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भारत की खुद की डिजिटल करेंसी

भारत की खुद की डिजिटल करेंसी
RBI गर्वनर शक्तिकांत दास। (Express Photo by Prashant Nadkar)

भारत में लॉन्च हुआ Digital Currency, जानिए क्या है E-Rupee, ये क्रिप्टो से कैसे अलग?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल करेंसी (Digital Currency) पायलट (टेस्टिंग) प्रोजेक्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू किया गया है। यह करेंसी, जो क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगी, ई-रुपी (e-RUPI) के रूप में जानी जाएगी, और वर्तमान में इसका थोक उपयोग के लिए परीक्षण किया जा रहा है।

ई-रुपी डिजिटल करेंसी क्या है? सीबीडीसी? इसे कौन नियोजित करेगा? इसे क्रिप्टो से क्या अलग करता है?

Digital Currency: क्या है ई-रुपी,लोगों तक कब पहुंचेगी, ये क्रिप्टो से कैसे अलग?

1. डिजिटल करेंसी ई-रुपी क्या है और सीबीडीसी क्या है?

  • CBDC सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का संक्षिप्त नाम है। यह, जैसा कि नाम का तात्पर्य है, देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी करेंसी या करेंसी का रूप है। आरबीआई भारत का केंद्रीय बैंक है; इस प्रकार, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी करेंसी को भारतीय डिजिटल करेंसी कहा जाएगा।
  • आरबीआई ई-रुपी नामक एक डिजिटल करेंसी जारी करेगा। यह कागज के पैसे या सिक्कों के रूप में नहीं, बल्कि डिजिटल रूप में होगा। इसे “लीगल टेंडर” के रूप में जाना जाएगा और आम लोग इसे लेनदेन के लिए उपयोग करने में सक्षम होंगे।
  • इसकी तुलना अपने पेटीएम या अन्य ऐप के वॉलेट में पैसे से न करें। वॉलेट में पैसा निस्संदेह डिजिटल है, लेकिन इसे डिजिटल मुद्रा के रूप में संदर्भित नहीं किया जाएगा।

2. क्या ई-रुपी के बाद भारत की दो करेंसी होंगी?

नहीं, कोई अलग से ई-रुपी की करेंसी नहीं होगी। केवल भारत में छपे नोट ही डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध होंगे। आइए एक उदाहरण देखें। मान लीजिए आरबीआई एक लाख रुपये छापने वाला है। यानी 100, 200, 500 आदि के नोट छापकर कुल एक लाख रुपये की छपाई की जाएगी।

हालांकि, डिजिटल करेंसी के आने के बाद मान लेते हैं कि आरबीआई सिर्फ 80 हजार के नोट छापेगा और बाकी 20 हजार को डिजिटल फॉर्म यानी ई-रुपी में जारी करेगा।

3. ई-रुपी कितने प्रकार के होंगे?

  • इलेक्ट्रॉनिक रुपए दो तरह के होंगे। पहला CBDC- W, दूसरा CBDC- R.
  • CBDC- W डिजिटल करेंसी होलसेल (CBDC- Wholesale) का संक्षिप्त नाम है। इसका उपयोग थोक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
  • CBDC होलसेल का अर्थ है कि इसका उपयोग वित्तीय संस्थानों (बैंकों) और गैर-वित्तीय संस्थानों द्वारा सरकारी निपटान के लिए किया जाएगा। इसका उपयोग किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, जब कोई बैंक सरकारी बांड खरीदना चाहता है।
  • CBDC-R डिजिटल करेंसी रिटेल (CBDC- Retail) का संक्षिप्त नाम है। इसका उपयोग आम जनता करेगी। जैसे दवा या अन्य सामान खरीदते समय।
  • आरबीआई ने फिलहाल अपना होलसेल पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है।

4. किस बैंक में होगा डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल?

फिलहाल रिजर्व बैंक ने कुल नौ बैंकों द्वारा डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी इनमे शामिल हैं।

5. आम जनता के लिए ई-रुपया कब उपलब्ध होगा?

फिलहाल, आरबीआई ने डिजिटल करेंसी के लिए एक रिटेल पायलट कार्यक्रम शुरू किया है। आरबीआई अगले महीने खुदरा इस्तेमाल शुरू कर सकता है। हालांकि, रिटेल में, इसे पहले पायलट किया जाना चाहिए, जिसका अर्थ है कि खुदरा कुछ व्यापारियों और किसी एक वर्ग को उपयोग के लिए दिया जाएगा।

6. डिजिटल करेंसी को क्रिप्टोकरेंसी से क्या अलग करता है?

  • चूंकि डिजिटल करेंसी को आरबीआई और भारत सरकार का समर्थन प्राप्त है, इसलिए इसे सुरक्षित माना जा सकता है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी आम लोगों के बीच डिमांड और सप्लाय पर आधारित होती है। तभी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य लगभग $60,000 था, और अब यह लगभग $20,000 है।
  • डिजिटल करेंसी को केंद्रीकृत किया जाएगा, यानी इसकी निगरानी आरबीआई करेगा। यह लेन-देन कौन कर रहा है, किसके साथ कर रहा है और कितना कर रहा है, इसकी जानकारी सभी को होगी। जबकि क्रिप्टोकुरेंसी विकेंद्रीकृत है, कोई भी प्रभारी नहीं है। लेन-देन कौन कर रहा है, किसके लिए और कितने पैसे के लिए? पता लगाना नगण्य है।
  • डिजिटल करेंसी को ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया जा सकता है, लेकिन यह निजी होगी और लेनदेन के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी, जबकि ब्लॉकचेन जिस पर क्रिप्टो बनाया गया है वह एक खुला नेटवर्क है जो बिना किसी प्रतिबंध के संचालित होता है।

डिजिटल रुपी कोई कमोडिटी नहीं है जबकि क्रिप्टोकरेंसी एक कमोडिटी है. क्रिप्टो का कोई इश्युअर यानी इसे जारी करने वाला कोई नहीं होता और यह कैश नहीं भारत की खुद की डिजिटल करेंसी कहलाता. डिजिटल रुपी बैंक नोट का डिजिटल वर्जन है जो की आरबीआई जारी करता है इसका इस्तेमाल केवल बैंक नोट की जगह ही होगा.

रचित चावला, सीईओ, फिनवे एफएससी

RBI का बड़ा एलान : आम लोगों के लिए 1 दिसंबर भारत की खुद की डिजिटल करेंसी को लॉन्च होगा डिजिटल रुपया, इन जगहों से होगी शुरुआत

भारत की डिजिटल करेंसी डिजिटल रुपये का रिटेल सेगमेंट के लिए ट्रायल 1 दिसंबर से शुरू किया जाएगा. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) चुनिंदा लोकेशंस पर ये ट्रायल करेगा. ई-रुपया पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के क्लोज्ड यूजर ग्रुप (सीयूजी) में चुनिंदा लोकेशन पर उपलब्ध होगा. ब्लॉकचेन पर निर्मित डिजिटल रुपये से ट्रांजैक्शंस की स्पीड और सुरक्षा बढ़ने की संभावना है. रिटेल टेस्टिंग में RBI की निगरानी में चुने गए मर्चेंट्स और कस्टमर्स इस सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का इस्तेमाल करेंगे. ई-रुपया एक टोकन के रूप में लीगल भारत की खुद की डिजिटल करेंसी टेंडर होगा.

RBI ने एक बयान में कहा कि ये पायलट प्रोजेक्ट ग्राहकों और व्यापारियों के साथ क्लोजर यूजर ग्रुप (CUG) को कवर करेगा. ये पायलट प्रोजेक्ट कुछ चुनिंदा जगहों पर ही होगा. डिजिटल रुपया इस समय जारी पेपर करेंसी (Paper Currency) और सिक्कों (Coins) के मूल्य के अनुसार ही जारी होगा. ये डिजिटल करेंसी बैंकों के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूट होगी.

डिजिटल वॉलेट से कर सकेंगे लेनदेन

e₹-R का डिस्ट्रीब्यूशन बैंकों के माध्यम से किया जाएगा. डिजिटिल वॉलेट के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यक्ति या व्यक्ति-से-मर्चेंट के बीच लेन देन किया जा सकता है. रिजर्व बैंक के अनुसार, यूजर्स मोबाइल फोन या डिवाइस में भारत की खुद की डिजिटल करेंसी स्टोर बैंकों के डिजिटल वॉलेट से डिजिटल रुपी (rupee) के जरिए लेन-देन कर पाएंगे. अगर आपको किसी दुकानदार को डिजिटल rupee में भुगतान करना है, तो मर्चेंट के पास दिख रहे क्यूआर (QR) कोड्स के जरिए किया जा सकता है.

ये भारत की खुद की डिजिटल करेंसी चार बैंक होंगे शामिल

डिजिटल रुपये के खुदरा उपयोग के इस परीक्षण में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और ICICI बैंक समेत चार बैंक शामिल होंगे. ये परीक्षण दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में किया जाएगा. डिजिटल रुपये को बैंकों के जरिए वितरित किया जाएगा और उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की तरफ से पेश किए जाने वाले डिजिटल भारत की खुद की डिजिटल करेंसी वॉलेट के जरिये ई-रुपये में लेनदेन कर पाएंगे.

आरबीआई गवर्नर ने बताया, भारत में कब शुरू हो सकता है डिजिटल करेंसी का ट्रायल

आरबीआई डिजिटल करेंसी की सेफ्टी, मॉनेटरी पॉलिसी पर इसके प्रभाव और प्रचलन में नकदी सहित कई पहलुओं पर गौर कर रहा है।

आरबीआई गवर्नर ने बताया, भारत में कब शुरू हो सकता है डिजिटल करेंसी का ट्रायल

RBI गर्वनर शक्तिकांत दास। (Express Photo by Prashant Nadkar)

भारत में डिजिटल रुपए के लिए पहली बार टेस्टिंग दिसंबर 2021 तक शुरू की जा सकती है। यह बयान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक निजि न्‍यूज चैनल को दिए इंटरव्‍यू में दिया है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा को सीबीडीसी के रूप में भी जाना जाता है, डिजिटल मुद्रा को ऑनलाइन रूप में लीगल टेंडर के रूप में प्रस्तावित किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो डिजिटल रुपया प्रचलन में चल रही फिएट करेंसी का ऑनलाइन वर्जन होगा।

नि‍जि चैनल को दिए इंटरव्‍यू में आरबीआई गवर्नर भारत की खुद की डिजिटल करेंसी ने कहा कि आरबीआई डिजिटल करेंसी को लेकर काफी सतर्क और सावधान हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि यह पूरी तरह से नया प्रोडक्‍ट है, जिसको लेकर वो काफी गंभीर हैं। उन्‍होंने कहा कि आरबीआई डिजिटल करेंसी की सुरक्षा, मॉनेटरी पॉलिसी इसके प्रभाव और प्रचलन में नकदी सहित कई पहलुओं पर गौर कर रहा है।

उन्‍होंने इस बारे में आगे कहा कि उन्‍हें लगता है साल के अंत तक हम पूरी तरह से सक्षम होंगे और एक ऐसी स्थित‍ि में आ जाएंगे कि अपनी डिजिटल करेंसी का पहला परीक्षण शुरू कर सकें। आरबीआई प्रमुख ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी के लिए एक सेंट्रलाइज लेजर का उपयोग करने और कई पार्टिसिपेंट्स का डिजिटल डेटाबेस रखने के ऑप्‍शन पर विचार कर रहा हैं। जिसे डिस्‍ट्रीब्‍यूटिड लेजर टेक्‍नोलॉजी भी कहा जाता है।

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सेंट्रलाइज लेजर के डेटाबेस का स्वामित्व और संचालन केवल केंद्रीय बैंक के पास होगा। विशेष रूप से, यूके, चीन और यूरोप सहित कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं डिजिटल मुद्राओं के उपयोग की खोज कर रही हैं। नकदी के उपयोग में गिरावट और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी के बाद आरबीआई ने ट्रायल पर विचार करना शुरू किया है।

आपको बता दें क‍ि आरबीआई से काफी समय से इस बारे में सवाल किए जा रहे हैं कि आख‍िर वो अपनी खुद की डिजिटल करेंसी की शुरूआत कब करेंगे। खासकर बिटकॉइन की लोकप्र‍ियता बढ़ने के बाद तो यह सवाल और आरबीआई पर दबाव और ज्‍यादा बढ़ने लगा है। आरबीआई ने तो बिटकॉइन पर बैन तक लगा दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर से बैन हटा दिया था।

Digital rupees / आज RBI लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

आज RBI लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

Digital rupees: देश में डिजिटल रुपी यानी कि डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का रास्ता साफ हो गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि डिजिटल भारत की खुद की डिजिटल करेंसी रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट 31 अक्टूबर (मंगलवार) को शुरू होने जा रहा है. इस डिजिटल रुपये को सीबीडीसी यानी कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के रूप में जाना जाएगा. रिजर्व बैंक इस डिजिटल करेंसी का पायलट लॉन्च करने जा रहा है. शुरू में यह बात सामने आ गई थी कि रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल रुपी लेकर आएगा.

रिजर्व बैंक ने यह बात पहले ही बता दी थी. अब वह दिन आ गया है जब देश की पहली डिजिटल करेंसी 31 अक्टूबर को लॉन्च होने जा रही है. अभी यह डिजिटल रुपी होलसेल सेगमेंट के लिए शुरू की जाएगी.

पायलट प्रोजेक्ट में ये बैंक शामिल

रिजर्व बैंक के हवाले से समाचार एजेंसी ‘PTI’ ने लिखा है कि पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंडरी मार्केट ट्रांजैक्शन का सेटलमेंट होगा जिसमें सरकारी सिक्योरिटी को शामिल किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और भारत की खुद की डिजिटल करेंसी एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

इस साल के बजट में हुई घोषणा

इस साल के बजट में डिजिटल करेंसी यानी कि सीबीडीसी को लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इसका ऐलान खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इसके भारत की खुद की डिजिटल करेंसी बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि सीबीडीसी को लॉन्च करने का काम चरणबद्ध तरीके से होगा और उसकी घोषणा जल्दी की जाएगी. इस तरह अब इसे लाने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल यह करंसी पायलट प्रोजेक्ट में सामने आएगी जिसे बाद में आम लोगों के लिए भी पेश किया जा सकेगा.

सभी अफवाहों पर विराम

सीबीडीसी का कॉन्सेप्ट आने के साथ ही इस बात की अटकलें तेज हो गई थीं कि सरकार बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी और उसके बदले अपनी डिजिटल करेंसी लेकर आएगी. अभी क्रिप्टोकरेंसी पर किसी तरह का आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगा है, लेकिन रिजर्व बैंक ने अपनी सीबीडीसी का ऐलान कर दिया. रिजर्व बैंक पूर्व में स्पष्ट कर चुका है कि भारत की डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी का क्रिप्टोकरेंसी से कोई तुलना नहीं की जा सकती.

सीबीडीसी की जरूरत क्यों

अगला जमाना डिजिटल करेंसी का है जिस पर पूरी दुनिया में तेजी से काम चल रहा है. भारत इस दिशा में बहुत तेजी से कदम बढ़ा रहा है जिसकी तारीफ विश्व बैंक जैसे संगठन भी खुलकर कर चुके हैं. डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा. जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा. इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी.

यह जान लेना जरूरी है कि डिजिटल रुपी एक डिजिटल करेंसी जरूर है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कतई नहीं है क्योंकि डिजिटल रुपी का संचालन पूरी तरह से आरबीआई की निगरानी में होगा. क्रिप्टोकरेंसी में किसी केंद्रीय बैंक की निगरानी नहीं होती.

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