दुनिया में सबसे अच्छा व्यापारियों

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Gold Import Data: भारत कहां से खरीदता है सोना? आधा तो इस छोटे से देश से मंगाता है
दुनिया में चीन (China) के बाद भारत में Gold का सबसे बड़ा आयातक है. यहां खासतौर पर सोने की खपत फेस्टिव सीजन में सबसे ज्यादा रहती है. एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते पांच सालों के आंकड़े देखें तो भारत में सबसे ज्यादा सोने की खपत साल 2021 में हुई.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 17 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 17 अक्टूबर 2022, 1:45 PM IST)
देश में फेस्टिव सीजन (Festive Season) चल रहा है और लोग दिवाली (Diwali)-धनतेरस (Dhanteras) की तैयारियों में जुटे हुए हैं. आमतौर पर इस समय लोग सोने-चांदी के आभूषण खरीदने को ज्यादा तरजीह देते हैं. इस बार कोरोना का प्रकोप कम होने के कारण इनकी मांग बढ़ने की उम्मीद हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि जिस ज्वैलरी को आप दुकानों से खरीदते हैं, उसके लिए आखिर सोना (Gold) आता कहां से है? तो बता दें भारत अपनी जरूरत का आधा सोना एक छोटे से देश से खरीदता है.
Gold का दूसरा बड़ा आयातक
भारत में सोने का बड़ा महत्व दिया जाता है. जहां लोग इसे ज्वैलरी के रूप में पसंद करते हैं, तो दूसरी ओर इसे निवेश का भी सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है. कई बार देखने को मिला है, जब दुनिया भर के शेयर बाजारों (Stock Markets) में भूचाल आता है या फिर कोई अन्य आर्थिक संकट आता है, तो सोने की मांग (Gold Demand) बढ़ जाती है. इस मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. यही कारण है कि भारत दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है. यह अपनी जरूरत का करीब आधा हिस्सा स्विट्जरलैंड (Switzerland) से खरीदता है.
स्विट्जरलैंड से आधे सोने का आयात
स्विट्जरलैंड के अलावा भारत संयुक्त अरब अमीरात (UAE), दक्षिण अफ्रीका (South Africa), गिनी (Guinea) और पेरू (Peru) जैसे देशों से भी सोने का आयात करता है. वित्त वर्ष 2021-22 के गोल्ड इंपोर्ट डाटा पर नजर डालें तो इस दौरान भारत ने अपनी जरूरत का 45.8 फीसदी सोना अकेले स्विट्जरलैंड से आयात किया. इसके बाद देश ने सबसे ज्यादा 12.7 फीसदी सोने की खरीदारी यूएई से की है. विभिन्न देशों से आयात किया गया सोने का ज्यादातर हिस्सा चेन्नई और दिल्ली में उतारा जाता है.
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FY21-22 में इन देशों से आया सोना
स्विट्जरलैंड | 45.8 फीसदी |
यूएई | 12.7 फीसदी |
दक्षिण अफ्रीका | 7.3 फीसदी |
गिनी | 7.3 फीसदी |
पेरू | 4.9 फीसदी |
इसलिए Swiss Gold की डिमांड ज्यादा
बता दें यूरोप का छोटा सा देश स्विट्जरलैंड लंबे समय से भारत के सबसे बड़े इम्पोर्टर देशों में सबसे ऊपर रहा है. इसकी वजह ये है कि यह देश दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड रिफाइनिंग सेंटर है. ऐसा माना जाता है स्विस गोल्ड की क्वालिटी दुनिया के अन्य देशों के सोने के मुकाबले सबसे बेहतर है. यही कारण है कि खरीदारों में भी स्विट्जरलैंड के सोने का खासी डिमांड देखने को मिलती है.
2021 में हुआ सोने का इतना आयात
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेम ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) ने हाल ही में कहा है कि भारत का सोना आयात 2021 में 1,067.72 टन पर वापस आ गया, जो 2020 के दौरान 430.11 टन था. दरअसल, ये वो समय था जबकि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते देश में सोने की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई थी. रिपोर्ट की मानें तो 2021 में सोने का आयात 2019 के 836.38 टन के मुकाबले 27.66 फीसदी अधिक रहा.
2021 में इन देशों से आया इतना सोना
स्विट्जरलैंड | 469.66 टन |
यूएई | 120.16 टन |
दक्षिण अफ्रीका | 71.68 टन |
गिनी | 58.72 टन |
फेस्टिव सीजन में मांग बढ़ने की उम्मीद
कोरोना के प्रकोप से बाहर निकलने के बाद इस बार पहले की तरह दिवाली की रौनक दिखाई दे रही है. ऐसे में उम्मीद है कि सोने की डिमांड में जोरदार तेजी आएगी. यहां बता दें एक ओर जहां भारत, चीन के बाद सोने का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है. तो वहीं भारत में बने सोने के आभूषणों की दुनिया भर में डिमांड बढ़ती जा रही है. GJEPC के मुताबिक रत्न और आभूषणों का कुल निर्यात सितंबर में 30,195.21 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. ये आंकड़ा सितंबर 2021 के मुकाबले 27.17 फीसदी ज्यादा है. पिछले साल सितंबर में रत्न और आभूषण निर्यात 23,743.46 करोड़ रुपये रहा था.
Explainer: रूस-यूक्रेन युद्ध से इन व्यापारियों को फायदा, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है भारत
दूसरे देशों के खरीददार अब भारत में व्यापारियों को गेहूं के लिए सम्पर्क कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि भारत ने पिछले कुछ समय में पांच लाख टन गेहूं के निर्यात की डील की हैं. रॉयटर्स के मुताबिक, गेहूं की कीमतें बढ़ने से भारतीय व्यापारियों को बहुत फायदा हो रहा है.
Representative Image (Photo: Reuters)
gnttv.com
- नई दिल्ली ,
- 09 मार्च 2022,
- (Updated 09 मार्च 2022, 12:22 PM IST)
रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण गेहूं की सप्लाई पर पड़ा असर
भारतीय व्यापारियों को मिल रहा है फायदा
रूस और यूक्रेन के युद्ध का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. दोनों देशों के बीच के तनाव के कारण अन्य देशों में महंगाई बढ़ रही है. रूस से कच्चे तेल का निर्यात बंद है और ऐसे में, सभी देशों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ना तय हैं.
इसके अलावा अन्य जरुरी उत्पाद जैसे गेहूं की आपूर्ति पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है. बताया जा रहा है कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद काला सागर के रास्ते आने वाला गेहूं सप्लाई रूट काफी प्रभावित हुआ है. जिस कारण विदेशों में बहुत से खरीददार काला सागर के रास्ते आने वाले गेहूं का विकल्प खोज रहे हैं.
रूस दुनिया में सबसे अच्छा व्यापारियों और यूक्रेन में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है और दुनिया के कुल गेहूं निर्यात का 30 फीसदी इन्हीं दोनों देशों से आता है. अब स्थिति बदल चुकी है और दुनिया की निगाहें गेहूं के निर्यात के लिए भारत पर टिकी हैं क्योंकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है.
विदेशी खरीददार कर रहे भारतीय व्यापारियों से सम्पर्क:
दूसरे देशों के खरीददार अब भारत में व्यापारियों को गेहूं के लिए सम्पर्क कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि भारत ने पिछले कुछ समय में पांच लाख टन गेहूं के निर्यात की डील की हैं. रॉयटर्स के मुताबिक, गेहूं की कीमतें बढ़ने से भारतीय व्यापारियों को बहुत फायदा हो रहा है.
बताया जा रहा है कि भारत में पिछले कुछ सालों में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. जिस कारण देश में गेहूं काफी ज्यादा मात्रा में मौजूद है. इसलिए भारतीय व्यापारी भी गेहूं निर्यात की संभावनाओं को लेकर खुश हैं. हालांकि, भारत में गेहूं का न्यूनतम दाम काफी अच्छा मिलता है इसलिए व्यापारियों को गेहूं निर्यात में फायदा तभी होता है जब ग्लोबल लेवल पर कीमतें ज्यादा हों.
निर्यात होगा 70 लाख टन गेहूं:
फिलहाल, दूसरे देशों के डीलरों को भारत में ही गेहूं का एक स्थिर सप्लायर नजर आ रहा है. इसलिए भारत इस साल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात करेगा. कुछ ही दिनों में पांच लाख टन गेहूं के निर्यात का सौदा हुआ है. यूनिकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले एक ट्रेडर का कहना है कि बहुत से सप्लायर ने 340 से 350 डॉलर प्रति टन के भाव पर सौदा किया जबकि इससे पहले 305-310 डॉलर प्रति टन तक का भाव मिला था.
सरकार भी गेहूं के निर्यात का समर्थन कर रही है. क्योंकि इससे गेहूं किसानों और व्यापारियों को बड़े स्तर पर फायदा हो सकता है. साथ ही, भारत के लिए गेहूं के क्षेत्र में ग्लोबल लेवल पर बड़ी संभावनाएं बढ़ सकती हैं.
और बढ़ सकती हैं गेहूं की कीमतें:
गेहूं सप्लाई प्रभावित होने के कारण सोमवार को यूरोपीय गेहूं की कीमत 400 यूरो प्रति टन यानी लगभग 33 हजार रुपये पर पहुंच गई थी. यह पिछले 14 साल में सबसे ज्यादा है. वहीं, भारत में गेहूं उत्पादकों को लगभग 19,700 रुपये प्रति टन का न्यूनतम मूल्य मिलता है.
इसके अलावा खेतों में इस्तेमाल होने वाला खाद और उर्वरक भी महंगा हो रहा है. क्योंकि रूस फ़र्टिलाइज़र का निर्यातक देश है और युद्ध के कारण लगे प्रतिबंधों के चलते रूस दूसरे देशों को खाद निर्यात नहीं कर सकता है. सप्लाई पूरी न मिलने से घरेलू बाजारों में खाद के दाम बढ़ेंगे और इस कारण फसलों की कीमत भी बढ़ेंगी.
Pakistan: सरकार को व्यापारियों की चेतावनी- भारत से आयात करें खाद्य सामग्री, वरना और बुरे होंगे हालात
बयान में आगे कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से जिस अनाज पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, वह गेहूं है, जिसकी कीमतों में रिकॉर्ड उछाल आया है और अब विनाशकारी बाढ़ से लाखों एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालिया बाढ़ ने और मुश्किलें बढ़ा दीं हैं। बाढ़ से हजारों एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई। इसके चलते देश को भविष्य में बड़े खाद्य संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके मद्देजनर पाकिस्तान के प्रमुख व्यापारियों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार से भारत से आयात करने का आग्रह किया है।
पीबीआईएफ (पाकिस्तान बिजनेसमैन एंड इंटेलेक्चुअल फोरम) ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार को देश के कृषि उत्पादन की स्थिति में सुधार और सामान्य स्थिति में लौटने तक सभी करों (टैक्स) को समाप्त करना चाहिए।
इस संगठन के अध्यक्ष जाहिद हुसैन ने कहा, हम सरकार से सभी चारों पड़ोसी देशों से आयात की अनुमति देने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक कृषि को बहुत नुकसान पहुंचाया है और सभी कृषि वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रहीं हैं।
बयान में आगे कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से जिस अनाज पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, वह गेहूं है, जिसकी कीमतों में रिकॉर्ड उछाल आया है और अब विनाशकारी बाढ़ से लाखों एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
इसमे कहा गया है कि भारत त्वरित और सस्ते खाद्य आयात के लिए सबसे अच्छा विकल्प था लेकिन सरकार द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी इसे राजनीतिक लाभ के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती थी। बयान में यह भी कहा गया है कि भारत से सीधे व्यापार के अभाव में भारतीय व पाकिस्तानी बिजनेसमैन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के जरिए अतिरिक्त पैसा देकर व्यापार करने पर मजबूर हैं।
बयान में कहा गया है कि सरकार को लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए और दूर के देशों से कृषि उत्पादों के आयात के बजाय पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके अलावा अगर 17 अरब डॉलर (4000 अरब रुपये) पाकिस्तानी किसानों को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में दुनिया में सबसे अच्छा व्यापारियों दिए जाते हैं तो कृषि उत्पादन में क्रांति हो सकती है। वरना स्थिति 2050 तक और भी खराब हो सकती है। पाकिस्तान की आबादी 38 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है कि विनाशकारी बाढ़ के कारण पाकिस्तान को चालीस बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है और ऐसी आशंका है कि फसलों का नुकसान होने से खाद्य संकट पैदा हो सकता है। सकारात्मक सोच रखने के बाजवूद सरकार भारत से आयात की अनुमति देने से हिचकिचा रही है।
विस्तार
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालिया बाढ़ ने और मुश्किलें बढ़ा दीं हैं। बाढ़ से हजारों एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई। इसके चलते देश को भविष्य में बड़े खाद्य संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके मद्देजनर पाकिस्तान के प्रमुख व्यापारियों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार से भारत से आयात करने का आग्रह किया है।
पीबीआईएफ (पाकिस्तान बिजनेसमैन एंड इंटेलेक्चुअल फोरम) ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार को देश के कृषि उत्पादन की स्थिति में सुधार और सामान्य स्थिति में लौटने तक सभी करों (टैक्स) को समाप्त करना चाहिए।
इस संगठन के अध्यक्ष जाहिद हुसैन ने कहा, हम सरकार से सभी चारों पड़ोसी देशों से आयात की अनुमति देने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक कृषि को बहुत नुकसान पहुंचाया है और सभी कृषि वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रहीं हैं।
बयान में आगे कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से जिस अनाज पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, वह गेहूं है, जिसकी कीमतों में रिकॉर्ड उछाल आया है और अब विनाशकारी बाढ़ से लाखों एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
इसमे कहा गया है कि भारत त्वरित और सस्ते खाद्य आयात के लिए सबसे अच्छा विकल्प था लेकिन सरकार द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी इसे राजनीतिक लाभ के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती थी। बयान में यह भी कहा गया है कि भारत से सीधे व्यापार के अभाव में भारतीय व पाकिस्तानी बिजनेसमैन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के जरिए अतिरिक्त पैसा देकर व्यापार करने पर मजबूर हैं।
बयान में कहा गया है कि सरकार को लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए और दूर के देशों से कृषि उत्पादों के आयात के बजाय पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके अलावा अगर 17 अरब डॉलर (4000 अरब रुपये) पाकिस्तानी किसानों को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में दिए जाते हैं तो कृषि उत्पादन में क्रांति हो सकती है। वरना स्थिति 2050 तक और भी खराब हो सकती है। पाकिस्तान की आबादी 38 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है कि विनाशकारी बाढ़ के कारण पाकिस्तान को चालीस बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है और ऐसी आशंका है कि फसलों का नुकसान होने से खाद्य संकट पैदा हो सकता है। सकारात्मक सोच रखने के बाजवूद सरकार भारत से आयात की अनुमति देने से हिचकिचा रही है।
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