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निवेश के जोखिम

निवेश के जोखिम
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जानें ये 3 जोखिम (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

लाभ वाला पोर्टफोलियो के लिए जोखिम को जानना जरूरी

किसी भी तरह के निवेश का उद्देश्य मुनाफा कमाना ही होता है। शेयर बाजार में शॉर्ट और मीडियम टर्म में नुकसान होना बहुत सामान्य-सी बात है, क्योंकि इसका मिजाज ही उतार-चढ़ाव वाला है। रिटर्न की अनिश्चितता ही शेयर बाजार में निवेश का सबसे बड़ा जोखिम है। पिछले 10 वर्ष में निफ्टी ने निवेशकों को औसतन 12% रिटर्न दिया है, लेकिन, इन दौरान ऐसे भी कई मौके आए हैं जब निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। बेहतरीन निवेश पोर्टफोलियो के लिए निवेशक को अपनी रिस्क उठाने की क्षमता पता होनी चाहिए।

Published: June 13, 2022 07:03:18 pm

किसी भी तरह के निवेश का उद्देश्य मुनाफा कमाना ही होता है। शेयर बाजार में शॉर्ट और मीडियम टर्म में नुकसान निवेश के जोखिम होना बहुत सामान्य-सी बात है, क्योंकि इसका मिजाज ही उतार-चढ़ाव वाला है। रिटर्न की अनिश्चितता ही शेयर बाजार में निवेश का सबसे बड़ा जोखिम है। पिछले 10 वर्ष में निफ्टी ने निवेशकों को औसतन 12% रिटर्न दिया है, लेकिन, इन दौरान ऐसे भी कई मौके आए हैं जब निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। बेहतरीन निवेश पोर्टफोलियो के लिए निवेशक को अपनी रिस्क उठाने की क्षमता पता होनी चाहिए।

Share market

इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट मेल्विन जोसेफ ने कहा, बाजार में उठापटक के दौरान जिन निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता ज्यादा थी, वो बाजार में टिके रहे और लॉन्ग टर्म में मुनाफे में रहे। उन्होंने कहा, बेहतरीन निवेश पोर्टफोलियो बनाने के लिए निवेशक को अपनी रिस्क उठाने की क्षमता का पता होना जरूरी है। इसलिए हर निवेशक को अपनी जोखिम क्षमता का मूल्यांकन जरूर करना चाहिए, ताकि लॉन्ग टर्म में वह अपने निवेश लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर सके।

रिस्क असेसमेंट प्रोफेशनल तरीके से निवेश पोर्टफोलियो बनाने की ट्रिक है। जोखिम का मूल्यांकन निवेशकों को जोखिम उठाने की क्षमता के बारे में बताता है। इससे यह पता चलता है कि कोई निवेश उसके लिए लाभदायक रहेगा या फिर उसे नुकसान देगा।

इससे शॉर्ट टर्म के मार्केट करेक्शन का सामना निवेशक आसानी से कर लेता है और लॉन्ग टर्म में मोटा फंड बनाने के अपने लक्ष्य को सरलता से हासिल कर लेता है।

1 सबसे पहले इसमें निवेशक के जोखिम उठाने की क्षमता का निर्धारण किया जाता है। इसमें यह तय किया जाता है कि निवेशक किस सीमा तक रिस्क उठा सकता है।

2 इसके बाद निवेशक के निवेश के जोखिम निवेश हिस्ट्री को देखा जाता है पूर्व में उसकी ओर से उठाए गए रिस्क का विश्लेषण किया जाता है।

3 फिर जोखिम उठाने की क्षमता की तुलना वर्तमान में तय की गई रिस्क लेने की सीमा से की जाती है। इसके बाद ही ज्यादा रिटर्न देने वाले पोर्टफोलियो का चुनाव किया जाता है।

पत्रिका डेली न्यूज़लेटर

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Anand Mani Tripathi

आनंद मणि त्रिपाठी (@aanandmani) रक्षा, राजनीति और सामरिक मामलों के पत्रकार हैं। प्रिंट, टीवी और आनलाइन में रिपोर्टिंग। नवोदय विद्यालय से शिक्षा और हरियाणा से पत्रकारिता। रेलवे, सड़क एवं परिवहन, प्रशासन, शिक्षा, विज्ञान, कृषि विभाग और मंत्रालय की रिपोर्टिंग की। 2016 में रक्षा मंत्रालय के DCC के बाद रक्षा मामलों की पत्रकारिता शुरू की। इसके बाद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या 2017,राइफलमैन औरंगजेब की हत्या 2018, जम्मू—कश्मीर में बदले 2018 में बदले राजनीतिक समीकरण, पुलवामा हमला 2019, कश्मीर से 370 में परिवर्तन, गलवान घाटी मुठभेड़ 2020 की ग्राउंड रिपोर्टिंग की। लोकसभा चुनाव 2019 में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब कवर किया। 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या मामले में आए फैसले की अयोध्या से कवर किया। 2020 में भी लददाख से नेपाल तक की यात्रा चीन के बदलते समीकरण को लेकर की। 2022 उत्तरप्रदेश चुनाव को सहारनपुर से सोनभद्र तक मोटर साइकिल के माध्यम से कवर किया।

अध्याय: 6

वेबस्टर के शब्दकोष में जोखिम की परिभाषा ‘‘हानि या चोट की संभावना_ आशंकाऔर स्पष्टता’’, ‘‘निश्चितकालीन, अनिर्धारित’’ और ‘‘संदेह से परे नहीं पता’’ के रूप में है। नाइट (1921) जिन्होंने जोखिम को अनिश्चितता से अलग अर्थ देने की दिशा में कार्य किया है, ने जोखिम और अनिश्चितता के बीच निम्नानुसार अंतर स्पष्ट किया हैः ‘‘जोखिम वहाँ होता है जब भविष्य की घटनाएँ मापने योग्य संभावना के साथ घटती हैं जबकि अनिश्चितता वहाँ होती है जहाँ भविष्य में होने वाली घटनाओं के अनिश्चित या बेहिसाबी होने की संभावना होती है।’’

आर्थिक नीति कैसे निवेश के जोखिम अनिश्चितता निवेश को प्रभावित करती है?

  • निवेश भविष्य की गतिविधि है और भविष्य की उम्मीदें निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • निवेशक उच्च रिटर्न और कम जोखिम वाली परियोजनाओं में निवेश करना पसंद करते हैं।
  • कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल (Capital Asset Pricing Model) के अनुसार, निवेश पर रिटर्न व्यवस्थित जोखिम के साथ सकारात्मक रूप से संबंधित है।
  • अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ने से यह व्यवस्थित जोखिम बढ़ जाता है और इस तरह निवेश को सही ठहराने के लिये आवश्यक प्रतिफल की दर बढ़ जाती है।
  • नतीजतन इस आवश्यक रिटर्न की तुलना में कम रिटर्न उत्पन्न करने वाली परियोजनाएं अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ने पर अस्थिर हो जाती हैं।
  • इसके अलावा जैसा कि निश्चित निवेश अपरिवर्तनीय है, अनिश्चितता जोखिम में कमी लाती है, जोखिम को संभालने के लिये प्रीमियम की मांग बढ़ जाती है और अंततः निवेश कम हो जाता है।

भारत में आर्थिक नीति की अनिश्चितता

  • EPU इंडेक्स के अनुसार, वर्ष 2011 के अंत और वर्ष 2012 की शुरुआत में भारत में आर्थिक नीति की अनिश्चितता चरम पर थी और वर्ष 2013 के बीच टेपर टेंट्रम अवधि के दौरान बीच-बीच में घटती और बढ़ती रही है।
  • बढ़ते व्यापार तनाव, ब्रेक्सिट, धीमी वैश्विक वृद्धि जैसे निवेश के जोखिम कारकों के कारण बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत की आर्थिक नीति की अनिश्चितता में कमी आ रही है और यह अधिक स्थिर भी हो गई है।
  • ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस का फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट रेट(Fix Investment Rate) पर सीधा प्रभाव पड़ा, जो वर्ष 2007-08 में 37% से गिरकर अगले 10 सालों में 27% हो गया। किंतु हाल ही में इसमें 28% तक का सुधार देखा गया है।
  • इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (Insolvency and Bankruptcy code, 2016) के कार्यान्वयन और बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बाद ट्विन बैलेंस शीट समस्या के निरंतर समाधान ने देश में निवेश को बढ़ावा देने में मदद की है।

नीतिगत सिफारिशें

  • प्रथम, शीर्ष स्तर के नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके नीतिगत कार्य पूर्वानुमान करने योग्य, नीति के रूख पर भावी मार्गदर्शन प्रदान करने, भावी मार्गदर्शन के साथ वास्तविक नीति व्यापक निरंतरता बनाए रखने, तथा नीति कार्यान्वयन में अस्पष्टता/मनमानापन कम करने वाले होते हैं।
  • दूसरा, ‘‘जो मापा जाता है उस पर कार्रवाई की जाती है’’ कहावत के अनुसरण पर आर्थिक निवेश के जोखिम निवेश के जोखिम नीति अनिश्चितता सूचकांक को एक महत्त्वपूर्ण सूचकांक के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिये जिस पर ‘नीति निर्माताओं को तिमाही आधार पर’ उच्चतम स्तर पर निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिये।
  • नीति निर्माण में प्रक्रिया की गुणवत्ता आश्वासन, ‘‘आप जो दस्तावेज पेश करते हैं वे अधिक गंभीर रूप से आपको पेश करते हैं’’ की कहावत सरकार में कार्यान्वित की जानी चाहिये। वास्तविक नीति कार्यान्वयन निचले स्तर पर होता है जहाँ अस्पष्टता सृजित होने पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव आर्थिक नीतिगत स्पष्टता पर परिलक्षित होता है। चूँकि निजी क्षेत्र में संलग्नित कोई भी संगठन गुणवत्ता प्रमाणन के उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा व प्रयास करता है। प्रमाणन की इस प्रक्रिया में गुणवत्ता आश्वासन के अनुसरण में कार्मिकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी जो मुख्य रूप से आर्थिक नीतिगत अनिश्चितता को कम करेगी।

मेन्स के लिये कीवर्ड

टेपर टैंट्रम: यह 2013 के सामूहिक प्रतिक्रियात्मक आतंक को संदर्भित करता है जिसने अमेरिकी ट्रेज़री पैदावार में स्पाइक को ट्रिगर किया था, निवेशकों ने सीखा कि फेडरल रिज़र्व धीरे-धीरे अपने मात्रात्मक सहजता (QI) कार्यक्रम पर ब्रेक लगा रहा था।

महत्त्वपूर्ण तथ्य और रुझान

भारत में आर्थिक नीति अनिश्चितता पिछले एक दशक में काफी कम हुई है।

सकल घरेलू उत्पाद (सकल निवेश दर) के अनुपात के रूप में सकल स्थिर पूंजी निर्माण वर्ष 2007-08 में 37% से गिरकर वर्ष 2017 में 27% हो गया तथा हाल ही में इसमें 28% तक का सुधार हुआ।

मेन्स के लिये महत्त्वपूर्ण प्रश्न

Q.1: आर्थिक नीति की अनिश्चितता के बारे में संक्षेप में बताइये। वर्ष 2015 के बाद से भारत में नीतिगत अनिश्चितता में किन कारकों के चलते कमी आई है, स्पष्ट कीजिये।

Q.2: नीति अनिश्चितता किसी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है, स्पष्ट कीजिये।

Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स

अगर आप शेयर मार्किट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो अपनाए ये कुछ जरूरी टिप्स, जो आपके निवेश को तो सुरक्षित करेगा ही साथ ही आप को दिलायेगा ज्यादा रिटर्न

Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स

छोटी कंपनियों के शेयर्स में ज्यादा निवेश से ज्यादा बेहतर होगा, बड़ी कंपनियों में कम निवेश करना.

Equity Investment : अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आज आपको कुछ ऐसे जरूरी टिप्स बताने वाले हैं. इन्हें अपनाकर आप न सिर्फ अपने निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि बेहतरीन रिटर्न भी हासिल कर पाएंगे. आम तौर पर भारत में ज्यादातर लोग इक्विटी में निवेश करना पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें कम निवेश पर भी बेहतरीन रिटर्न हासिल हो सकता है. हालांकि इसमें निवेश जोखिम बना रहता है. इसलिए इक्विटी में निवेश से पहले आपको इसके बारे में सभी जानकारी तो लेनी ही चाहिए, साथ ही आपको व्यवस्थित तरीके से निवेश करना चाहिए. ताकि आपके निवेश पर जोखिम कम से कम हो.

निवेशकों को इक्विटी में निवेश करते समय ये कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए.

1. कभी भी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे न भागें

हमारे देश में शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले 10 में से 9 व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने किसी अन्य से मिली इन्वेस्टमेंट टिप्स को आधार बनाते हुए शेयर बाजार में निवेश शुरू किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शेयर मार्केट का जानकार या उसमें काम करने वाला व्यक्ति आप को ऐसी जानकारी या टिप्स क्यों देगा, जिससे उसकी जगह आप का फायदा होगा? उदाहरण के तौर पर हम देखेंगे कि कभी भी कोई सेफ (खाना बनाने वाला) अपनी रेसिपी का खुलासा नहीं करता है, तो फिर कोई आपको फायदा कराने वाली टिप्स की जानकारी क्यों देगा?. इसलिए किसी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे भागने से बेहतर होगा कि आप निवेश से पहले स्कीम को लेकर थोड़ा रिसर्च जरूर करें, ताकि आप की मेहनत की कमाई बेकार न हो जाए.

2. फंडामेंटल एनालिसिस

जहां तक रिसर्च की बात है तो हर व्यक्ति को न तो रिसर्च की तकनीक का ज्ञान है और न ही उसमें इतनी समझ है कि वो खुद से इन्वेस्टमेंट से जुड़े टेक्निकल वर्ड को सही मायनों में समझ सके. हालांकि निवेश के जोखिम वो पढ़ जरूर सकता है. वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो इन्वेस्टमेंट सेक्टर में हमेशा वॉरेन बफे और चार्ली मुंगेर की मिसाल दी जाती है, जिन्होंने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च किया और प्लान तरीके से निवेश किया. अपनी इसी रिसर्च और प्लान निवेश के दम पर इंटरनेशनल मार्केट में दोनों ने अपनी खास पहचान बनाई है.

3. पोर्टफोलियो में लाएं डायवर्सिटी

क्या आप जाने हैं कि एक ही स्टॉक या सेक्टर में निवेश करना आप के लिए बड़ा जोखिमभरा निवेश के जोखिम साबित हो सकता है. इसलिए आप को निवेश करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आप अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करें, ताकि अगर एक सेक्टर या एक स्टॉक में कोई दिक्कत आती है तो आप की सारी रकम एक साथ न डूब जाएये. यही वजह है कि निवेशकों को अपने निवेश पोर्टपोलियों में विविधता लाने की सलाह दी जाती है.

4. जोखिमों के बारे में रखें जानकारी

स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों को ये पता होता है कि उसे कब शेयर खरीदना और बेचना है. आम तौर पर 20 से 30 फीसदी के लाभ पर शेयर होल्डर्स अपने शेयर को बेच देते हैं, लेकिन मंदी के दौर में निवेशकों को इसे लेकर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि कई बार लोग सोचते हैं कि मंदी के समय में सस्ते शेयर लेकर इन्हें बाद में प्रॉफिट के साथ बेच देंगे. तो ये सोच कभी-कभी निवेशक के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकती है.

अगर म्यूचुअल फंड में करते हैं निवेश, तो जान लीजिए इन तीन जोखिमों के बारे में, वरना उठाना पड़ सकता है घाटा

Mutual Fund: अगर आप आकर्षक रिटर्न को देखकर म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो सबसे पहले इन तीन जोखिमों को अच्छे से समझें।

अगर म्यूचुअल फंड में करते हैं निवेश, तो जान लीजिए इन तीन जोखिमों के बारे में, वरना उठाना पड़ सकता है घाटा

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जानें ये 3 जोखिम (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

इक्विटी में निवेश निवेश के जोखिम निवेश के जोखिम के नजरिए से हमेशा म्यूचुअल फंड को कम जोखिम वाला माना जाता है, लेकिन म्यूचुअल फंड में कई तरह के जोखिम जुड़े हुए होते हैं, जिन्हें नजरंदाज करना हमें भारी पड़ सकता है। अगर हम एक बार इस जोखिम को समझ लें, तो फिर हम इसे कम करने के उपाय कर सकते हैं।

गैर-व्यवस्थित जोखिम (Unsystematic Risk): गैर-व्यवस्थित जोखिम किसी एक कंपनी या सेक्टर से जुड़ा हुआ होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे 1. सरकार की ओर से किसी इंडस्ट्री निवेश के जोखिम के लिए व्यापार से जुड़े नियम ही बदल देना। 2. बाजार में किसी नए प्रतियोगी कंपनी का आना। 3.कंपनी को अपने प्रोडक्ट को वापस मांगने के लिए सरकार के द्वारा मजबूर करना। 4. कंपनी के वित्तीय घोटाला होना।

ऐसे सभी जोखिमों से निपटने के लिए एक निवेशक को अपने म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड को रखना चाहिए, अगर कभी इस तरह के जोखिम का सामना करना पड़े, तो उसका आपके पोर्टफोलियो पर कम से कम प्रभाव हो।

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व्यवस्थित जोखिम (Systematic Risk): व्यवस्थित जोखिम म्यूचुअल फंड को ही बल्कि पूरे देश और शेयर बाजार को प्रभावित करता है। इस पर किसी का नियंत्रण नहीं होता है। ये किसी प्राकृतिक या फिर मानव निर्मित आपदा, जंग, आतंकवादी हमले के कारण हो सकता है। इस जोखिम को टालने के लिए आपको हमेशा अपनी निवेश अवधि को लंबा रखना चाहिए।

व्यवहार जोखिम (Behaviour Risk): ये हमेशा आपके फंड मैनेजर और इन्वेस्टर दोनों के वजह से आ सकता है। इसके कारण आपको बड़ा नुकसान हो सकता है, लेकिन कई बार इस जोखिम के कारण निवेशक अपनी पूरी कैपिटल भी खो सकता है। आमतौर पर इस तरह के जोखिम अक्सर नए निवेशकों को अधिक प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई निवेशक किसी फंड को खरीदता है और नुकसान होने पर उसे होल्ड करके रखता है, लेकिन उसका नुकसान समय से साथ बढ़ता जाता है। उसे आप व्यवहार जोखिम कह सकते हैं। इससे बचने का सबसे सफल उपाय है कि आप शेयर हो या फिर म्यूचुअल फंड हमेशा स्टॉप लोस के साथ कारोबार करना चाहिए।

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डाकघर में किए गए निवेश को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। निवेश में जोखिम कारक शामिल होते हैं लेकिन डाकघर प्लान्स में निवेश को सुरक्षित और सुरक्षित माना जाता है। यह आपके निवेश की यात्रा को शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका भी हो सकता है।

35 लाख रुपये का रिटर्न:

डाकघर के माध्यम से छोटी बचत स्कीम आपकी सबसे अच्छी पसंद हो सकती है। निवेश के जोखिम इसमें जोखिम नहीं हो सकता है, और पुरस्कार भी अनुकूल हैं। 'ग्राम सुरक्षा योजना' में निवेश आपके फ्यूचर को सुरक्षित करने का सही तरीका हो सकता है। ऐसा एक ऑप्शन जो बिना किसी जोखिम के पर्याप्त लाभ प्रदान करता है, वह है भारतीय डाक द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा प्लान । इस प्लान में आपको हर महीने 1500 रुपये जमा करने होंगे। अगर आप लगातार इस राशि को जमा करते हैं तो आपको अंत में 31 से 35 लाख रुपये का लाभ होगा।

निवेश के लिए दिशा-निर्देश देखें:

1. कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसकी आयु 19 से 55 वर्ष के बीच है, इस स्कीम में निवेश कर सकता है।

2. प्लान की न्यूनतम बीमा राशि 10,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है।

3. इस प्लान के प्रीमियम का भुगतान मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक आधार पर किया जा सकता है।

4. प्रीमियम का भुगतान करने के लिए 30 दिनों की छूट दी जाती है।

5. इस प्लान पर आपको लोन भी मिल सकता है।

6. इस स्कीम में तीन साल तक हिस्सा लेने के बाद आप इसे कैंसिल भी कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि ऐसी स्थिति में आपको कुछ हासिल नहीं होगा।

अपेक्षित लाभ क्या हैं?

यदि कोई व्यक्ति 19 वर्ष की आयु में इस कार्यक्रम में नामांकन करता है और रु. का बीमा खरीदता है। 10 लाख, उनका मासिक प्रीमियम 55 वर्षों के लिए 1515 रुपये होगा। 58 साल के लिए 1463 रुपये, और रु। 1411 60 साल के लिए। पॉलिसी खरीदार को इस मामले में 55 साल के लिए 31.60 लाख रुपये, 58 साल के लिए 33.40 लाख रुपये और 60 साल के लिए 34.60 लाख रुपये का परिपक्वता लाभ मिलेगा।

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