वारा सत्यापित किया जाता है और एक सार्वजनिक वितरित खाता बही में दर्ज किया जाता है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है। चूंकि सिस्टम केंद्रीय भंडार या एकल प्रशासक के बिना काम करता है, बिटकॉइन को पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा कहा जाता है।

बिटकॉइन के लाभ का पता नहीं, हानि का अंत नहीं, इसके भविष्य पर भी काले बादल

बिटकॉइन ( P C : Pixabay )

ऐसी कई वित्तीय योजनाएं और विचार हैं जिनके बारे में उसके समर्थक और विरोधी एक दूसरे से विपरीत राय रखते हैं। उदाहरण के लिए कोई कहता है कि सागौन का पौधा लगाना अच्छा रिटर्न देगा। कोई और कहेगा कि इससे कुछ हासिल नहीं होगा।

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कोरोना संकट के बीच बिटकॉइन को लेकर जुनून बढ़ता दिख रहा है। इसके पक्ष और विपक्ष में तरह-तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। मगर सच यह है कि बिटकॉइन से अटकलबाजों और अपराधियों को छोड़कर किसी और को कोई फायदा नहीं है। यह कार्बन उत्सर्जन के रूप में भी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे में कोई शक नहीं कि बहुत जल्द अधिकतर देशों की सरकारें इसे प्रतिबंधित कर दें।

कोरोना महामारी के बारे में आ रही भयावह खबरों के बीच एक और कहानी चल रही है। यह कहानी है बिटकॉइन की। कोरोना महामारी बिटकॉइन कीमतों के लिए अच्छी रही है और बिटकॉइन को लेकर जूनून बढ़ रहा है। कॉइनबेस ग्लोबल नामक अमेरिकन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज 14 अप्रैल को अपना आइपीओ लेकर आया। एक दिन एक्सचेंज के कर्मचारियों और संस्थापकों ने जरूर मोटा मुनाफा कमाया, लेकिन इसके बाद स्टॉक का दौर उतना अच्छा नहीं रहा।

हाल ही में मैंने बिटकॉइन के बारे में एक खबर पढ़ी। इस खबर ने बिटकॉइन को लेकर मेरा ध्यान आकर्षित किया। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आइसीसी) की एंटी करप्शन यूनिट ने जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान हीथ स्ट्रीक के आचरण के बारे में जांच का ब्योरा जारी किया है। इस कहानी में बिटकॉइन की अहम भूमिका है।

दिल्ली के रहने वाले मिस्टर अग्रवाल ने हीथ स्ट्रीक को दो बिटकॉइन का भुगतान किया था। यह भुगतान उन जानकारियों के बदले में था जिनका इस्तेमाल सट्टेबाजी में किया जा सकता था। स्ट्रीक ने बाद में बिटकॉइन 35,000 डॉलर में बेच दिया। उन्हें इसका गहरा अफसोस रहा होगा, क्योंकि दो बिटकॉइन की कीमत बेची गई रकम के तीन गुने से अधिक होगी।

एक दूसरी गैर वित्तीय खबर बिटकॉइन को लेकर है। इसमें रैनसमवेयर हैक्स का उल्लेसख किया गया है। एक दिन कोई इंडिविजुअल या कंपनी पाती है कि उसके कंप्यूटर की सारी फाइल एनक्रिप्टेड है। स्क्रीन पर रैनसम नोट है जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि फाइल वापस पाने के लिए बिटकॉइन में कैसे भुगतान करना है।

साफ है कि ज्यादातर पीडि़त भुगतान कर देते हैं। मैं समझता हूं कि बिटकॉइन मिस्टर अग्रवाल, हीथ स्ट्रीक और रैनसमवेयर अपराधियों की जरूरतों पर खरा उतरता है। उनको इस बात के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए कि बिटकॉइन की खोज की गई जिससे वे अपना कारोबार ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से चला सकें। अगर ऐसा नहीं होता तो मुझे कहना पड़ता कि बिटकॉइन पूरी तरह से बेकार है।

ऐसी कई वित्तीय योजनाएं और विचार हैं जिनके बारे में उसके समर्थक और विरोधी एक दूसरे से विपरीत राय रखते हैं। उदाहरण के लिए कोई कहता है कि सागौन का पौधा लगाना अच्छा रिटर्न देगा। कोई और कहेगा कि इससे कुछ हासिल नहीं होगा। ये बिल्कुल विपरीत विचार हैं। बिटकॉइन इस तरह से नहीं है। बिटकॉइन के समर्थक और इस पर शक करने वाले इसकी बुनियादी खासियत को लेकर सहमत हैं।

समर्थकों के अनुसार बिटकॉइन बहुत अच्छा है, क्योंकि यह एक करेंसी है जिसे कोई सेंट्रल बैंक या सरकार नियंत्रित नहीं करती है। बिटकॉइन अनजान और ट्रेस न किए जा सकने वाले ट्रांजैक्शन की अनुमति देता है। कोई भी सरल तकनीकी प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए बिटकॉइन बना सकता है। विरोधी खेमे का कहना है कि बिटकॉइन एक बेकार विचार है।

बिटकॉइन के समर्थक इस बात पर निराशा जताते हैं कि बहुत सी सरकारें इसके प्रति दुश्मनी का रवैया रखती हैं। वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर किसी सरकार का दुश्मनी भरा रवैया तार्किक है। दुनिया में हर सरकार अपनी करेंसी और अपने मौद्रिक परिदृश्य पर नियंत्रण रखना चाहेगी।

जो देश ऐसा नहीं कर सकते हैं उनको आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए जब भी लोग एक करेंसी में भरोसा खो देते हैं, तो वे अपनी असेट किसी और करेंसी में शिफ्ट कर देते हैं। एक तय उम्र पार कर चुके हर भारतीय को वे दिन आज भी याद हैं जब ऐसा नियमित तौर पर होता था।

सबसे बड़ी बात माइनिंग प्रॉसेस की लगातार बढ़ रही बिजली की खपत है। यह बिटकॉइन की अंतर्निहित खासियत है। कैंब्रिज यूनीवर्सिटी की स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि बिटकॉइन सालाना 178 टेरावाट की खपत करता है। एक तरफ हम कार्बन फुटप्रिंट और क्लाइमेट इमरजेंसी की लगातार बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी रकम को बनाने में बड़े पैमाने पर एनर्जी को बरबाद किया जा रहा है जिसका अटकलबाजी और आपराधिक गतिविधियों के अलावा और कोई इस्तेमाल नहीं है।

हाल में ऐसी खबरे आई थीं कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कड़े कदम उठाने जा रही है। इसके तहत भारतीय नागरिकों के पास मौजूद सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना था। साफ है कि अभी सरकार की प्राथमिकताएं दूसरी हैं। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि आखिरकार सरकार इस तरह बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया के कदम उठाएगी, जिससे दुनिया की दूसरी सरकारें बिटकॉइन को खत्म करने की दिशा में प्रेरित हों।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)

अल सल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश

महत्वपूर्ण तथ्य: बिटकॉइन को वैध बनाने संबंधी प्रस्ताव राष्ट्रपति नायिब बुकेले द्वारा रखा गया था, जिसे कांग्रेस द्वारा मंजूरी दे दी गयी। बिटकॉइन कानूनी तौर पर 7 सितंबर, 2021 से प्रभावी होगा तथा इसका उपयोग वैकल्पिक होगा।

  • बिटकॉइन की सहायता से विदेशों में रहने वाले अल सल्वाडोर के नागरिक, प्रेषण (remittance) आसानी से घर भेज सकते हैं। अमेरिकी डॉलर भी अल सल्वाडोर में कानूनी मुद्रा के रूप में जारी रहेगा।

क्रिप्टोकरेंसी: एक क्रिप्टोकरेंसी कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस पर संग्रहीत एक डिजिटल परिसंपत्ति है।

  • इन डिजिटल सिक्कों को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत कूटलेखन (cryptography) का उपयोग करके डिजिटल लेजर या बही खाते में दर्ज किया जाता है। बही खाते को विश्व स्तर पर वितरित किया जाता है, और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके किए गए प्रत्येक लेनदेन को ब्लॉक के रूप में संहिताबद्ध (codified) किया जाता है और एक दूसरे को जोड़ने वाले कई ब्लॉक वितरित लेजर पर एक ब्लॉकचेन बनाते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी 'माइनिंग' (mining) नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जाती है।

बिटकॉइन: यह विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है, जिसमें केंद्रीय बैंक या एकल प्रशासक का अभाव है। बिटकॉइन सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल सिक्का है।

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