क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है?

1. सीबीडीसी के साथ भुगतान अंतिम होगा। इसका मतलब है कि फाइनेंशल सिस्टम के माध्यम से सेटलमेंट का जोखिम कम हो जाएगा।
2. यह रीयल-टाइम पेमेंट की अनुमति देगा।
3. यह किफायती होगा।
4. एक व्यक्ति दुनिया में कहीं भी किसी भी समय भुगतान कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारत में एक व्यक्ति रीयल-टाइम में संयुक्त राज्य अमेरिका को डिजिटल पैसा भेज सकता है।
5. टाइम ज़ोन का अब कोई भी कारक नहीं होगा।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC): भारत की डिजिटल करेंसी की लॉन्च की तारीख, फायदे और नुकसान
- Date : 02/05/2022
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- Read in English: Central Bank Digital Currency (CBDC): All you need to know!
हमारी केंद्रीय वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-2023 में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च की। CBDC को डिजिटल करेंसी के रूप में जाना जाता है, जिसने अपनी घोषणा के बाद से ही राउंड किया है। तो आइए डिजिटल करेंसी और इसे आवश्यक बना देने वाली हर क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? चीज को गहराई में से समझते हैं।
आइए आरबीआई डिजिटल रूपी के बारे में जानते हैं
दुनिया भर की सरकारें इस नई तकनीक के साथ प्रयोग कर रही हैं और आंशिक रूप से ब्लॉकचेन और बिटकॉइन तकनीक के कारण कैशलेस सोसाइटी का निर्माण करने में सक्षम हो रही हैं।
आरबीआई के अनुसार, डिजिटल रुपी या सीबीडीसी एक डिजिटल करेंसी है जिसे सेंट्रल बैंक ने जारी किया है। आसान शब्दों में, यह भारतीय रूपी का एक डिजिटल रूप है। जैसे ही डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल शुरू होगा, हम इसे सामान्य रूपी की तरह इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। डिजिटल वॉलेट, आईएमपीएस और एनईएफटी कुछ डिजिटल रूपी के उदाहरण हैं। डिजिटल रूपी से रिटेल और होलसेल ट्रांज़ैक्शन हो सकता है।
डिजिटल रूपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या अंतर है?
डिजिटल रूपी लीगल टेंडर और सेंट्रलाइज़्ड होगा। इसका मतलब है कि डिजिटल रूपी को रेगुलेट किया जाएगा। ब्लॉकचेन, क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन जैसी तकनीकें लीगल टेंडर नहीं हैं और सरकारी प्राधिकरण या बैंकों के पास नहीं हैं। क्रिप्टोकरेंसी को एक वर्चुअल एसेट के रूप में देखा जाता है, न कि लीगल टेंडर के रूप में।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रूपये को लॉन्च करने के पीछे का मुख्य कारण यह है कि दुनिया डिजिटल करेंसी की ओर बढ़ रही है, और भारत बाकी दुनिया से पीछे नहीं रहना चाहता है। डिजिटल रूपी को लॉन्च करने का एक अन्य मुख्य कारण यह था क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आतंकवाद, कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग आदि के लिए किया जा सकता है।
डिजिटल रूपी को शुरू करने से भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलेगा। ऐसी भविष्यवाणी की गई है कि मौजूदा करेंसी मैनेजमेंट सिस्टम की तुलना में डिजिटल करेंसी बहुत कम खर्चीली और अधिक कुशल होगी।
आरबीआई डिजिटल रुपी कब लॉन्च करेगा?
लॉन्च की तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है। हालांकि, 2022-2023 वित्तीय वर्ष में किसी समय डिजिटल रुपया अपना भव्य प्रवेश करेगा
क्या यह सच है कि भारत सरकार ने डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है?
कम से कम हमारे देश में, बिटकॉइन जैसी तकनीक को अभी भी लीगल टेंडर के रूप में मान्यता नहीं मिली है। डिजिटल रूपी डिजिटल करेंसी की ओर बढ़ने का एक तरीका है। टैक्सेशन उद्देश्यों के लिए, वर्चुअल करेंसी बनाना आवश्यक था। दूसरी ओर, टैक्सेशन को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, क्योंकि डिजिटल करेंसी को अब केवल मान्यता दी जा रही है।
हमारे केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर चर्चा चल रही है और एक बार जब वह समाप्त हो जाएंगी, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि लीगल टेंडर क्या है और क्या नहीं है।
Budget 2022: क्रिप्टो करंसी से हुआ घाटा तो भी देना होगा टैक्स, सेंट्रल बैंक जल्द लॉन्च करेगा ‘डिजिटल रुपया’
बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबे समय से चल रही अनिश्चितता दूर क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है? हुई है.
Tax on Cryptocurrency/Digital Rupee: बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबे समय से चल रही अनिश्चितता दूर हुई है. वित्त मंत्री ने बड़ी क्रिप्टोकरेंसी पर पर बड़ा एलान करते हुए क्लेरिटी दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एलान किया है कि क्रिप्टोकरंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. खास बात है कि सेंट्रल बैंक यानी रिजर्व बैंक (RBI) भी अपनी डिजिटल करंसी जल्द ही लॉन्च करने जा रही है. एक तरह से यह क्रिप्टोकरंसी को रेगुलेट करने के लिए उपाय किया गया है. अबतक क्रिप्टोकरंसी पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता था. इसी वजह से इसे लेकर एक अनिश्चितता थी कि यह देश में निवेश के लिए जारी रहेगी या इस पर बैन लगेगा.
क्रिप्टोकरंसी पर घाटा तो भी देना होगा टैक्स
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बात और साफ की है कि जहां क्रिप्टोकरंसी पर होने वाली आय पर टैक्स लगेगा, वहीं अगर इस पर घाटा हुआ तो भी टैक्स देना होगा. क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं किसी भी वर्चुअल एसेट्स के ट्रांसफर पर होने वाली आय पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा. वहीं एक निश्चित सीमा से अधिक के ट्रांजेक्शन पर टीडीएस भी लगाने का एलान किया गया है. फिलहाल इस कदम से यह तय है कि सरकार क्रिप्टोकरंसी पर किसी तरह का बैन नहीं लगाने जा रही है. लेकिन इससे होने वाली आय पर भारी भरकम टैक्स लगा दिया गया है. सरकार के इस कदम से क्रिप्टोकरंसी में निवेश को लेकर ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी.
TradeSmart के CEO विकास सिंघानिया का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज करने के लिए वित्त मंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी टैक्स लगाया है. अब ट्रेडर्स इस एसेट क्लास में बिना किसी डर के ट्रेड कर सकते हैं. बजट ने क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग पर कानूनी अनिश्चितता को दूर कर दिया है. क्रिप्टो में लोग ट्रेड कर सकते हैं लेकिन उन्हें टैक्स देना होगा. हालांकि यह देखा जाना है कि अगर कॉर्पोरेट क्रिप्टो में ट्रेड करते हैं, तो कॉर्पोरेट टैक्स लागू होता है या 30 फीसदी टैक्स या जो भी अधिक हो.
जल्द आएगी देश की पहली डिजिटल करंसी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान वर्ष 2022-23 से देश में डिजिटल करंसी की शुरुआत किए जाने का एलान किया है. वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा ‘डिजिटल रुपये’ की शुरुआत करने से देश में करेंसी मैनेजमेंट में काफी सुधार होगा.
BeSingular के फाउंडर और CEO नितेश जैन का कहना है कि सरकार का रुख इस बजट में प्रोग्रेसिव रहा है. सरकार आगे की ओर देख रही है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण देश में पहली डिजिटल करंसी का एलान है. रेगुलेटेड डिजिटल करंसी का मतलब है कि यह फारवर्ड लुकिंग है और ब्लॉकचेन और अन्य एक्सपोनेंशियल टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की भावना में है.
बता दें कि सरकार लंबे समय से देश में क्रिप्टोकरंसी और दूसरे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को रेगुलेट करने के लिए एक बिल लाने पर विचार कर रही है. इस बिल को ‘क्रिप्टो बिल’ के नाम से भी जाना जाता है. पहले इस बिल को शीतकालीन सत्र में लाया जाना था.
जानें क्रिप्टो करेंसी क्या होती है और इसकी मार्केट ग्रोथ का मुख्य कारण क्या है?
क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है इसे कई देशों में मान्यता प्राप्त है जबकि कई अन्य में नहीं. आइये जानें आखिर किस आधार पर इसकी मार्केट वैल्यू डिसाइड होती है.
हाल ही में क्रिप्टो करेंसी विश्व स्तर पर एक आम चर्चा का विषय बन गई है. विश्व के कई देशों में इसे क़ानूनी मान्यता प्राप्त है जबकि भारत सहित कुछ अन्य देश ऐसे हैं जहाँ इसे क़ानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है. आइये जानें क्या है क्रिप्टो करेंसी और कैसे निर्धारित होती है इसकी मार्केट ग्रोथ?
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित एक प्रकार की डिजिटल करेंसी है. हाल के वर्षों में, क्रिप्टोकरेंसी, जिसमें विशेष रूप से बिटकॉइन शामिल है विश्व स्तर पर सबसे व्यापक डिजिटल मुद्रा बन कर उभरी है. इसके सबसे अधिक फेमस होने के बहुत से कारण हैं जैसे ये बिना किसी केंद्रीय बैंक के संचालित होती है. आज कल विभिन्न देशों के लोग इसे सरकार के विभिन्न करों से बचने के लिए और इससे मिलने वाले अधिक लाभ के लिए प्रयोग कर रहे हैं.
Cryptocurrency पर लगाम की तैयारी, निवेशकों पर क्या होगा असर, जानिए हर एक बात
क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक लेकर आ रही है। आगामी संसद सत्र में पेश किए जाने वाले अन्य बिलों के साथ सूचीबद्ध "द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021" का सारांश कुछ भ्रम पैदा करता है। यह सभी "प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी" को प्रतिबंधित करने की बात करता है। अब सवाल है कि आखिर प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या होता है। सरकार किस इरादे से सख्ती दिखा रही है। आइए इसको समझ लेते हैं।
क्या है क्रिप्टोकरेंसी: ये एक तरह की डिजिटल करेंसी है। इसे आप नोट या सिक्कों की तरह छू नहीं सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को आप बैंक अकाउंट में भी नहीं रख सकते हैं और ना ही किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस करेंसी को कोई रेग्युलेट भी नहीं करता है। मसलन, भारतीय रुपए पर किसी भी तरह का फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से लिया जाता है। इसी तरह दूसरे देशों में भी सेंट्रल बैंक ही करेंसी से जुड़े फैसले लेती हैं। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा नहीं है। इसकी निगरानी या लगाम लगाने वाली कोई संस्था नहीं है।
डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी क्या होती है?
आपने अभी तक Physical Currency का नाम सुना भी होगा और इस्तेमाल भी कर रहे होंगे, लेकिन आज हमारे पास एक ओर तरह की करेंसी आ गयी है, जिसका इस्तेमाल तो हम कर सकते हैं, लेकिन वो मूर्त रूप में हमारे पास नहीं हो सकती, क्योंकि ये केवल आभाषी करेंसी यानी मुद्रा है, ओर इसे ही हम Digital Currency या Crypto Currency के नाम से जानते हैं। इसे हम किसी भी देश की Currency/मुद्रा की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, बस अंतर सिर्फ इतना होता है, कि इसका इस्तेमाल केवल हम ऑनलाइन तरीके से इंटरनेट के द्वारा ही कर सकते हैं।