शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं

114 का नियम
यह नियम रकम तिगुना करने में लगने वाले समय का हिसाब देता है. 114 को आप संभावित ब्याज दर से भाग देकर ये समय निकाल सकते हैं. उदाहरण के लिए अगर निवेश से आपको सालाना 15 फीसदी रिटर्न मिलता है तो 114 को 15 से भाग दीजिए, जो 7.6 साल के बराबर है.
भारत में निवेश के ins और बहिष्कार
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इन्वेस्टमेंट के ये 6 फॉर्मूले हर किसी को शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं जानना है जरूरी
इन्वेस्मेंट टिप्स
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 14 फरवरी 2022,
- (Updated 14 फरवरी 2022, 4:50 PM IST)
पढ़ने और सीखने की तरह निवेश की भी कोई उम्र नहीं होती
हर कोई अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किसी ना किसी रूप में निवेश (Investment) करता है. अगर आप अपने निवेश का सफर शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो इसकी शुरुआत अभी से करें. जाने माने निवेशक वारेन बफेट (Warren Buffett) भी इसी सिद्धांत में यकीन करते हैं और इसी का पालन भी करते हैं.
निवेश का सफर शुरू करने से पहले दो चीजों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. समय और निवेश पर मिलने वाला रिटर्न यानी आरओआई (Return on Investment). जितने ज्यादा से ज्यादा समय के लिए आप निवेश शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं करेंगे, उतना ही ज्यादा रिटर्न आपको मिलेगा. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप अपने लक्ष्यों को कम से कम जोखिम के साथ पूरा करेंगे. आपको उस धनराशि को ध्यान में रखकर योजना बनानी होगी, जो आप निवेश के जरिये भविष्य में हासिल करना चाहते हैं. यहां निवेश के गणित के कुछ ऐसे शानदार टिप्स दिए जा रहे हैं, जिससे आपके लिए चीजें काफी साफ और आसान हो जाएंगी.
Sankarsh Chanda : 17 साल में शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं शेयर बाजार में निवेश शुरू किया, 23 साल में 100 करोड़ के मालिक, जानें पूरी कहानी
इनका नाम है संकर्ष चंदा। ये हैदराबाद के रहने वाले हैं। संकर्ष ने सिर्फ 17 साल की उम्र से ही शेयर बाजार में निवेश करना शुरू कर दिया था। संकर्ष एक फिनटेक स्टार्टअप सावर्ट (Sankarsh Chanda) के संस्थापक हैं, जो लोगों को स्टॉक, म्यूचुअल फंड और बॉन्ड में शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं निवेश करने में मदद करता है।
बीच में छोड़ी पढ़ाई, बनाई कंपनी-
संकर्ष के संस्थापक हैं, संकर्ष ने 2017 में बेनेट युनिवर्सिटी (ग्रेटर नोएडा) ड्राप करने के बाद सिर्फ 8 लाख रुपए निवेश कर फिनटेक स्टार्टअप सावर्ट कंपनी की शुरुआत (Sankarsh Chanda) की।
4. ट्रेडिंग वॉल्यूम
स्टॉक की मात्रा मापी जाती है कि किसी निश्चित समय अवधि में इसे कितनी बार खरीदा और बेचा गया है, आमतौर पर एक ही दिन में। उच्च मात्रा के साथ एक स्टॉक, एक उच्च रूझान का सुझाव देता है- जो या तो सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है।
स्टॉक की मात्रा में वृद्धि अक्सर मूल्य वृद्धि का एक संकेत है, जो या तो शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं ऊपर या नीचे की ओर हो सकता है।
उच्च मात्रा वाले स्टॉक बढ़े हुए व्यापार और महत्वपूर्ण मूल्य प्रदान करते हैं जो कि सफल दिन के कारोबार के लिए आवश्यक है।
5. उच्च उपलब्धता और उतार–चढ़ाव
उच्च उपलब्धता वाले स्टॉक व्यापारियों को दिन में कई बार व्यापार करने और स्टॉक में छोटे से छोटे मूल्य में बदलाव का फायदा उठाने का अवसर प्रदान करते हैं।
इस तरह के स्टॉक मूल्य में अच्छे बदलाव और अधिक उतार-चढ़ाव प्रदान करते हैं जिससे व्यापारियों को आसानी से अच्छी कीमत पर स्टॉक में प्रवेश करने और बाहर निकलने का अवसर मिल जाता है।
उतार-चढ़ाव मापती है कि किसी शेयर की कीमत किसी निश्चित समय में कितनी अधिक ऊपर या नीचे होगी। सबसे अधिक ऊपर नीचे वाले स्टॉक में ट्रेडिंग करना व्यापार का एक कुशल तरीका है क्योंकि वे अधिक लाभ कमाने की क्षमता प्रदान करते हैं।
जितना अधिक मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है, व्यापारियों के लिए शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं इंट्राडे व्यापार से लाभ उठाने का अवसर उतना ही अधिक होता है। ये सभी उच्च उतार-चढ़ाव वाले स्टॉक को दिन के कारोबार के लिए अधिक बेहतर बनाते हैं बनिस्पत उनके जिसमे उतर चढ़ाव मामूली होता है।
6. 52- सप्ताह के उच्च या निम्न स्तर वाले स्टॉक
52-सप्ताह का उच्च / निम्न मूल्य वे शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं उच्चतम और निम्नतम मूल्य है, जिस पर पिछले वर्ष के दौरान किसी शेयर ने कारोबार किया है।
व्यापारियों को 52 सप्ताह के उच्च / निम्न मूल्य के शेयरों की तलाश करनी चाहिए, क्योंकि ऐसे शेयरों में उच्च दिलचस्पी होती है और इसलिए दैनिक व्यापार के लिए अधिक गति दिखाई देती है।
आमतौर पर, यह देखा जाता है कि यदि शेयर की कीमत 52 सप्ताह के क्षेत्र (या तो ऊपर या नीचे) से टूटती है, तो मूल्य में चाल उसी दिशा में जारी रहने की उम्मीद है।
वे विपरीत ट्रेडों को भी रख सकते हैं, जहां 52 सप्ताह के उच्च स्तर को प्रतिरोध स्तर के रूप में और 52 सप्ताह के निचले स्तर को समर्थन क्षेत्र के रूप में माना जाना चाहिए।
SIP Investment Tips: SIP शुरू करते समय रखें इन बातों का खयाल, वरना झेलना पड़ सकता है भरी नुकसान
SIP Investment Tips: वैसे तो सिप में निवेश करना ज्यादातर फायदे का सौदा ही साबित होता है, लेकिन कई बार कम जानकारी के शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं कारण एसआईपी निवेशक कुछ गलतियां कर बैठते हैं। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो इन गलतियों से जरूर बचें-
(SIP Investment Tips), नाई दिल्ली. सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे पॉपुलर तरीका हो गया है। एसआईपी उन लोगो के लिए बेहतर है जो शेयर बाजार की पेचीदगियों से खुद को दूर रखना चाहते हैं और जो मार्केट के जोखिम से बचना चाहते हैं।
आपको बता दें कि एसआईपी से आप अपनी पसंद के म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में अपनी सुविधा के हिसाब से नियमित रूप से एक निश्चित धनराशि जमा कर सकते हैं। आज– कल लोग फंड्स की बदलती नेट असेट वैल्यू (NAV) के आधार पर अपने निवेश को संतुलित कर अच्छा पैसा बनाते हैं।