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बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति
मंडी इन निवेशों में जोखिम ही एकमात्र कमियां हैं, जिनकी उम्मीद की जानी चाहिए। इसका मतलब है कि कोई अतिरिक्त बाजार के लिए वैश्विक रणनीति चिंता नहीं है जैसे किलिक्विडिटी या क्रेडिट। स्टॉक इंडेक्स रणनीतियों को लागू करने के लिए इक्विटी इंडेक्स पर विभिन्न डेरिवेटिव नियमित रूप से उपयोग किए जाते हैं।

भारत के हैंडीक्राफ्ट बना रहे वैश्विक पहचान, ट्राइफेड हैंडीक्राफ्ट ने की 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई

भारत जहां अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निर्यात पर फोकस कर रहा है, वहीं देश में सबका साथ के साथ सबके विकास पर भी ध्यान दे रहा है। ऐसे में देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हैंडीक्राफ्ट में ट्राइफेड प्रोडक्ट्स की भी बड़ी हिस्सेदारी है, जिन्हें अब ग्लोबल मार्केट भी मिलने लगा है। यही वजह है कि आज आदिवासी समाज भी देश के विकास में अपना योगदान दे रहा है और भारत के आदिवासी समाज की अविश्वसनीय हस्तशिल्प एक वैश्विक पहचान बन रही है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है।

90 से अधिक देशों में भारतीय हस्तशिल्प की हो रही खरीद

दरअसल, इन आदिवासी उत्पादों को बेचने में ट्राइफेड इंडिया मंच प्रदान करता है और एक कनेक्टर की भूमिका निभाता है, जहां आदिवासी कारीगर और इकट्ठा करने वाले अपनी उत्कृष्ट कृतियों को रख सकते हैं और बिक्री के लिए उत्पादन कर सकते हैं। एक बहु-चैनल रणनीति को अपनाया गया है और प्रत्येक चैनल के माध्यम से बिक्री को अनुकूलित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य आदिवासी लोगों को उनके काम का एक आउटलेट देकर अधिक आय उत्पन्न करना है। बता दें कि दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।

इनमें से कुछ चैनल जिनके माध्यम से जनजातीय उत्पादों के लिए बाजार की सहायता प्रदान की जाती है, उसमें…

–ट्राइब्स इंडिया – द आर्ट एंड सोल ऑफ इंडिया – रिटेल आउटलेट्स

–अनादि महोत्सव और प्रदर्शनियों

ऑनलाइन भी मिल रहे ट्राइफेड उत्पाद

बता दें कि वर्तमान में ट्राइफेड के पूरे देश में 100 से ज्यादा रिटेल स्टोर हैं, करीब 28 राज्य इसमे पार्टनर हैं, जो जनजातीय समूह द्वारा बनाए उत्पादों बाजार की व्यवस्था करते थे। रिटेल स्टोर के अलावा ई-मार्केट प्लस के जरिए भी ट्राइफेड उत्पाद को प्लेटफॉर्म मिलता है। यह आदिवासियों को डिजिटल ई-कॉमर्स के तहत एक शॉप खुलवाने की योजना है। ई-मार्केट प्लस या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ये लोग अपने सभी उत्पादों को देश-विदेश में ई-मार्केट के जरिए बेच सकेंगे। उनकी हर एक सामग्री को पोर्टल के साथ लिंक कर दिया जाएगा। इसके अलावा देश में 85 स्थानों पर दुकान थी, उसे भी डिजिटल से लिंक किया जा रहा है। इससे जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा। आदिवासी समूह के उत्पाद आज ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट के अलावा अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, और सरकारी ई बाजार-जेम पर भी उपलब्ध हैं।

वैश्विक बाजार में मंदी छाई है, भारत में नौकरी करने वालों के ‘अच्छे दिन’

salary hike

वैश्विक बाज़ार के हालात इस समय कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। स्वयं को कथित महाशक्ति मानने वाले देश इस वक्त मंदी के सामने घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। कोरोना महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन के कारण वैश्विक बाज़ार को काफी आघात पहुंचा है। अमेरिका, चीन जैसे बड़े बड़े देशों की भी हालत खराब होती चली जा रही है। इस बीच ऐसी खबरें लगातार सामने आ रही है कि मंदी की चपेट में आने के कारण कई कंपनियां बड़ी संख्या में लोगों से रोजगार छिन रही है।

इन सबके बीच भारत ही ऐसा एकमात्र देश है जो सुकून की सांस ले रहा है। मंदी की वजह से पैदा हुए हालातों से भारत अब तक अछूता रहा है। जहां एक तरफ दूसरे देश वैश्विक मंदी के चलते अपने कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल रहे हैं, तो वहीं भारतीय कंपनियां ऊंचाइयां हासिल करने के प्रयास में जुटी हुई है। केवल इतना तो नहीं भारत में कर्मचारियों का वेतन तक बढ़ाने का विचार किया जा रहा है और वो भी डबल डिजिट में।

सैलरी में होगी बड़ी वृद्धि

दरअसल, अभी हाल ही में एक रिपोर्ट ऐसी सामने आई है, जो भारतीय कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति के बीच और कंपनियों की लाभप्रदता कम होने के बाद भी भारतीय कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होने की संभावना है। कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी में 10.4 फीसदी की वृद्धि कर सकती हैं। अग्रणी वैश्विक पेशेवर सेवा फर्म एओएन पीएलसी के द्वारा भारत में नवीनतम वेतन वृद्धि सर्वेक्षण के अनुसार भारत में वर्ष 2023 में 10.4 प्रतिशत बाजार के लिए वैश्विक रणनीति की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। बात पिछले वर्ष की करें तो साल 2022 में अब तक 10.6 प्रतिशत ही वृद्धि हुई थी, जो इससे थोड़ी अधिक है।

देखा जाए तो वर्ष 2022 से दस साल पहले यानी 2012 में भारतीय उद्योग जगत में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी डबल डिजिट में बढ़ी थी। इस बार सर्वे में देश में 40 से अधिक उद्योगों की 1,300 कंपनियों का विश्लेषण किया गया। इस वर्ष कर्मचारियों की सैलरी में औसतन 10.6 फीसदी की वृद्धि के साथ भारतीय उद्योग जगत ने दुनिया के कई विकसित देशों की तुलना में अधिक वृद्धि की है। विश्लेषण मे यह बताया गया है साल 2022 की पहली छमाही में नौकरी छोड़ने वाले लोगों की संख्या 20.3 प्रतिशत थी, जो कि साल 2021 में दर्ज 21 बाजार के लिए वैश्विक रणनीति प्रतिशत की तुलना में कम है। सर्वेक्षण में ये बात कही गयी है कि यह प्रवृत्ति अगले कुछ महीनों तक ऐसे ही रहने की उम्मीद है।

अलीबाबा ने 10 हजार लोगों को नौकरी से निकाला

चीन की अर्थव्यवस्था को ही देख लें तो साल 2022 की पहली तिमाही में वहां सकल घरेलू उत्पाद (GDP) केवल 0.4 प्रतिशत ही बढ़ी थी, जबकि जीडीपी विकास दर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद की जा रही थी। स्टॉक के विभिन्न आर्थिक विशेषज्ञ, अरबपति, निवेशक और सरकार के अधिकारियों का ऐसा मानना है कि अमेरिकी की अर्थव्यवस्था भी अब गिर रही है। कथित तौर पर अप्रैल 2020 में अमेरिका ने लगभग 20.5 मिलियन नौकरियां खो दी थी। जब से वैश्विक मंदी की खबरें आई है तब से कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में छंटनी की भी खबरे चर्चा का विषय बनाई हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की अलीबाबा ने एक साथ 10,000 कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल दिया है।

मौजूदा समय में हर क्षेत्र में भारत का दबदबा देखने को मिल रहा है। बीते कुछ सालों में भारतीय आईटी बाजार के लिए वैश्विक रणनीति क्षेत्र से काफी तरक्की हुई। भारतीय टेक कंपनियों और स्टार्टअप ने अपनी मजबूत प्रदर्शन किया है। विभिन्न तरह की सरकारी योजनाएं जैसे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत इसमें काफी सहयोग कर रही है। भारत एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। भारत के विकास में अपना योगदान देने के लिए टाटा समूह भी आगे आया है। टाटा समूह की योजना भारत में आईफोन का निर्माण करने की है।

वैश्विक मैक्रो रणनीति: एक सिंहावलोकन

एक वैश्विक मैक्रो रणनीति एक हैनिवेश और ट्रेडिंग रणनीति जो उसके होल्डिंग्स (स्टॉक,इक्विटीज, वायदा बाजार, मुद्रा) बड़े पैमाने पर अन्य देशों के व्यापक आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण या व्यापक आर्थिक सिद्धांतों पर।

Global Macro Strategy

वैश्विक मैक्रो रणनीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए फंड मैनेजर विभिन्न प्रकार के व्यापक आर्थिक और भू-राजनीतिक पहलुओं जैसे ब्याज दरों, मुद्रा विनिमय दरों, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य स्तर, राजनीतिक घटनाओं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का मूल्यांकन करते हैं।हेज फंड तथाम्यूचुअल फंड्स अक्सर वैश्विक मैक्रो रणनीतियों का उपयोग करें।

वैश्विक मैक्रो रणनीति के प्रकार

वैश्विक मैक्रो रणनीतियों को उस व्यापक आर्थिक तत्व के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है जिस पर वे सबसे अधिक भरोसा करते हैं। तीन मुख्य प्रकार हैं:

मुद्रा रणनीतियाँ

मुद्रा रणनीतियों में, फंड अक्सर एक मुद्रा बनाम दूसरी मुद्रा की सापेक्ष बाजार के लिए वैश्विक रणनीति ताकत के आधार पर अवसरों की तलाश करते हैं। यह विभिन्न देशों की मौद्रिक नीतियों और अल्पकालिक ब्याज दरों पर पूरा ध्यान देता है। मुद्रा और मुद्रा डेरिवेटिव ऐसी रणनीति में नियोजित सबसे आम साधन हैं। क्योंकि मुद्रा तकनीकों का उत्तोलन के साथ कारोबार किया जा सकता है, वे आकर्षक लाभ अर्जित कर सकते हैं। दूसरी ओर, उच्च उत्तोलन, सौदों को अत्यधिक जोखिम भरा बनाता है।

ब्याज दर रणनीतियाँ

इस प्रकार की वैश्विक मैक्रो रणनीति संप्रभु ऋण ब्याज दरों पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे दिशात्मक और सापेक्ष मूल्य दोनों ट्रेड होते हैं। एक देश की मौद्रिक नीति, साथ ही साथ उसकी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति, इस तरह की योजना में सभी पर जोर दिया जाता है। ऐसी प्रतिभूतियों पर आधारित सरकारी ऋण और डेरिवेटिव दृष्टिकोण में उपयोग किए जाने वाले सबसे लोकप्रिय वित्तीय साधन हैं। वे अन्य विकसित और विकासशील देशों द्वारा जारी किए गए ऋण में भी निवेश कर सकते हैं।

ग्लोबल मैक्रो फंड्स का प्रकार

ग्लोबल मैक्रो फंड्स को रणनीतियों में अंतर के अलावा, रणनीतियों के निष्पादन के तरीके से वर्गीकृत किया जाता है। इसे तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

कमोडिटी ट्रेडिंग एडवाइजर (सीटीए)

ग्लोबल मैक्रो फंड विभिन्न प्रकार के निवेश उत्पादों को नियोजित करते हैं, लेकिन शीर्ष-स्तरीय विचारों के आधार पर पोर्टफोलियो बनाने के बजाय, ये फंड पोर्टफोलियो बनाने और ट्रेडों को निष्पादित करने में सहायता के लिए मूल्य-आधारित और प्रवृत्ति-निम्नलिखित एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।

विवेकाधीन

फंड मैनेजरमौलिक विश्लेषण पोर्टफोलियो बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह वैश्विक मैक्रो फंड का सबसे अनुकूलनीय रूप है, जिससे फंड मैनेजर्स को व्यापक निवेश करने की अनुमति मिलती हैश्रेणी संपत्ति का। इस प्रकार का वैश्विक मैक्रो फंड सबसे अधिक अनुकूलनीय है क्योंकि प्रबंधक कहीं से भी किसी भी संपत्ति पर लंबी या छोटी जा सकते हैं।

कतर मुक्त बाजार के लिए कहता है

Qatar Saad al-Kaabi

कतर में, सार्वजनिक ऊर्जा कंपनी के प्रमुख साद अल-काबी का मानना है कि जीवाश्म ईंधन के आदान-प्रदान का राजनीतिकरण किया जाना चाहिए। इस प्रकार, वह राजनेताओं से प्रतिबंधों और मुक्त बाजार-विरोधी समझौतों से दूर जाने का आह्वान करता है।

उपभोक्ताओं का वजन

कतर में, मंत्री की टिप्पणी मिस्र में गैस निर्यातक देशों के फोरम (GECF) की बैठक से पहले आई है। वे इस क्षेत्र के कई खिलाड़ियों की राय को प्रतिध्वनित करते हैं। दरअसल, उन्हें डर है कि जी7 द्वारा रूसी तेल की कीमतों पर प्रतिबंध विश्व व्यापार को पंगु बना देगा।

हाल ही में, G7 देशों ने दिसंबर तक कम कीमत पर रूसी तेल की बिक्री को सीमित करने पर सहमति व्यक्त की। यूरोपीय आयोग भी उच्च ऊर्जा कीमतों से निपटने के लिए आपातकालीन उपायों का प्रस्ताव कर रहा है। हालाँकि, यह गैस की कीमतों को तुरंत सीमित करने से परहेज करता है और संघ के देश इस विचार पर विभाजित रहते हैं।

15 यूरोपीय संघ के देश गैस मूल्य सीमा की मांग करते हैं, लेकिन इसके डिजाइन पर असहमत हैं। इसके विपरीत जर्मनी और नीदरलैंड इस टोपी से डरते हैं। यह, वे कहते हैं, सर्दियों में संघर्ष कर रहे देशों को छोड़ देगा जब रूसी आपूर्ति दुर्लभ होगी।

रूस की भूमिका

कतर के मंत्री साद अल-काबी ने एक बयान में कहा:

“कतर और कतर ऊर्जा राज्य सभी सरकारों और बहुपक्षीय संस्थानों से ऐसी नीतियां विकसित करने का आग्रह करते हैं जो प्रतिबंधों या मुक्त बाजार समझौतों के रूप में पेट्रोलियम उत्पादों के आदान-प्रदान का राजनीतिकरण करती हैं।”

कतर एनर्जी तरलीकृत प्राकृतिक गैस के दुनिया के प्रमुख निर्यातकों में से एक है। विश्व स्तर पर, संयुक्त तेल और गैस भंडार के मामले में कंपनी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल समूह है।

कंपनी अपने जीवाश्म ईंधन का उत्खनन से लेकर शोधन तक उत्पादन करती है। यह परिवहन और भंडारण भी प्रदान करता है। कतरी मंत्री का यह भी कहना है कि सरकारों को ऊर्जा अवसंरचना पर तोड़फोड़ और हमलों की निंदा करनी चाहिए।

रूस यूक्रेन पर हवाई हमले तेज कर रहा है। यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री का कहना है कि यूक्रेन की तापीय उत्पादन क्षमता का कम से कम आधा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। दुनिया अपने पहले वैश्विक ऊर्जा संकट से गुजर रही है।

मेक फॉर द ग्लोबल का नया द्वार जी-20

हम उम्मीद करें कि देश और दुनिया में भारत को दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की जो संभावनाएँ प्रस्तुत हो रही हैं, उन्हें साकार करने के लिए उत्पाद लागत को घटाने, शोध एवं नवाचार पर फोकस करने, कानूनों को और सरल बनाने, अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज करने, लॉजिस्टिक की लागत कम करने तथा श्रमशक्ति को नई डिजिटल कौशल योग्यता से सुसज्जित करके मेक इन इंडिया एंड मेक फॉर द ग्लोब की रणनीति को सफल बनाया जाएगा। हम उम्मीद करें कि आगामी वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता का प्रभार रखते हुए सरकार भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की संभावनाओं के अवसर को साकार करने के लिए तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगी…

16 नवंबर को भारत के जी-20 का नया अध्यक्ष बनने के बाद मेक इन इंडिया और मेक फॉर द ग्लोबल की नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। 15 नवंबर को दुनिया के सबसे प्रमुख 20 देशों के समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सब पर नई वैश्विक व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कोविड और यूक्रेन संकट के बाद वैश्विक सप्लाई चेन तहस नहस हो गई है। ऐसे में भारत आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक जरूरतों की पूर्ति के लिए अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि इन दिनों पूरी दुनिया में चीन प्लस वन की जरूरत के मद्देनजर मेक फॉर द ग्लोबल के लिए भारत को दुनिया के दूसरे नए कारखाने के रूप में चिन्हित किया जा रहा है। दुनिया के विभिन्न आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में मेक फॉर ग्लोबल और दुनिया के लिए खाद्यान्न आपूर्ति करने वाले नए देश के रूप में भारत की नई संभावनाएं प्रस्तुत की जा रही हैं।

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