क्रिप्टो-करेंसी से लाभ

Digital Rupee : क्या है डिजिटल रुपी,डिजिटल रुपी के लाभ,क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर की सम्पूर्ण जानकारी
भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल रुपी (Digital Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से प्रारंभ कर दिया है। हम सन जानना चाहते है कि क्या है डिजिटल रुपी तो आइये जानते है विस्तार से : ये भारत का पहला सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) है जिसे डिजिटल रुपी (Digital Rupee) कहा जा रहा है , इस टेस्टिंग के द्वारा सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन किया जाएगा।
आज के सूचना युग है जिसमे हम सभी का पूरा जीवन बदलता जा रहा है क्योंकि तकनीक बदलती जा रही है। इसीलिए अब हमारा पैसों का लेनदेन का तरीका भी बदल रहा है। तकनीक के निरंतर होते विकास ने पैसो के लेनदेन के पारंपरिक स्वरूप को एक डिजिटल रूप दिया है।
अब संसार कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में भारत भी पीछे नही रहना चाहता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने (RBI) को होलसेल क्षेत्र के लिए डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्टज लॉन्च किया है और रिटेल क्षेत्र में डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्टज कुछ चुने हुए स्थानों पर एक महीने के भीतर लॉन्च करने की योजना है।
फरवरी २०२२ में वित्त मंत्री निर्मला ने अपने बजट भाषण में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा कर दी थी. आरबीआई के अनुसार होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए नौ बैंकों की पहचान की गई है.
ये नौ bank हैं :-
भारतीय स्टेहट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक,एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक HSBC बैंक हैं.
डिजिटल करेंसी का प्रयोग अनेक देश करना चाहते हैं किन्त्तु कुछ ही देश अपनी डिजिटल करेंसी को विकसित करने के पायलट चरण से आगे बढ़ने में सफल रहे हैं.
क्या है डिजिटल रुपी ?
What is Digital Rupee?
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार सीबीडीसी, डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है, जो कागजी मुद्रा के समान है और आवश्यकता पड़ने पर कागजी मुद्रा के साथ इसका विनिमय किया जा सकेगा,
हम इसे सरल शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपी आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल फॉर्म में करेंसी नोट्स हैं.
डिजिटल रुपी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में परिवर्तित पैसा है जिससे कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन किया जा सकता है.
भारत में डिजिटल करेंसी दो प्रकार की होगी जिसमे होलसेल सीबीडीसी (CBDC-W) और रिटेल सीबीडीसी (CBDC-R),
होलसेल सीबीडीसी का उपयोग कुछ चुने हुए वित्ती य संस्थासनों के द्वारा ही होगा जबकि रिटेल सीबीडीसी का प्रयोग सब कर सकेंगे
डिजिटल रुपी के लाभ
Advantages of Digital क्रिप्टो-करेंसी से लाभ Rupee
अब भारतीय लोग भी बहुत बड़ी संख्या digital transaction करते हैं इसलिए भविष्य में CBDC के अनेक लाभ होंगे.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले वर्ष लोकसभा को बताया था , “डिजिटल रुपी के अनेक लाभ होंगे. इससे नकदी पर निर्भरता कम होगी और साथ ही साथ सीबीडीसी मजबूत, विश्वसनीय, विनियमित और एक वैध भुगतान का माध्यम बनेगी .
जब देश में डिजिटल रुपी (Digital Rupee) प्रयोग होने लगेंगे तब आपको अपने पास कैश रखने की आवश्यकता कम हो जाएगी और आपको अपने परम्परागत बटुए में अधिक धन रखने की आवश्यकता ही नहीं होगी.
डिजिटल करेंसी को लोग अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे जिसे कैश में आसानी से बदला भी जा सकेगा.
अधिक नियंत्रित पैसों का लेनदेन
more controlled money transactions
चूँकि इस डिजिटल करेंसी का लेनदेन सरकार के द्वारा अधिकृत नेटवर्क के भीतर ही होगा इसलिए डिजिटल रुपी का लेनदेन में देश में आने और बाहर जाने वाले धन पर अधिक कंट्रोल होगा और भारतीय डिजिटल करेंसी होने के कारण ट्रांजेक्शन कॉस्ट भी घट जाएगी
डिजिटल रुपी के प्रयोग से नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा और साथ ही साथ कागज के नोट की प्रिटिंग का खर्च नही लगेगा
डिजिटल रुपी क्योंकि डिजिटल करेंसी है इसलिए यह कभी खराब नहीं होगी.
अधिक सुरक्षित पैसों का लेनदेन
more secure money transactions
डिजिटल रुपी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, ब्लॉभकचेन टेक्नोवलॉजी में भुगतान तेजी से होता है जिससे डिजिटल रुपी का लेनदेन सुरक्षित है और इसके लेनदेन में सेंध लगाना अत्यधिक कठिन होता है ,
पारंपरिक डिजिटल लेनदेन के मुकाबले सीबीडीसी अधिक सुरक्षित है,
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में क्या अंतर है
What is the difference between Cryptocurrency and Digital Rupee
क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो-करेंसी से लाभ सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी- डिजिटल रुपी में मुख्यॉ अंतर यह है कि डिजिटल रुपी पूरी प्रकार से सरकारी नियंत्रण में काम करेगी और ये यह सरकार समर्थित वैध मुद्रा है.
जबकि क्रिप्टोकरेंसी एक निजी करेंसी है इसे किसी भी देश की सरकार मॉनिटर नहीं करती और न ही सेंट्रल बैंक का इस पर कोई कंट्रोल होता है.
क्रिप्टोीकरेंसी के रेट में उतार-चढाव आता रहता है जबकि दूसरी ओर डिजिटल रुपी भारतीय मुद्रा का ही digital रूप है इसलिए इसके रेट में उतार-चढाव आता रहता है
क्रिप्टोकरेंसी को नकद मुद्रा में नही बदला जा सकता है किन्तु डिजिटल रुपी को नकदी में बदल सकेंगे.
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Cryptocurrency latest news: क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनियाभर में हल्ला मचा है. कुछ देशों में इसे लीगल टेंडर माना है. वहीं, कहीं पूरी तरह से बैन है. हालांकि, कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां इस पर कोई सफाई नहीं है. अब भारत में इसको लेकर रेगुलेशन तैयार होने हैं.
Cryptocurrency: केंद्र सरकार की क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने की तैयारी है. खबर के बाद से ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसी का भाव क्रिप्टो-करेंसी से लाभ गिर गए हैं. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के लिए सरकार 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट (Regulation on Cryptocurrency) करने वाला विधेयक पेश करेगी. बिल (Cryptocurrency bill) में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी (Private Cryptocurrency) पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है.
RBI को मिलेगी डिजिटल करेंसी का फ्रेमवर्क
क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी (Cryptocurrency technologies) को बढ़ावा देने के लिए सरकार कुछ ढील भी दे सकती है. हालांकि, किने क्रिप्टोकरेंसी में ढील दी जाएगी ये साफ नहीं है. वहीं, बिल की मदद से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) को अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी (Digital Currency) जारी करने के लिए सुविधाजनक फ्रेमवर्क मिलेगा.
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क्रिप्टो में अभी तक क्या हुआ?
क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन (Cryptocurrency regulations) के लिए संसद में बिल लाएगी सरकार. बिल में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी (Private Cryptocurrency) पर पाबंदी लगाने की चर्चा है. कुछ अपवादों को छोड़कर निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगना तय है. RBI अपनी खुद की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) जारी करेगा. दूसरे देशों में देखें तो अमेरिका (US), यूरोप समेत कई बड़े देशों में फिलहाल क्रिप्टो को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है.
क्रिप्टो को कानूनी दर्जा कहां?
El Salvador, क्यूबा और यूक्रेन में क्रिप्टो के लिए अलग कानून है. दुनिया में केवल El Salvador में क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर (Cryptocurrency legal tender) है. IMF ने El Salvador में क्रिप्टो को लीगल करेंसी इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताई थी. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी पर चीन, इंडोनेशिया, Egypt में पूरी तरह से बैन है. वियतनाम, रूस, ईरान और तुर्की में क्रिप्टो पर आंशिक रूप से बैन किया गया है.
भारत में क्रिप्टो मार्केट का हाल
- भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा क्रिप्टो निवेशक है.
- भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी है.
- भारत की 7% से ज्यादा जनसंख्या के पास क्रिप्टोकरेंसी मौजूद.
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी में 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश.
- क्रिप्टो में निवेश करने वालों की औसतन उम्र 24 साल.
- 60% क्रिप्टो निवेशक टियर II और टियर III शहरों से हैं.
- भारत में छोटे एक्सचेंज के अलावा 16 एक्सचेंज पर क्रिप्टो ट्रेडिंग होती है.
- 65% लोगों ने पहले इन्वेस्टमेंट के तौर पर क्रिप्टो में निवेश किया है.
भारत Vs ग्लोबल
दुनियाभर में क्रिप्टो निवेशकों की संख्या
देश निवेशक
भारत 10 करोड़
अमेरिका 2.74 करोड़
रूस 1.74 करोड़
नाइजीरिया 1.3 करोड़
भारत Vs ग्लोबल
- भारत में 16 एक्सचेंजेज, दुनिया में 308 एक्सचेंज.
- कुल 10 हजार से ज्यादा क्रिप्टो करेंसी.
क्रिप्टो में क्या हुआ?
क्रिप्टो के एक्सचेंज
एक्सचेंज (प्रतिदिन वॉल्यूम $)
BINANCE $35 अरब
OKEx $10 अरब
COINBASE $7.4 अरब
KRAKEN $1.47 अरब
BITFINEX $1.04 अरब
WAZIRX $27.5 करोड़
COINDCX $11.2 करोड़
ZEBPAY $3.6 करोड़
क्रिप्टो में निवेश पर खर्च
- हर एक्सचेंज पर चार्जेज अलग-अलग.
- प्रति क्रिप्टो-करेंसी से लाभ क्रिप्टो-करेंसी से लाभ ट्रेड 0.5-1% की फीस.
- बैंक से वॉलेट में पैसे डालने पर 5-20 रुपए फीस.
- पैसे निकलने के लिए भी देनी होती है फीस.
- AMC फीस 30-300 रुपए प्रति महीने.
क्या है भारत में कानून ?
क्रिप्टो पर कानून
- 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने RBI के प्रतिबंध को हटाया.
- भारत में क्रिप्टो अवैध नहीं.
- बैंक क्रिप्टो खरीदने-बेचने से इनकार नहीं कर सकते.
सरकार क्यों ला रही है रेगुलेशन ?
RBI की चिंता
- क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टो-करेंसी से लाभ के चलते इकोनॉमी में अस्थिरता संभव.
- क्रिप्टो का असर महंगाई और फॉरेक्स पर संभव.
- RBI का जल्द डिजिटल करेंसी लाने का प्रस्ताव.
सरकार क्यों ला रही है रेगुलेशन?
- निवेशकों के निवेश की सुरक्षा जरूरी.
- क्रिप्टो से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों पर रोक जरूरी.
- टेरर फंडिंग, हवाला में क्रिप्टो का इस्तेमाल.
- क्रिप्टो पर रोक संभव नहीं, लेकिन रेगुलेशन जरूरी: स्थायी समिति.
- PM मोदी की तमाम देशों से अपील, गलत हाथों में ना जाए क्रिप्टो.
- RBI और SEBI भी क्रिप्टो के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंतित.
क्रिप्टो के क्या हैं निगेटिव?
क्रिप्टो के क्या हैं पॉजिटिव?
- नए जमाने की एसेट क्लास.
- नई टेक्नोलॉजी पर बना है.
- सरकार या रेगुलेटर का कोई हस्तक्षेप नहीं.
- लेनदेन में प्राइवेसी.
क्रिप्टो के क्या हैं निगेटिव?
- सरकार या सेंट्रल बैंक का कोई कंट्रोल नहीं.
- गलत कामों में इस्तेमाल की आशंका.
- फ्रॉड और स्कैम के कई मामले.
- बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव.
- ट्रांजैक्शन चार्ज बहुत ज्यादा.
किन बातों पर साफ नियम बनाने की जरूरत
1. किसे पब्लिक या किसे प्राइवेट क्रिप्टो माना जाए?
2. क्या सिर्फ लेनदेन पर लगेगी रोक या निवेश पर भी?
3. जिनके पास क्रिप्टो है उनका क्या होगा?
4. क्रिप्टो को कौन रेगुलेट करेगा?
5. सरकार क्रिप्टो को क्या मानेगी, लेनदेन की करेंसी या निवेश के लिए एसेट?
6. टैक्स कितना लगेगा?
टैक्स कितना लगेगा?
- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स?
- GST?
- STT?
- कोई टैक्स नहीं?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसके फायदे एवं नुकसान | What is Cryptocurrency Explained in Hindi
दुनिया के किसी भी व्यक्ति, संस्था या देश को अपने आवश्यकताओं के पूर्ति और आपसी लेनदेन के लिए एक मुद्रा यानि की एक करेंसी की आवश्यकता होती है। जैसे की भारत में रुपये है, अमेरिका में डॉलर है, इंग्लैंड में पोंड्स है वैसे ही एक नयी करेंसी आजकल प्रचलन में है और वह है क्रिप्टोकरेंसी । तो आइये जानते हैं कि आखिर यह क्रिप्टोकरेंसी है क्या।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर अल्गोरिथम पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी औथोरिटी के काबू में नहीं होती है। डॉलर, रुपया, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी भी राज्य, देश, संसथा या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफ़ी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान के खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जाता है। इसे आप ना तो देख सकते क्रिप्टो-करेंसी से लाभ हैं न छु सकते हैं क्यों कि भौतिक रूप से क्रिप्टोकरेंसी का मुद्रण होता ही नहीं है। इसलिए इसे आभासे मुद्रा भी कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में ऐसे करेंसी काफी प्रचलित हुई है। आपको पता होना चाहिए कि सर्वप्रथम क्रिप्टोकरेंसी की शुरुवात 2009 में हुई थी जो Bitcoin थे। Bitcoin के अलावा अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी बाजार में उपलब्ध है जिनका प्रयोग आजकल अधिक हो रहा है। जैसे कि RedCoin, Siacoin, Ciscocoin, और Litecoin . Dogecoin .
क्रिप्टोकरेंसी के फायदे
हमें पता है कि किसी भी बस्तु के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। इसलिए हम यहाँ सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी के लाभ यानि फायदे के बारे में बात करते हैं। फिर भी आमतौर पर हम यह कह सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी के लाभ अधिक हैं और घाटा कम।
क्रिप्टोकरेंसी के लाभ या फायदे –
- क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है जिसमें धोखादारी की उम्मीद बहुत कम होती है।
- अधिक पैसा होने पर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना फायदेमंद है क्यों कि इसके कीमतों में बहुत ज्यादा उछाल आता है। लिहाजा निवेश के लिए यह एक अच्छा प्लेटफार्म है।
- अधिकतर क्रिप्टोकरेंसी के वॉलेट उपलब्ध है जिसके चलते ऑनलाइन खरीदारी, पैसे का लेनदेन सब हो चूका है।
- क्रिप्टोकरेंसी को कोई अथॉरिटी कण्ट्रोल नहीं करती जिसके चलते नोटबंधी और करेंसी का मूल्य घटने जैसा खतरा किसी के भी सामने नहीं आता है।
- कई देश ऐसे हैं जहाँ कैप्टल कंट्रोल नहीं है मतलब कि यह बात क्रिप्टो-करेंसी से लाभ तय ही नहीं है कि देश के बाहर कितना पैसा भेजा जा सकता है और कितना मंगवाया जा सकता है। लिहाजा क्रिप्टोकरेंसी खरीदकर उसे देश के बाहर आसानी से भेजी जा सकती है और फिर उसे पैसे में रूपांतरित किया जा सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होता है जो अपना धन छुपाकर रखना चाहते हैं इसलिए क्रिप्टोकरेंसी पैसे छुपाकर रखने का सबसे अच्छा प्लेटफार्म बनकर उबर रहा है।
- क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से सुरक्षित है बस आपको उसके लिए ऑथेंटिकेशन में रखने की आवश्यकता होती है क्यों कि ऐसी करेंसी ब्लॉकचैन पर आधारित है। लिहाजा किसी भी प्रकार का ट्रांजेक्शन करने के लिए पुरे ब्लॉकचैन को माइन करना पड़ता है।
क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान
- क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा नुकसान तो यह है कि कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है क्यों कि इसका मुद्रण नहीं किया जाता। मतलब की न तो इस करेंसी के नोट छापे जा सकते हैं और न ही कोई बैंक अकाउंट या पासपोर्ट जारी किया जा सकता है।
- इसको कंट्रोल करने के लिए कोई देश, सरकार या संस्था नहीं है जिससे इसके कीमत में कभी अधिक उछाल देखा जा सकता है तो कभी बहुत ज्यादा गिरावट। जिसकी बजह से क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना जोखिम भरा सौदा है।
- तीसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसका उपयोग गलत कामों के लिए जैसे हतियार की खरीदारी, ड्रग्स सप्लाई, कालाबाज़ारी आदि में किया जा सकता है। क्यों क्रिप्टो-करेंसी से लाभ कि इसका इस्तेमाल दो लोगों के बीच में ही किया जा सकता है। लिहाजा यह काफी खतरनाक भी हो सकता है।
- चौथा नुकसान यह है कि इसको हैक करने का भी खतरा बना रहता है। यह बात हम सभी को पता है कि ब्लॉकचैन को हैक करना उतना आसान नहीं है क्यों कि इसमें सुरक्षा के पुरे इंतजाम होते हैं वाबजूद इस करेंसी के कोई मालिक ना होने का कारण हैकिंग होने से मना भी नहीं किया जा सकता।
- इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजेक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते जिससे आपको घाटा होता है।
क़ानूनी रूप से कितना वैद्य है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी का नाम जैसे ही आपके दिमाग में आता है सबसे पहला और बड़ा सवाल आपके मन में यही आता होगा कि क्या क्रिप्टोकरेंसी क़ानूनी रूप से वैद्य है? क्या क़ानूनी रूप से इसकी प्रचलन की इजाजत दी गयी है? तो चलिए बताते हैं क़ानूनी रूप से कितना वैद्य है क्रिप्टोकरेंसी।
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क़ानूनी रूप से कितना वैद्य है क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करना क्या क़ानूनी रूप से सही है अथवा नहीं। दरहसल यह फैसला आपके इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस देश में रहकर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं क्यों कि कुछ देशों में अभी भी क्रिप्टोकरेंसी को क़ानूनी रूप से मान्यता नहीं मिली है जिसमें भारत भी एक है। यही नहीं कुछ देश में इसे ग्रे जोन में भी रखा गया है। कहने का मतलब यह है कि वहां ना तो इसे औपचारिक रूप से बैन किया गया है और ना ही इसकी प्रयोग की मान्यता दी गयी है। हम यह कह सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी में अच्छी ग्रोथ के चलते भारतीय नागरिकों का रुझान भी इसकी तरफ देखने को मिल रहा है। इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले वक्त में भारत सरकार भी इससे सकारात्मक रूप से लें और इसे वैद्य करने की ओर बढे।
उम्मीद करते हैं कि आपको क्रिप्टोकरेंसी से जुडी यह जानकारी “क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसके फायदे एवं नुकसान” अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों को भी शेयर जरूर करें।
क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी से डरिए मत, युवाओं को ऑनलाइन सेवाओं के विस्तार का लाभ लेने दीजिए
दुनिया में युवाओं की सबसे बड़ी आबादी भारत में है. सवाल यह है कि क्या उन्हें डिजिटल सेवाओं के विस्फोट का फायदा उठाने का नीतिगत माहौल बनाया जाएगा.
चित्रण प्रज्ञा घोष | दिप्रिंट
कोविड के बाद की दुनिया ग्लोबल डिजिटल सेवाओं के विस्फोट से रू-ब-रू है और इस बार बात केवल सॉफ्टवेयर इंजीनीयरों की नहीं है. दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा व्यवसाय, घर और संस्थाएं अब डिजिटल अर्थव्यवस्था के किसी-न-किसी पहलू से जुड़ रहे हैं. महामारी के बाद, योग की कक्षाओं से लेकर हिसाब-किताब रखने के मामले उन सेवाओं की मांग काफी बढ़ गई है जो दुनिया के किसी भी कोने से दी जा सकती है.
अब सवाल यह है कि नीति निर्माता यह व्यवस्था कैसे करते हैं कि भारत की श्रम शक्ति और अर्थव्यवस्था को डिजिटल माध्यम से आपस में जुड़ी वैश्विक सेवाओं के बाज़ार के विस्तार से किस तरह फायदा दिलाते हैं. इस नई दुनिया में भारत के लिए लाभ उठाने की बड़ी संभावनाएं हैं. उसके पास दुनिया की सबसे युवा और सबसे विशाल श्रम शक्ति मौजूद है.
खासकर युवा लोग नई टेक्नोलॉजी और कार्य पद्धति को अपनाने में सबसे तेज होते हैं. वो मोबाइल एप्स और डिजिटल लेन-देन को तुरंत अपना लेते हैं और नए हुनर सीखने में में भी आगे रहते हैं. अंग्रेजी भाषा एक अतिरिक्त नेमत है. तमाम दूसरे देशों के मुक़ाबले भारत प्रतिस्पर्द्धी दरों की पेशकश करने में अधिक सक्षम है.
सवाल यह है कि क्या भारत के नीति निर्माता देश के युवाओं को इन अवसरों का लाभ उठाने लायक अनुकूल
माहौल दे पाएंगे?
भारत को बढ़त
चीन ने बड़े पैमाने पर मैनुफैक्चरिंग से निर्यात में वैश्विक वृद्धि की लहर का फायदा उठाया जबकि इसमें चूक
गया. प्रारंभिक स्थितियों के लिहाज से भारत के पास बेहतर क्षमता है कि वह सेवाओं के क्षेत्र में विस्तार के
कारण जो अगली लहर आ रही है उसका लाभ उठा सके.
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं
हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.
इस विस्तार के कई पहलू हो सकते हैं. पारंपरिक सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात से लेकर कानून, मेडिकल,
अकाउंटिंग, शिक्षा और सेहत जैसे नए क्षेत्रों में जो वैश्विक वृद्धि होगी वह भारत के लिए सामाजिक और
सांस्कृतिक रूप से अधिक मुफीद होगी.
अपनी युवा और कामगार आबादी के बूते भारत विकसित होते डिजिटल सेवा क्षेत्र से तुरंत जुड़ने में सफल रहा
है. बीपीओ और सॉफ्टवेयर कोडिंग से लेकर योग, भाषा, कूकिंग, टेलीमेडिसिन, शिक्षा तकनीक, लॉजिस्टिक्स
मैनेजमेंट आदि से संबंधित सेवाओं के विस्तार में भारत के युवा सीधे योगदान दे रहे हैं. इनके लिए बड़े निवेश
की जरूरत नहीं होती. ये काम ‘वर्क फ़्रोम होम’ वाली व्यवस्था में किए जा सकते हैं.
भारत में रहने के कारण हम ये सेवाएं काफी प्रतिस्पर्द्धी दरों पर दे सकते हैं. इस लिहाज से यह संगठित और
बड़े सेक्टरों में आए सॉफ्टवेयर, बीपीओ, केपीओ के विस्फोट के जैसा है लेकिन वह भी भारत में सस्ते श्रम और
रहनसहन की नीची लागत के कारण हुआ था.
टियर 2 और 3 वाले शहर और ‘वर्क फ़्रोम होम’ वाली सुविधा लागत में कमी के मामले में मेट्रो में कॉल सेंटर
बनाने से ज्यादा लाभकारी है. शिक्षित युवा महिलाओं में भारी बेरोजगारी भी संभावित कामगारों का बड़ा
समूह उपलब्ध कराती है.
2000 वाले दशक के सॉफ्टवेयर विस्तार के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि इसका श्रेय अन्य बातों के
अलावा इस बात को भी जाता है कि इसमें सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया. एक ओर, सरकार ने टेलिकॉम सेक्टर
में सुधार किया और ब्रॉडबैंड को मंजूरी दी तो दूसरी ओर, उसकी नीतियों ने सॉफ्टवेयर सेवा सेक्टर में हस्तक्षेप
नहीं किया और विकास में बाधा नहीं डाली.
नीतिगत ढांचा
भारत में आर्थिक सुधारों का एजेंडा आमतौर पर इस पर केन्द्रित नहीं रहा है कि सरकार क्या करे बल्कि इस
पर रहा है कि किन प्रतिबंधों को हटाना ज़रूरी है. इसलिए, अंतरराष्ट्रीय व्यापार संधियां भारतीय फ़र्मों को कानूनी, मेडिकल, अकाउंटिंग और सॉफ्टवेयर आदि की सेवाओं का निर्यात करने की छूट दे सकती हैं लेकिन सीमा पार डिजिटल भुगतान पर प्रतिबंध लोगों को उपलब्ध अवसरों का पूरा फायदा लेने से रोक सकते हैं.
सीमा पार डिजिटल भुगतान को घरेलू डिजिटल भुगतान जितना आसान बनाने से छोटे व्यवसायों, व्यक्तियों और
परिवारों को वैश्विक व्यापार करने में मदद मिलेगी.
अमेरिका और यूरोप में जो बड़े वित्तीय पैकेज दिया गए उन्होंने परिवारों की ओर से मैनुफैक्चर्ड माल की मांग
बढ़ा दी. राजनीतिक मोर्चे पर, मुख्य ज़ोर उस मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार बचाने पर रहा है जो चीन चला
गया. मजदूर संघ और मतदाता मांग कर रहे हैं कि कारखानों को वापस अमेरिका लाया जाए. परिवारों की ओर
सेवाओं के लिए मांग भी बढ़ी है और अधिक बढ़ सकती है. अमेरिका और यूरोप की कंपनियों के लिए यह
गुंजाइश बढ़ रही है कि वे लोगों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ वाली व्यवस्था के तहत काम पर रखें.
आज हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जिसमें टियर 2 और 3 वाले शहरों की शिक्षित भारतीय
महिलाएं अपने घर में रहते हुए अमेरिकी कंपनियों के लिए काम करें. मसलन मेडिकल सेवाओं के डेटा का
विश्लेषण कर रही हों.
भारतीय राज्य-व्यवस्था का पहला काम ऐसा फ्रेमवर्क देना हो सकता है जो इस तरह के रोजगार और आय में
वृद्धि को रोकता नहीं है. भारतीय युवाओं की ऊर्जा उनके जोश और इस देश में रहने के कारण रहनसहन
की प्रतिस्पर्द्धी कीमत बाकी काम पूरा कर देगी. डिजिटल भुगतान के मामले में भारत का अनुभव सीखने का
बड़ा जरिया रहा है. देश भर के व्यवसाय अब बाज़ारों और ‘औपचारिक’ सेक्टर में भागीदारी कर रहे हैं.
वैकल्पिक भुगतान प्रक्रियाओं में भागीदारी करने की क्षमता को बाधित नहीं करना चाहिए. पैसे की हेराफेरी
और आतंकियों को पैसे न पहुंचे इसका डर सभी देशों को है.
‘फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) जैसे संगठन, पैसे की हेराफेरी, आतंकियों को पैसे न पहुंचे इसकी वैश्विक निगरानी और ‘प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट’ (पीएमएलए) इस तरह के मसलों से निबटते हैं. एफएटीएफ के सदस्य कई देशॉन ने क्रिप्टोकरेंसी समेत डिजिटल भुगतानों की छूट और उनके नियमन की व्यवस्था की है. खुलासा करने के नियम और केवाइसी की शर्तें इन व्यवस्थाओं का हिस्सा हैं लेकिन वे इतने कष्टप्रद नहीं हैं कि लोग इनमें भागीदारी से
कतराएं.
आगे की सोचें तो जब क्रिप्टोकरेंसी, फेसबुक करेंसी या डिजिटल भुगतान के दूसरे माध्यम अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन और जापान आदि अमीर देशों में प्रचलित हो जाएंगे तब भारतीयों को भी इन करेंसियों में भुगतान स्वीकार करना पड़ेगा. अगर खरीदार इन्हीं का इस्तेमाल करना चाहते हों. नीति निर्माताओं का काम आशंका और आविष्कार के बीच संतुलन बनाना है. क्रिप्टोकरेंसी, स्टेबल क्वाइन और दूसरे डिजिटल भुगतान पर प्रतिबंध लगाना भारतीय गहरों की आय बढ़ाने की संभावना को कम करना होगा जबकि अमीर देशों में यह बढ़ रही होगी.
(इला पटनायक एक अर्थशास्त्री और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर हैं. राधिका पांडे एनआईपीएफपी में सलाहकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)