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शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है

शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है

Station Guruji

Stock Market में P/E Ratio क्या है? शेयर खरीदने से पहले इसे जरूर जानें।

Stock Market में P/E Ratio क्या है?

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अच्छा शेयर कैसे चुनें? इसमें मैंने आपको बताया था कि अच्छे शेयर चुनने से पहले किन-किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।

यदि आपको स्टॉक मार्केट में सफल निवेशक बनना है तो आपको कई बातों पर ध्यान देना होगा। आप चाहे लंबी अवधि के लिए स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं या फिर Intraday Trading करते हैं।

हर परिस्थिति में अच्छी स्टॉक को चुनना आवश्यक है। आज मैं आपको एक ट्रिक बता रहा हूं जिसके द्वारा आप एक सेकंड में मालूम कर सकते हैं कि यह शेयर खरीदना चाहिए या नहीं।

दोस्तों एक अच्छा शेयर का चुनाव के जितने भी तरीके हैं हम सभी अपनाते हैं। शेयर को सेलेक्ट कर लेते हैं। जब उसे खरीदे लगते हैं तो मन में कई तरह की आशंका उत्पन्न होने लगती है। यह शेयर महंगा तो नहीं है। इसे लेने के बाद इसका दाम नीचे तो नहीं गिर जाएगा।

यदि आपके भी मन में भी यह आशंकाएं उत्पन्न हो रही है कि जो शेयर हम खरीदने जा रहे हैं वह सस्ता है या महंगा। यह कैसे पता करें। तो आपके लिए बड़ा ही अच्छा नॉलेज शेयर कर रहा हूं जिसका नाम है P/E Ratio.

P/E Ratio का मतलब क्या है?

P/E Ratio का अर्थ Price Earning Ratio है।

साधारण भाषा में इसका मतलब यह होता है कि हमें कितने रुपए लगाने पर कितने रुपए मिलेगा।

उदाहरण द्वारा इसे समझते हैं। रिलायंस कंपनी के 1 शेयर का दाम अभी ₹ 2000 हैं। इस कंपनी ने पिछले 1 साल में ₹ 200 शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है लाभ दिया है। यदि मुझे इसका P/E Ratio निकालना है तो 2000 ÷ 200 = 10 निकलेगा।

इस P/E Ratio का मतलब यह हुआ कि आपको ₹ 1 कमाने के लिए रिलायंस कंपनी में ₹10 लगाना पड़ेगा। या दूसरे भाषा में ₹ 2000 केेेेेेे निवेश पर हमें ₹ 200 प्राप्त होगा।

इस प्रकार P/E Ratio उसे कहते हैं जिसे प्रति शेयर बाजार मूल्य में उसके द्वारा दी गई आय के द्वारा भाग देने पर जो प्राप्त होता है वही P/E Ratio है।

शेयर खरीदने हेतु P/E Ratio क्या होने चाहिए

अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि शेयर खरीदने वक्त हमें कितना P/E Ratio का शेयर खरीदना चाहिए और कितना P/E Ratio शेयर नहीं खरीदना चाहिए।

आमतौर पर वित्तीय सलाहकार कहते हैं कि जिसका P/E Ratio 30 से ज्यादा है उसे हमें नहीं खरीदना चाहिए। क्योंकि यदि मुझे ₹30 लगाकर सालाना ₹1 प्राप्त हो यहां तक तो ठीक माना जा सकता है। पर उससे ज्यादा लगाकर यदि मुझे ₹1 प्राप्त हो तो यह कभी भी ठीक नहीं माना जा सकता।

वैसे जैसे जैसे कंपनी मुनाफा कमाता रहता है उसका P/E Ratio बढ़ता रहता है। इसलिए आप कंपनी के पिछले कुछ सालों का मुनाफा देख सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि P/E Ratio ज्यादा होने से उस शेयर में निवेश ना करें।

क्या केवल P/E Ratio द्वारा ही अच्छे शेयर का चुनाव सही है?

यदि आप सोच रहे हैं कि मुझे P/E Ratio निकालना आ गया और इसे देखकर मैं अच्छे से शेेेयर खरीद कर एक सफल निवेशक बन जाऊंगा तो यह आप गलत सोच रहे हैं। कई बार हम भ्रम में भी आ जाते हैंं। गलत P/E Ratio दौरा भी हम गलत शेयर खरीद कर नुकसान उठा लेते हैं।

कई ऐसे भी कंपनी होती हैं जिसकी P/E Ratio में काफी उतार-चढ़ाव होता रहता है। यानी किसी वर्ष यह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और किसी बात बहुत कम हो जाता हैै।

उदाहरण रियल स्टेट कंपनी का लेते हैं। किसी वर्ष 50 घर भी नहीं बिकता तो किसी वर्ष 500 घर बिक जाता है। जिस वर्ष इस कंपनी का 500 घर बिका है उस वर्ष का P/E Ratio 20 मान लेते हैं। हम यह सोच कर शेयर खरीद लेते हैं कि P/E Ratio उसका कम है।

अगले वर्ष 50 घर भी नहीं बिका और वह हमें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए आप केवल P/E Ratio पर निर्भर ना रहे।

P/E Ratio और क्या बताता है?

P/E Ratio द्वारा किसी कंपनी के शेयर सस्ते या महंगे का अनुमान लगा सकते हैंं। इसके अलावा आप यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि वर्तमान में शेयर बाजार महंगा है या सस्ता हैै।

मेरा कहने का अर्थ यह है कि कई बार नये निवेशक सोचते हैं कि जब बाजार सस्ता होगा तब निवेश की शुरुआत करूंगा। यह पता कैसे चलेगा कि मार्केट अभी सस्ता है या महंगा है। उसके लिए आप मार्केट का P/E Ratio देख सकते हैं।

भारतीय शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है बाजार में मुख्य रूप से दो जगह शेयर की खरीद बिक्री की जाती है। एक सेंसेक्स और दूसरा है निफ्टी। सेंसेक्स 30 कंपनी का प्रतिनिधित्व करती है और निफ्टी भारत के 50 कंपनी का प्रतिनिधित्व करती है।

सेंसेक्स और निफ्टी यह बताती है कि अभी भारतीय बाजार का क्या हाल है। यदि आप नये निवेशक हैं या शेयर मार्केट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो सेंसेक्स और निफ्टी का P/E Ratio जाकर जरूर देख लें। आपको पता लग जाएगा कि अभी भारतीय शेयर बाजार सस्ता है या महंगा है।

सस्ता है तो फिर आप निवेश की शुरुआत कर दीजिए और यदि महंगा है तो कुछ समय इंतजार कर सकते हैं। वैसे एकमुश्त निवेश में यह देखा जाता है। जब आप एसआईपी शुरू करने की सोच रहे हैं तो आप कभी भी शुरू कर सकते हैं।

P/E Ratio बदलता रहता है

P/E Ratio हमेशा बदलता रहता है। यह नहीं कि आपने एक बार जो P/E Ratio देख लिया वह हमेशा के लिए रहेगा। मान लीजिए किसी कंपनी का P/E Ratio अभी 25 है।

कुछ दिनों बाद कंपनी ने अच्छा मुनाफा कमाया और उसके शेयर का दाम बढ़ गया। क्योंकि सभी लोग उसके शेयर को खरीदने लगे। हम उस कंपनी का P/E Ratio बढ़ जाएगा।

इसलिए आप जिस वक्त शेयर खरीदते हैं उस वक्त उस शेयर का भी P/E Ratio देख ले।

जाते जाते एक बात आपको बता कर जा रहा हूं शेयर बाजार जितना ही लाभदायक है उतना ही नुकसानदायक। इसमें हम 1 दिन में लाखों कमा भी सकते हैं और लाखों गंवा भी सकते हैं।

आप तभी इसमें निवेश करने की सोचे जब आप लाखों कमाने और गंवाने के लिए तैयार हो। किसी के भी कहने पर कहीं भी निवेश ना करें। सोच समझ कर फैसला ले। आपके मेहनत की कमाई पर पहला अधिकार आपका ही है।

किसी के कहने पर किसी भी शेयर में निवेश ना करें। निवेश से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले। आप चाहे कितने बड़े खिलाड़ी हो लेकिन कर्ज लेकर कभी भी स्टॉक मार्केट में निवेश ना करें इससे आप ज्यादा कठिनाई में पड़ सकते हैं।

मल्टीबेगर शेयर के अलावा Penny Stocks जिसका मूल्य ₹10 से कम है आप चाहे तो उसमे निवेश कर सकते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन शेयर जो मार्केट में बिल्कुल नया है उसमें भी निवेश कर शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है सकते हैं। लेकिन निवेश करने से पहले अच्छी तरह रिसर्च जरूर कर ले।

25 रुपये से कम के इस सरकारी बैंक के शेयर ने किया कमाल, 6 महीने में पैसा हुआ डेढ़ गुना, आज भी उछला स्टॉक

आज पंजाब एंड सिंध बैंक के शेयर सुबह करीब 10 फीसद तक उछलने के बाद दोपहर बाद 7 फीसद से अधिक पर कारोबार कर रहे थे। छह महीने में ही इस शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है स्टॉक ने 53 फीसद का रिटर्न देकर निवेशकों को मालामाल कर दिया है।

25 रुपये से कम के इस सरकारी बैंक के शेयर ने किया कमाल, 6 महीने में पैसा हुआ डेढ़ गुना, आज भी उछला स्टॉक

सरकारी बैंकों के शेयर पिछले कई दिनों से धूम मचा रहे हैं। आज यानी शुक्रवार 2 दिसंबर को पंजाब एंड सिंध बैंक के शेयर सुबह करीब 10 फीसद तक उछलने के बाद दोपहर बाद 7 फीसद से अधिक पर कारोबार कर रहे थे। दोपहर 1:44 बजे पंजाब एंड सिंध के शेयर 7.74 फीसद की उछाल के साथ 23.65 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे।

शेयर प्राइस हिस्ट्री

अगर पंजाब एंड सिंध बैंक के शेयर की प्राइस हिस्ट्री की बात करें तो इस साल अबतक यह 43 फीसद से अधिक का रिटर्न दे चुका है। वहीं, पिछले छह महीने में ही इस स्टॉक ने 53 फीसद से अधिक का रिटर्न देकर अपने निवेशकों को मालामल कर दिया है। पिछले एक महीने में ही इसने 43 फीसद से अधिक का छप्परफाड़ रिटर्न दिया है। इसका 52 हफ्ते का हाई 24.95 रुपये और लो 13 रुपये है।

क्यों भाग रहा पंजाब एंड सिंध बैंक का शेयर

दरअसल दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर में सरकारी बैंकों की परफॉर्मेंस अच्छी रही है। इससे शेयर बाजार के निवेशकों का आकर्षण इन स्टॉक्स के प्रति बढ़ा है।

बता दें पंजाब एंड सिंध बैंक का मुनाफा दूसरी तिमाही में 27 फीसदी उछला है। जुलाई-सितंबर तिमाही में फंसे कर्जों के लिए वित्तीय प्रावधान की जरूरत घटने से उसके लाभ में वृद्धि हुई। एक साल पहले की समान तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 218 करोड़ रुपये रहा था।

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

शेयर मार्केट क्या है? । शेयर मार्केट की बेसिक्स [1]

इस लेख के पूरे सिरीज में हम शेयर मार्केट के बेसिक्स पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे। इस सिरीज़ के पूरे लेख को एक्सेस करने के लिए दिए गए लिंक को क्लिक करें; 📈 Share Market and Related

शेयर मार्केट

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शेयर मार्केट क्या है?

हम जिस समय-काल में जी रहें हैं शेयर मार्केट हमारे अर्थव्यवस्था शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है का एक महत्वपूर्ण भाग है। हमारे अर्थव्यवस्था का भाग है मतलब हमारी ज़िंदगी का एक भाग है। यानी कि हम एक बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था में जी रहें है। हम इस बाज़ार में कभी निवेशक (Investor) होते हैं तो कभी ट्रेडर (Trader), कभी ऋणदाता (Lender) होते हैं तो कभी उधार लेने वाले (borrower) होते हैं।

इसी बाज़ार का एक हिस्सा है शेयर बाज़ार या फिर शेयर मार्केट, जहां पर शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। ये बाज़ार आज इतना प्रभावशाली है कि हम चाहे न चाहे ये हमें किसी न किसी रूप में प्रभावित करता ही है।

शेयरों की खरीद-बिक्री क्यों होती है?

शेयर (Share) के बारे में हमें इतना तो जरूर पता होता है कि इसका मतलब अपने हिस्से के चीजों को दूसरों से बांटना या साझा करना होता है। जैसे कि हम अपना खाना शेयर करते हैं, अपनी फीलिंग्स शेयर करते हैं, अपनी कार शेयर करते हैं आदि। पर बाज़ार के सेंस में बात करें तो हम अपने हिस्से के चीजों को तभी शेयर करते हैं जब उसके बदले में हमें कुछ चाहिए होता है। और चाहिए क्या होता है तो पैसा।

पूंजीवाद की अवधारणा ही यही है कि आपके पास अभी जो संपत्ति या पूंजी है बस उसी से संतुष्ट मत हो जाओ बल्कि उसे और बढ़ाओ और बढ़ाते ही रहो। ये तभी बढ़ेगा जब हम अपने बिज़नस को बढ़ाएंगे, बिज़नस तभी बढ़ेगा जब उत्पादकता बढ़ेगी और उत्पादकता तभी बढ़ेगी जब उसमें एक्सट्रा पूंजी डाला जाएगा। ये पूंजी या तो उधार (ऋण) लेकर आ सकता है या फिर अपने बिज़नस का शेयर बेचकर।

अगर उधार लेकर बिज़नस बढ़ाना हो तो फिर बात अलग है लेकिन जब शेयर शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है बेचकर बिज़नस बढ़ाने की व्यवस्था को अपनाया जाता है तो फ़िर शेयरों की खरीद-बिक्री शुरू होती है।

शेयरों की खरीद-बिक्री कहाँ होती है?

अगर शेयरों की खरीद-बिक्री होगी तो सवाल ये आता है कि ये कहाँ होगी? अगर मुझे अपने बिज़नस का शेयर बेचना है तो मैं कहाँ उस आदमी को खोजुंगा जो इसे लेगा। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि खरीदने वाले और बेचने वाले अकेले शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है सिर्फ मैं ही नहीं हूँ बल्कि हजारों हैं। इसीलिए स्टॉक एक्स्चेंज बनायी गई जो कि एक माध्यम का काम करता है खरीदने और बेचने वालों के बीच। स्टॉक एक्स्चेंज अच्छे से, बिना कोई गड़बड़ी किए काम करता रहे इसीलिए उसकी नियमन (regulation) की आवश्यकता हुई और सेबी (SEBI) जैसी संस्था बनायी गई।

समय के साथ-साथ अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ, बाज़ार हमारे ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बनने लगा, जितना चाहे उतना धन इकट्ठा करने की छूट मिली, ज्यादा से ज्यादा धन इकट्ठा करने के उद्देश्य से ज्यादा से ज्यादा लोग इस बाज़ार व्यवस्था में सक्रिय तौर पर भाग लेने लगे। इस तरह के विस्तार से नई-नई चीज़ें इसमें जुड़ते चले गए और व्यवस्थाएं आमलोगों के लिए जटिल होता चला गया। पर क्या ये वाकई जटिल है?

शेयर मार्केट को समझना मुश्किल क्यों है?

ऐसा नहीं है, अगर एक क्रमबद्ध तरीके से चीजों को समझा जाये तो फिर ये जटिल बिल्कुल भी नहीं है। दरअसल अगर इसे शुरू से समझना हो तो वित्तीय बाज़ार (Financial markets) से समझने की शुरुआत करनी चाहिए। मोटे तौर पर वित्तीय बाज़ार को दो भागों में बांटा जा सकता है – (1) मुद्रा बाज़ार (Money Market) और (2) पूंजी बाज़ार (Capital Market)। हालांकि अब कुछ सालों से क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) भी चल रही तो उसे भी इसी के तहत रखा जाता है। नीचे दिये गए चार्ट की मदद से आप और स्पष्ट तरीके से समझ सकते हैं कि शेयर मार्केट इस सब में कहाँ आता है:

डेरिवेटिव क्या है

◼️ शेयर मार्केट को अच्छे से समझने के लिए हमें इस चार्ट में बताए गए हरेक टॉपिक को एक क्रम से समझना होगा क्योंकि बहुत सारे टॉपिक एक-दूसरे से अंतर्संबंधित (Interrelated) है जिसे कि समझना आवश्यक है। हम वित्तीय बाज़ार (Financial market) से शुरुआत करेंगे, क्योंकि देखें तो सब की जड़ यही है।

◼️ उसके बाद हम मुद्रा बाज़ार (Money market) और फिर पूंजी बाज़ार (Capital market) को समझेंगे। शेयर मार्केट, पूंजी बाज़ार का ही एक हिस्सा है लेकिन उसे समझने से पहले हम प्रतिभूतियों (Securities) को समझेंगे। इसे इसलिए पहले समझेंगे क्योंकि बॉन्ड (Bond) कि बात करें या फिर शेयर की ये भी एक प्रतिभूति है। इन प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री स्टॉक एक्स्चेंज के माध्यम से होती है इसीलिए इसके बाद स्टॉक एक्स्चेंज (Stock exchange) को समझेंगे।

इसके बाद हम दिलचस्प उदाहरणों के जरिये समझेंगे कि कंपनी कैसे बनती है फिर वो शेयर कैसे जारी करती है, एक निवेशक के रूप में हम कैसे शेयर खरीद सकते हैं, खरीदने से पहले क्या-क्या प्रक्रियाएं अपनायी जाती है? सब कुछ हम जानेंगे।

शेयर मार्केट को समझने के बाद हम म्यूचुअल फ़ंड, बीमा (Insurance), बॉन्ड मार्केट, डेरिवेटिव्स आदि जितने भी इससे संबद्ध अन्य विषय हैं; को भी पढ़ेंगे और समझेंगे।

सारे लेख क्रमबद्ध और व्यवस्थित तरीके से प्रेजेंट किया गया है, आप बस धैर्य बनाए रखिए और एक क्रम से पढ़िये। सभी लेख के थंबनेल (Thumbnail) पर क्रम संख्या अंकित है ताकि आपको क्रम ढूँढने में कोई परेशानी न हो।

◼️ जैसा कि हमने ऊपर चर्चा किया है, वित्तीय बाज़ार (Financial market) से हम इस सिरीज़ को शुरू करेंगे तो आइये इसे समझते हैं कि वित्तीय बाज़ार (Financial markets) क्या है

आखिर क्यों Google, Amazon, Meta और अब HP बड़े पैमाने पर कर रहे छंटनी, जानिए इसकी वजह

तकनीकी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनी का दौर जारी है। इसकी वजह डिजिटल विज्ञापन व्यवसाय का मंदी का दौर है, जिसकी वजह से प्रमुख तकनीकी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आ रही है।

Image: AP

तकनीकी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनी का दौर जारी है। इसकी वजह डिजिटल विज्ञापन व्यवसाय का मंदी का दौर है, जिसकी वजह से प्रमुख तकनीकी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आ रही है। एचपी 6,000 लोगों को निकालने पर विचार कर रहा है, गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट ने लगभग 10,000 लोगों को निकालने के लिए नए उपाय पेश किए हैं, मेटा (जिसे पहले फेसबुक के नाम से जाना जाता था) 11,000 लोगों को नौकरी से निकाल रही है, ट्विटर ने अपने आधे कर्मचारियों को निकाल दिया है और अमेज़ॅन भी अपने 10,000 लोगों की छंटनी करने वाला है।

ऐमजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है ने कहा है कि बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है क्योंकि अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं दिख रही है और मंदी की काफी संभावना दिख रही है। तकनीकी रूप से, अमेरिका पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रहा है, क्योंकि दो-चौथाई नकारात्मक वृद्धि निर्धारण कारक है और अमेरिका पहले ही दो-चौथाई नकारात्मक वृद्धि देख चुका है। Amazon के फाउंडर ने लोगों को सलाह दी है कि उन्हें कार, टीवी और फ्रिज खरीदने से बचना चाहिए।

टेक में बड़े पैमाने पर छंटनी, एक नई घटना?

टेक में बड़े पैमाने पर छंटनी कोई नई घटना नहीं है। उद्योग में बुलबुले बनने और फटने का रिकॉर्ड है। वर्तमान समय के निकटतम समानांतर वर्ष 2000 होगा, हालांकि उस समय Google और अमेज़ॅन बीहेमोथ नहीं थे जो आज हैं। 90 के दशक के उत्तरार्ध को डॉट कॉम बबल के रूप में जाना जाता था, क्योंकि इंटरनेट की पहुंच चौड़ी हो रही थी, और क्षेत्र की आकर्षक प्रकृति के कारण कई लोग तकनीक की ओर आकर्षित हुए। इस अवधि के दौरान Google और Amazon की स्थापना की गई थी। डॉट कॉम के फटने से पहले, टेक फर्मों के शेयर बढ़ रहे थे, टेक फर्मों का बाजार मूल्यांकन बड़ा था और कंपनियों का विस्तार हो शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है रहा था, जो 2022 की मंदी से पहले के रुझान के समान था।

1990 के डॉट-कॉम के फटने और वर्तमान मंदी के कारण क्या हुआ?

1990 के दशक में जिन आर्थिक कारकों ने बुलबुले का नेतृत्व किया, वे वही आर्थिक कारक हैं जिन्होंने हमारे समय में तकनीक के विकास को बढ़ावा दिया। कम ब्याज दर, जिसका अर्थ है पूंजी तक पहुंच आसान है क्योंकि पैसे वाले लोग एक ऐसे क्षेत्र की तलाश में हैं जहां वे पैसा लगा सकते हैं और बैंक में अपना पैसा रखने से ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। टेक फर्मों के शेयरों ने सोने या सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक रिटर्न की पेशकश की और टेक की नींव इन निवेशकों को ठोस लग रही थी। यह इंटरनेट बूम का चरम था, और नेटस्केप 1995 में ही सार्वजनिक हो गया था। हालांकि, एक बार पैसे की आपूर्ति कड़ी हो गई और पूंजी कुछ ऐसी हो गई जिस तक पहुंचना मुश्किल हो गया और डॉट-कॉम बुलबुला फट गया।

उन्हीं कारकों के कारण 2022 में तकनीक में गिरावट आई है। ब्याज दरें, जो 2008 के वित्तीय संकट के बाद से कम हैं, अब बढ़ रही हैं। महंगाई पर काबू पाने, उपभोक्ता खर्च को हतोत्साहित करने और बचत को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय बैंक एक दशक से अधिक समय के बाद ब्याज दर बढ़ा रहे हैं। कड़ी मौद्रिक आपूर्ति के परिणामस्वरूप पूंजी, जो सभी उद्यम पूंजी फर्मों, शेयर बाजार और हेज फंडों के माध्यम से पहुंचना आसान था, अब तक पहुंचना मुश्किल है। टेक फर्म, जिन्हें 'ईज़ी मनी' यानी कम ब्याज दरों की स्थिति के तहत संचालित करने के लिए स्थापित किया गया था, शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है अब यह पता लगा रही हैं कि उन्हें लागत में कटौती करने और केवल आवश्यक चीजों पर पैसा खर्च करने की आवश्यकता है।

क्या तकनीक का युग खत्म हो गया है या यह पुनर्गणना है?

तकनीकी क्षेत्र के लिए सब कुछ धूमिल नहीं दिख रहा है। बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि कोई टेक सेक्टर को किस तरह से देखता है। इन दिनों, तकनीकी क्षेत्र से तात्पर्य Google, Amazon, Meta, Twitter, Microsoft, आदि से है। दूसरे शब्दों में, केवल सॉफ्ट टेक फर्में, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहा है। ये सभी सॉफ्टवेयर कंपनियां हैं और कम्प्यूटेशनल तकनीक की जड़ें हार्डवेयर हैं। यह ये छोटे ट्रांजिस्टर हैं जो कंप्यूटिंग शक्ति के मूल में हैं। कैलिफोर्निया में प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली, जो आज सभी सॉफ्टवेयर कंपनियों का पर्याय है, को इसका नाम इसलिए मिला क्योंकि यह एक बार वह स्थान हुआ करता था जहां दुनिया के सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर निर्मित किए गए थे।

सेमीकंडक्टर्स में आधार सामग्री सिलिकॉन है और यहीं से सिलिकॉन वैली का नाम आता है। वर्षों से, अर्थशास्त्र के रिकार्डियन सिद्धांत के परिणामस्वरूप, ये निर्माण कार्य अपतटीय थे क्योंकि एशियाई श्रम की तुलना में घरेलू अमेरिकी श्रम बहुत अधिक महंगा है। कंपनियां उच्च लाभ मार्जिन चाहती थीं और वे घरेलू महंगे श्रम पर निर्भर होने के बजाय दूर देश में सस्ते श्रम पर भरोसा करके ऐसा कर सकती थीं।

पिछले महीने, अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने के लिए आयात प्रतिबंध लगाया कि चीन के पास उस तकनीक तक पहुंच नहीं है जिसका उपयोग सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में सफलता हासिल करने के लिए किया जा सकता है। डच फर्म ASML एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि ASML के पास लिथोग्राफी मशीनों के बिना सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में नवाचार असंभव है। सभी उन्नत सेमीकंडक्टर कंपनियां इस अल्पज्ञात डच फर्म पर निर्भर हैं। अब तक, एएसएमएल ने संकेत दिया है कि वह चीन को इन मशीनों की आपूर्ति जारी रखेगी, हालांकि अमेरिका इसे बदलने का प्रयास कर रहा है। टेक में मंदी मौद्रिक नीति में बदलाव और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप हार्ड टेक की वापसी का परिणाम है।

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